Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

cinema, Virendra bahadur

सुपरहिट :’गीत गाता चल’, निर्दोष प्यार का गंवई गीत

सुपरहिट :’गीत गाता चल’, निर्दोष प्यार का गंवई गीत अभी कुछ दिनों पहले रिलीज हुई राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म ‘ऊंचाई’ …


सुपरहिट :’गीत गाता चल’, निर्दोष प्यार का गंवई गीत

सुपरहिट :'गीत गाता चल', निर्दोष प्यार का गंवई गीत

अभी कुछ दिनों पहले रिलीज हुई राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म ‘ऊंचाई’ ऐक्ट्रेस सारिका के लिए घर वापसी के समान है। 45 साल पहले राजश्री के ताराचंद बड़जात्या निर्मित और हीरेन नाग द्वारा निर्देशित ‘गीत गाता चल’ फिल्म से सारिका ने हिंदी फिल्मों की दुनिया में धमाकेदार प्रवेश किया था। इसके पहले वह बाल कलाकार के रूप में काम करती थीं और लगभग 13 फिल्में कर चुकी थीं। लगभग पांच साल की उम्र में 1976 में बीआर चोपड़ा की ‘हमराज’ फिल्म में उन्हें काम मिला था। इसके चार साल बाद उन्होंने मीना कुमारी-धर्मेन्द्र अभिनीत और ऋषिकेश मुखर्जी निर्देशित ‘मंझली दीदी’ में मीना कुमारी की बेटी की भूमिका की थी। इस फिल्म में सचिन पिलगांवकर भी था, जो बाद में ‘गीत गाता चल’ में उनका हीरो बना था।
इस फिल्म की बात करने से पहले थोड़ा सारिका की बात कर लेते हैं। अपनी शर्तों पर जीने वाली बालीवुड की अभिनेत्रियों में एक नाम सारिका का भी है। जिस जमाने में लड़कियों का फिल्मों में काम करना परिवार वालों को पसंद नहीं था, उस समय सारिका ने मास्टर सूरज के नाम से लड़के की भूमिका की थी।
1981 में जलाल आगा निर्देशित और नासिरुद्दीन शाह-आमोल पालेकर अभिनीत फिल्म ‘निर्वाण’ में उन्होंने खुला सीना दिखा कर फिल्म की थी। इससे उनका अपनी मां से इस तरह झगड़ा हुआ था कि उन्होंने घर छोड़ दिया था और वह ‘बेघर’ हैं, इस बात की दोस्तों को जानकरी न हो, इसके लिए वह छह रातें कार में सोई थीं। उन्होंने दक्षिण के स्टार कमल हसन के साथ बिना विवाह के बेटी (श्रुति) को जन्म दिया था और दूसरी बेटी (अक्षरा) जब तक नहीं हुई, तब तक कमल हसन से यह कह विवाह करने से इनकार कर दिया था कि लोग यह ताना न मारें कि एक बेटी बिना विवाह के और दूसरी बेटी विवाह के बाद पैदा हुई थी। वह क्रिकेट स्टार कपिल देव से विवाह करते-करते रह गई थीं। अंत में वह बेटियों को बड़ी कर के कमल हसन से अलग हो गई थीं और अब वह डिम्पल कापड़िया की तरह फिल्मों में दूसरी इनिंग शुरू कर रही हैं।
सारिका मूल दिल्ली के मराठी-राजपूत पैरेंट्स के यहां पैदा हुई थीं। जबकि फिल्म पत्रकार स्वर्गस्थ अली पीटर जोन के लिखे अनुसार वह मुंबई के वर्सोवा में कमल ठाकुर के यहां पैदा हुई थीं। यह कमल अपनी बेटी और पत्नी को छोड़ कर कहीं चला गया था। श्रीमती ठाकुर खुद एक समय ऐक्ट्रेस बनने का सपना देख रही थीं। पर घर टूटने के बाद उन्होंने बेबी सारिका को आगे कर दिया था। विडंबना कैसी कि वयस्क होने पर सारिका को भी मां को त्याग देना पड़ा था।
