जो अब भी साथ हैं

जो अब भी साथ हैं

परिवार के अन्य सदस्य या तो ‘बड़े आदमी’ बन गए हैं या फिर बन बैठे हैं स्वार्थ के पुजारी। तभी तो कोई नहीं ठहरता उन कमरों के पास जहाँ धीरे-धीरे मौन में बदल रही है दादा-दादी की पुकार। न कोई आता है तन्हाई का साथी बनने न पूछता है स्वास्थ्य का हाल न किसी को…

सूखी लकड़ी की पुकार

सूखी लकड़ी की पुकार

मैं दर्द से तड़प रहा था — मेरे दोनों पैर कट चुके थे। तभी सूखी लकड़ी चीख पड़ी — इस भीषण बर्फीली ठण्ड में इन मासूम कुत्तों को बचा लो! मैं यह देख रह गया स्तब्ध जबकि — हरे-भरे पेड़ और पौधे बिलकुल मौन खड़े थे। –प्रतीक झा ‘ओप्पी’ शोध छात्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज

पुस्तक समीक्षा: ‘ज़िंदगी के उजास’ में भीगती कहानियाँ

पुस्तक समीक्षा: ‘ज़िंदगी के उजास’ में भीगती कहानियाँ

पुस्तक समीक्षा: ‘ज़िंदगी के उजास’ में भीगती कहानियाँ साहित्य जीवन का दर्पण होता है और कहानी उसकी धड़कन। जब शब्दों में संवेदना उतरती है, तब वे केवल वाक्य नहीं रह जाते, वे जीवन की सच्चाइयों के साक्षी बन जाते हैं। साहित्य के समृद्ध आंगन में, “ज़िंदगी का उजास” एक रत्न की भांति प्रकट होता है,…

ऐसे थे जननायक प्रधानमंत्री चंद्रशेखर
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 ऐसे थे जननायक प्रधानमंत्री चंद्रशेखर

“चाह गई चिंता मिटी मनुआ बेपरवाह जाको कछु ना चाहिए वो शाहन के शाह” कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्रद्धेय द्वारिका प्रसाद जी का चंद्रशेखर के बारे में यह कथन तथा चंद्रशेखर जी का बार-बार यह कहना – “खुल खेलो संसार में बाध सके न कोय, घाट जकाती क्या करे जो सिर बोझ न होय”!!  उनके…

kahani sarbatiya in hindi
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कहानी – ठहर गया बसन्त

अपनी झोपड़ी के दरवाज़े  के बाहर ,बड़ी हवेली हवेली वाले  राजा ठाकुर के यहाँ काम करने वाले रामधन चच्चा की रौबदार आवाज सुनकर हुमक उठी थी नौ साल की नन्ही सी सरबतिया …….

दीपक का उजाला
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दीपक का उजाला

गाँव के किनारे एक छोटा-सा स्कूल था। इस स्कूल के शिक्षक, नाम था आचार्य देवदत्त, अपने समय के सबसे विद्वान और सरल हृदय व्यक्ति माने जाते थे। उनकी उम्र लगभग 60 वर्ष हो चुकी थी, लेकिन उन्होंने कभी खुद को रिटायर करने की बात नहीं सोची। उनका मानना था कि सच्चा शिक्षक तब तक शिक्षित करता है जब तक उसके पास सीखने वाले हों।

बुआ -भतीजी |kavita -bua bhatiji
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बुआ -भतीजी |kavita -bua bhatiji

बुआ -भतीजी बात भले फर्ज़ी लगे, लेकिन इस में सच्चाई है। बुआ होती है भतीजी का आने वाला कल, और भतीजी होती अपनी बुआ की परछाईं है। बुआ के जैसे भतीजी भी तो , हो जाती एक दिन पराई है। एक ही घर दोनों का मायका, है एक ही घर की बेटी दोनों , नहीं…

विचारों की भी होती है मौत
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विचारों की भी होती है मौत

प्रत्येक दिन दिमाग में 6,000 विचार आते हैं, इनमें 80% नकारात्मक होते हैं। इन नकारात्मक विचारों से दूर रहने के लिए प्रतिदिन योग व ध्यान करना जरूरी है। चेतन मन के सकारात्मक विचारों को तुरंत लिख लेना चाहिए। इसके लिए आप अपने पास पेन और डायरी हमेशा पास रखें। गूगल कीप एप में भी विचार…

सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी
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सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी

सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी अगर आप विजेता बनना चाहते हैं, तो विजेताओं के साथ रहें। अगर आप जीवन में बाज की तरह आसमान छूना चाहते हैं, तो आपको मुर्गों के साथ नहीं रहना चाहिए। जिन लोगों के साथ हम अपना समय बिताते हैं, वे हमारे व्यक्तित्व पर प्रभाव डालते हैं। हम जिन…

हर दिन डायरी में कलम से लिखें अपना लक्ष्य
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हर दिन डायरी में कलम से लिखें अपना लक्ष्य

हर दिन डायरी में कलम से लिखें अपना लक्ष्य सबसे पहले अपने जिंदगी के लक्ष्य को निर्धारित करें। अपने प्रत्येक घंटे, दिन, सप्ताह, महीने व साल के लिए भी लक्ष्य निर्धारित करें। हर दिन लक्ष्य तक पहुँचने के बेहतर तरीके सोचते रहें और हर दिन लक्ष्य तक पहुँचाने वाले काम करते रहें। प्रबल इच्छा हो,…