Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

ashish_yadav, story

kahani: aao sanskar de

आओ संस्कार दें  एक बड़ी सी गाड़ी आकर बाजार में रूकी, कार में ही मोबाइल से बातें करते हुए महिला …


आओ संस्कार दें 

एक बड़ी सी गाड़ी आकर बाजार में रूकी, कार में ही मोबाइल से बातें करते हुए महिला ने अपनी बच्ची से कहा, जा उस बुढिया से पूछ सब्जी कैंसे दी, बच्ची कार से उतरतें ही- अरें बुढिया ! यें सब्जी कैंसे दी?

40 रूपयें किलो, बेबी जी…

kahani: aao sanskar deसब्जी लेते ही उस बच्ची ने सौ रूपयें का नोट उस सब्जी वाली को फेंक कर दिया और आकर कार पर बैठ गयी, कार जाने लगी तभी अचानक किसी ने कार के सीसे पर दस्तक दी, एक छोटी सी बच्ची जो हाथ में 60 रूपयें कार में बैठी उस औरत को देते हुए, बोलती हैं आंटी जी यें आपके सब्जी के बचें 60 रूपयें हैं, आपकी बेटी भूल आयी हैं। कार में बैठी औरत ने कहा तुम रख लों, उस बच्ची ने बड़ी ही मीठी और सभ्यता से कहा- नहीं आंटी जी हमारें जितने पैंसे बनते थे  हमने ले लियें, हम इसे नहीं रख सकतें, मैं आपकी आभारी हूं, आप हमारी दुकान पर आए और आशा करती हूं कि सब्जी आपको अच्छी लगें, जिससे आप हमारें ही दुकान पर हमेशा आए। उस लड़की ने हाथ जोड़े और अपनी दुकान लौट गयी…

कार में बैठी महिला उस लड़की से बहुत प्रभावित हुई और कार से उतर कर फिर सब्जी की दुकान पर जाने लगी, जैसें ही वहाँ पास गयी, सब्जी वाली अपनी बच्ची को पूछते हुयें, तुमने तमीज से बात की ना, कोई शिकायत का मौका तो नहीं दिया ना..?

बच्ची ने कहा, हाँ माँ मुझे आपकी सिखाई हर बात याद है, कभी किसी बड़े का अपमान मत करो, उनसे सभ्यता से बात करो, उनकी कद्र करो, क्यूंकि बड़े-बुजर्ग बड़े ही होते हैं, मुझे आपकी सारी बात याद है और मैं सदैव इन बातों का स्मरण रखूंगी। बच्ची ने फिर कहा, अच्छा माँ अब मैं स्कूल चलती हूं, शाम में स्कूल से छुट्टी होते ही, दुकान पर आ जाऊंगी…

कार वाली महिला शर्म से पानी पानी थी, क्यूंकि एक सब्जी वाली अपनी बेटी को इंसानियत और बड़ों से बात करने के शिष्टाचार का पाठ सीखा रही थी और वह महिला अपनी बेटी को छोटा-बड़ा, ऊंच-नीच का मन में बीज बो रही थी..!!

शिक्षा:-

सबसे अच्छा तो वो कहलाता है जो आसमान पर भी रहता है और जमींन से भी जुड़ा रहता है। बस इंसानियत, भाईचारें, सभ्यता, आचरण, वाणी में मिठास, सब की इज्जत करने की सीख दीजिए अपने बच्चों को, क्यूंकि अब बस यहीं पढ़ाई है जो आने वाले समय में बहुत ही ज्यादा मुश्किल होगी इसे पढ़ने, इसे याद रखने, इसे ग्रहण करने में और जीवन को उपयोगी बनानें में !!

story writer– आशीष यादव (कानपुर  देहात )

  
          

Related Posts

Jooton ki khoj by Jayshree birmi

September 9, 2021

 जूतों की खोज आज हम जूते पहनते हैं पैरों की सुरक्षा के साथ साथ अच्छे दिखने और फैशन के चलन

Antardwand laghukatha by Sudhir Srivastava

August 26, 2021

 लघुकथा अंर्तद्वंद     लंबी प्रतीक्षा के बाद आखिर वो दिन आ ही गया और उसने सुंदर सी गोल मटोल

Uphar kahani by Sudhir Srivastava

August 25, 2021

 कहानी                      उपहार                 

Laghukatha maa by jayshree birmi ahamadabad

August 3, 2021

लघुकथा मां बहुत ही पुरानी बात हैं,जब गावों में बिजली नहीं होती थी,मकान कच्चे होते थे,रसोई में चूल्हे पर खाना

laghukatha kutte by dr shailendra srivastava

July 31, 2021

कुत्ते (लघु कथा ) नगर भ्रमण कर गण राजा अपने राजभवन मे लौटे औऱ बग्घी राज्यांगन में छोड़कर शयनकक्ष मे

Laghukatha- mairathan by kanchan shukla

June 23, 2021

 मैराथन डॉक्टर ने बोला है, आज के चौबीस घंटे बहुत नाजुक हैं। हल्का फुल्का सब सुन रहा हूँ। कोई मलाल

1 thought on “kahani: aao sanskar de”

Leave a Comment