Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

poem

kavita is dhara par aurat by mahesh kumar keshri

 कविता..  इस धरा पर औरतें..  हम,  हमेशा खटते मजदूरों की तरह, लेकिन, कभी मजदूरी  नहीं   पातीं .. !!  और, आजीवन …


 कविता.. 

kavita is dhara par aurat by mahesh kumar keshri

इस धरा पर औरतें.. 

हम,  हमेशा खटते मजदूरों
की तरह, लेकिन, कभी
मजदूरी  नहीं   पातीं .. !! 
और, आजीवन हम इस 
भ्रम में जीतीं हैं कि 
हम मजदूर नहीं मालिक… 
हैं…!! 
 लेकिन, हम केवल एक संख्या
भर हैं ..!! 
लोग- बाग हमें आधी आबादी
कहते हैं….. !! 
लेकिन, हम आधी आबादी नहीं
शून्य भर हैं… !! 
हम हवा की तरह हैं.. 
या अलगनी  पर सूखते 
कपड़ों की तरह ..!! 
हमारे नाम से कुछ
नहीं होता… 
खेत और मकान 
पिता और  भाईयों का होता है..!! 
कल -कारखाने पति
और उसके, 
भाईयों का होता है.. !! 
हमारा हक़ होता है सिर्फ
इतना भर कि हम घर में
सबको खिलाकर ही खायें
यदि,बाद में
कुछ बचा रह जाये..शेष … !! 
ताजा, खाना रखें, अपने
घर के मर्दों के लिए.. !!
और, बासी 
बचे  -खुचे  खाने पर
ही जीवन गुजार दें….!! 
हम, अलस्सुबह ही
उठें बिस्तर से और,
सबसे आखिर
में आकर सोयें…!! 
बिना – गलती के ही 
हम, डांटे- डपडे जायें
खाने में थोड़ी सी
नमक या मिर्च के लिए…!! 
हम, घर के दरवाजे
या, खिड़की नहीं थें
जो,  सालों पडे रहते
घर के भीतर…!! 
हम, हवा की तरह थें 
जो, डोलतीं रहतें
इस छत से उस छत
तक…!! 
हमारा .. कहीं घर.. 
नहीं होता… 
घर हमेशा पिता का या पति
का होता है… 
और, बाद में भाईयों का हो ru
जाता है… !! 
हमारी, पूरी जीवन- यात्रा
किसी, खानाबदोश की
 तरह होती है
आज यहाँ,  तो कल वहां..!! 
या… हम शरणार्थी की तरह 
होतें हैं… इस.. देश से.. उस 
देश .. भटकते और, अपनी 
पहचान ..ढूंढते… !! 
“”””””””””””””””””””””””””””””“”””””””””””””””””””””””””””””“”””””””””””””””
सर्वाधिकार सुरक्षित
महेश कुमार केशरी
 C/O- मेघदूत मार्केट फुसरो 
बोकारो झारखंड (829144)


Related Posts

Peele Peele phoolon me ab jakar gungunana hai

February 8, 2021

 ग़ज़ल पीले पीले फूलों में अब जाकर गुनगुनाना हैरोने वाले को हंसाना है सोने वाले को जगाना है समय के

Zindagi me mere aana tera

February 6, 2021

 ग़ज़ल  ज़िन्दगी में मेरे आना तेरा प्यार हर पल मेरा, निभाना तेरा भूल जाऊं मैं कैसे तुझको सनम प्यार गंगा

Ishq me ankho se ashq ka behna jaruri

January 4, 2021

 Ishq me ankho se ashq ka behna jaruri यह गीत  ,कवि C. P. गौतम द्वारा रचित है , कवि C.

Bhatakte naav ka kinara ho tum – kavya

January 4, 2021

Bhatakte naav ka kinara ho tum – kavya यह काव्य ,कवि C. P. गौतम द्वारा रचित है , कवि C.

Beete lamho me jeena, zahar jaise peena

November 20, 2020

गीत तुम जहाँ भी रहोग़म का साया न होप्यार तुमको मिलेदर्द आया न होइस दीवानें की खुशियाँतुम्हें ही मिलेमाफ करना

swatantra prem aur partantra prem-kavya

November 15, 2020

swatantra prem aur partantra prem-kavya स्वतंत्र प्रेम और परतंत्र प्रेम -काव्य   जब प्रेम स्वतंत्र बहता है,बहती  है मोहक खुशियां, होता

Leave a Comment