Gazal-ye dhuwan sa ab kahan se uthata hai
गजल ये धुआँ सा अब कहाँ से उठता है ।लगता है गरीब के घर ही जलते हैं ।। कुछ लोग तो रोटी को तरसते हैं यहाँ ।देश में अब तो हराम ही यहाँ पलते हैं ।। चोर-उचकौं की चारों तरफअब चाँदी है ।भले लोग सहमे से यहाँ हरदम डरते हैं ।। पानी के संकट का … Read more