Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

story, Vikash Bishnoi

Story- ये रही बोरी और ये रहे तुम(ye rahi bori aur ye rahe tum)

 कहानी- ये रही बोरी और ये रहे तुम अक्सर लोग कहते हैं कि हम समाजसेवा करना तो चाहते हैं पर …


 कहानी- ये रही बोरी और ये रहे तुम

Story- ये रही बोरी और ये रहे तुम(ye rahi bori aur ye rahe tum)

अक्सर लोग कहते हैं कि हम समाजसेवा करना तो चाहते हैं पर ऐसा कोई मौका ही नहीं मिलता। अगर मन सच्चा होगा और मन में सेवा की भावना होगी तो हमारे सामने ऐसे अवसर स्वयं आ जाते हैं। हाल ही में विजय के साथ ऐसा ही एक किस्सा हुआ, जिसने एहसास कराया कि सेवा का मौका मिलता नहीं, हमें ढूंढना पड़ता है।

विजय हरियाणा के एक विश्वविद्यालय की परीक्षा शाखा में बतौर प्रोजेक्ट हेड कार्य करता था। एक दिन जब वो अपने दफ्तर में कार्य कर रहा था, तो वहां एक 40-45 वर्ष की महिला हाँफती हुई उसके पास आई और अपने कागज दिखाकर पूछा कि सर, यह मेरा कार्य यहीं आपके पास ही होगा क्या। विजय ने कागजात देखकर कहा, यहां नहीं मैम, आप सामने वाली लैब में जाइए, वहां यह कार्य होगा। सुनते ही महिला उदास हो गयी और कहा, सर प्लीज बता दो, कहाँ होगा। बहुत देर हो गयी, सब इधर से उधर भेज रहे है, कोई एक बिल्डिंग से दूसरी में। इसी में मेरा सांस फूलने लगा है अब तो। 

विजय एक दयालु प्रवर्ति का इंसान था। उसने कहा, आप एक बार सामने वाली लैब में पता कर लो। ना हो तो मुझे बताना। महिला लैब में गई और कुछ देर में ही उदासीन चेहरे के साथ वही उत्तर लेकर वापस आ गई। लैब वालों ने वही उत्तर उसे दिया था और अन्य जगह जाने का बोल दिया, जहां से वो आई थी। 

विजय ने पहले महिला को बिठाया, पानी मंगवाकर पिलाया। साथ ही अपने एक मित्र सुखविंदर को फोन कर अपने दफ्तर बुलाया। वह भी उसकी तरह दयालु और नेक दिल इंसान था।

महिला को अपने लगभग 10-12 वर्ष अपने पुराने कागजात और रोल नंबर इत्यादि निकलवाने थे। काम इतना सरल भी ना था। दोनों ने सलाह मशवरा कर उस काम को खुद करने की ही ठानी। विजय ने अपने जूनियर को कुछ काम सौंपा व महिला को दफ्तर में बिठा, खुद सुखविंदर के साथ बाहर की ओर निकले। इधर उधर पूछताछ करने पर पता चला कि यह केवल रिकॉर्ड रूम से ही पता चल सकता है। दोनों वहां गए तो वहां के अधिकारियों ने स्टाफ के होने के नाते उन्हें प्रवेश दिया, पूछने पर पुराने कागजातों फाइलों की बोरी की ओर इशारा करते हुए कहा, ये रही बोरी और ये तुम। ढूंढ लो अगर कुछ मिलता है तो।

विजय और सुखविंदर ने एक दूसरे की तरफ देखा, महिला बारे सोचा और बोरी की ओर बढ़ गए। कार्य कठिन था, पर दोनों महिला की मदद हेतु दृढ़ संकल्प थे। चार घण्टे उन्हीं फाइलों में लगे रहने के बाद उन्हें सफलता मिल गई। उन्हें महिला के कागजात आखिरकार मिल ही गए थे। दोनों के चेहरे पर बहुत खुशी थी। दिल को तस्सली थी कि चार घण्टे लगाए तो हक आ ही गया। दोनों ने महिला को जाकर बताया तो वह हाथ जोड़कर उन्हें धन्यवाद करने लगी और कहा, जहां कोई नहीं होता, वहां भगवान किसी ना किसी को जरूर भेजता है। धन्यवाद किया, भविष्य के लिए आशीर्वाद दिया और चली गई। आज विजय सुखविंदर खुश भी थे और संतुष्ट भी।

About writer

- विकास बिश्नोई
 विकास बिश्नोई
#313, सेक्टर – 14, हिसार (हरियाणा)

Related Posts

LaghuKatha – peepal ki pukar | पीपल की पुकार

December 30, 2023

लघुकथा  पीपल की पुकार ‘दादी मां दादी मां, आपके लिए गांव से चिट्ठी आई है’, 10 साल के पोते राहुल

Story – mitrata | मित्रता

December 28, 2023

मित्रता  बारिशें रूक गई थी, नदियाँ फिर से सीमाबद्ध हो चली थी, कीचड़ भरे मार्गों का जल फिर से सूरज

Story – prayatnsheel | प्रयत्नशील

December 28, 2023

प्रयत्नशील भोजन के पश्चात विश्वामित्र ने कहा, ” सीता तुम्हें क्या आशीर्वाद दूँ, जो मनुष्य अपनी सीमाओं को पहचानता है,

Story – praja Shakti| प्रजा शक्ति

December 28, 2023

प्रजा शक्ति  युद्ध का नौवाँ दिन समाप्त हो चुका था। समुद्र तट पर दूर तक मशालें ही मशालें दिखाई दे

Story- bhagya nirmata |भाग्य निर्माता

December 28, 2023

भाग्य निर्माता काली अँधेरी रात में राम जाग रहे थे, यह वर्षा ऋतु उन्हें शत्रु प्रतीत हो रही थी ।यह

Ram Sita aur laxman ka sapna| राम , सीता और लक्ष्मण का सपना

December 28, 2023

राम , सीता और लक्ष्मण का सपना  पूर्णाहुति के पश्चात ऋषि पत्नी मंच पर खड़ी हो गईं , “ आप

Leave a Comment