Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Gazal

Apni mehboba ko mushqil me dal raha hu by ajay prasad

 अपनी महबूबा को मुश्किल में डाल रहा हूँ   अपनी महबूबा को मुश्किल में डाल रहा हूँ उसकी मोबाइल आजकल  खंगाल …


 अपनी महबूबा को मुश्किल में डाल रहा हूँ 

Apni mehboba ko mushqil me dal raha hu by ajay prasad

 अपनी महबूबा को मुश्किल में डाल रहा हूँ

उसकी मोबाइल आजकल  खंगाल रहा हूँ ।

क्या पता कि कुछ पता चल जाए मुझे यारों

क्यों  मैं उसकी नज़रों में अब जंजाल रहा हूँ।

उसकी गली के कुत्ते भी मुझ पर भौंकते  हैं

कभी जिस गली में जाकर मालामाल रहा हूँ।

जिसके  निगाहें  करम से था मैं बेहद अमीर

फिर अब किस वज़ह से हो मैं कंगाल रहा हूँ।

बेड़ा गर्क हो कम्बखत नये दौर में  इश्क़ का

था कभी हठ्ठा क्ठ्ठा अब तो बस कंकाल रहा हूँ

-अजय प्रसाद


Related Posts

गजल- अज्ञात नहीं रखते।

August 21, 2022

गजल- अज्ञात नहीं रखते। अच्छाई अपनाकर, खामियां भूलाकर,हम किसी से शिकायत नहीं रखते।उदारता की तो है कमी इस दुनिया में,हम

गजल -आता है

June 23, 2022

 गजल -आता है सिद्धार्थ गोरखपुरी रह – रह कर ये अक्सर सवाल आता है के क्या कभी मेरा भी खयाल

ग़ज़ल – हार जाता है

June 23, 2022

 ग़ज़ल – हार जाता है सिद्धार्थ गोरखपुरी गुरुर बड़ा होने का है मगर ये जान लो यारों प्यास की बात

साँस की सुबास है।- ग़ज़ल

February 28, 2022

साँस की सुबास है।- ग़ज़ल साँस की सुबास है। रात और खाब है।। तख्त ताज आज का।ऐश ओ विलास है।।

घटा मुझ को यही बतला रही है- प्रिया सिंह

January 7, 2022

ग़ज़ल -घटा मुझ को यही बतला रही है घटा मुझ को यही बतला रही है।मुसीबत हर तरफ़ से आ रही

अक़्ल और इमान खतरे में है-अजय प्रसाद

January 6, 2022

अक़्ल और इमान खतरे में है अक़्ल और इमान खतरे में है अब मुर्दे की जान खतरे में है।आप जीते

Leave a Comment