‘ऊंचाई’ फिल्म के प्रमोशन के समय उन दिनों को याद कर के सारिका ने कहा था, ‘मुझे लगता है कि बच्चों को प्रोफेशनल एक्टर नहीं बनाना चाहिए।जीवन पर उनका नियंत्रण नहीं रहता और उनसे काम कराने का मतलब उनका बचपन छीन लेना। यह बाल मजदूरी जैसा है। बच्चों को आजाद होना चाहिए। मैं खुद स्कूल नहीं गई और एक्टिंग करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकी। मेरा बचपन मुझसे छीन लिया गया था।’
1975 में सारिका 13 साल की थीं, तब ‘गीत गाता चल’ साइन की थी। वयस्क एक्टर के रूप में यह उनकी पहली फिल्म थी। वह कहती हैं, ‘हकीकत में 1975 की ‘कागज की नाव’ मेरी पहली वयस्क फिल्म थी। मैं एक साथ बाल कलाकार और हीरोइन के रूप में काम कर रही थी। बाल कलाकार से लीड कलाकार बनने के बीच मुझे ब्रेक ही नहीं मिला था।’
‘गीत गाता चल’ राजश्री प्रोडक्शन की दसवीं फिल्म थी। अंजान कलाकारों-हुनरमंदों को ले कर मात्र कहानी और संगीत के जोर पर सफल पारिवारिक फिल्में देने के लिए राजश्री का नाम तब तक स्थापित हो चुका था। ‘गीत गाता चल’ की कहानी बहुत सादी और मीठी थी। श्याम (सचिन) नाम का एक अनाथ लड़का नाच-गाना कर के गुजर-बसर करता था। एक बार एक मेले में दुर्गा बाबू (मनहर देसाई) और उनकी पत्नी गंगा (उर्मिला भट्ट) को श्याम मिल जाता है। उन्हें यह सुरीला लड़का इतना पसंद आ जाता है कि वे उसे घर ले आते हैं।
पति-पत्नी की एक बेटी राधा (सारिका) मुंह लगी थी। उसके मन को भी श्याम भा जाता है और धीरे-धीरे उससे प्यार करने लगती है। श्याम को अपने गायन में मस्त रहना अच्छा लगता है। उसे घर-परिवार के बंधन नहीं अच्छे लगते। वह आजाद पंछी था और उसे वही जीवन अच्छा लगता था। जब उसे पता चलता है कि राधा के माता-पिता उसका विवाह राधा के साथ कर देने की फिराक में हैं तो श्याम संबंधो के पिंजरे में कैद होने के बजाय घर छोड़ कर वापस अपनी नौटंकी टोली में चला जाता है। वहां जिसे वह बहन मानता है, वह ‘दीदी’ उसे समझाती है कि उसने राधा को त्याग कर उसने ठीक नहीं किया। श्याम वापस आता है और ‘श्याम की पत्नी’ के रूप में अकेली जीवन गुजार रही राधा का हाथ थाम लेता है।
फिल्म की कहानी राधा-कृष्ण की दंतकथा पर आधारित थी। इसमें नायक श्याम मोह-माया से अलग है और इसी बात ने इसे एक आध्यात्मिक स्पर्श दिया था। राजश्री प्रोडक्शन की यही एक विशेषता थी कि उसकी प्रेमकथाएं निर्दोष होती थीं। उदाहरण के रूप में 1989 में आई इनकी फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में एक सदाबहार गाना था- ‘आजा शाम होने आई, मौसम ने ली अंगड़ाई, तो किस बात की है लड़ाई। गीतकार देव कोहली के लिखे इस गाने का मूल मुखड़ा ऐसा था- ‘आजा रात होने आई, मौसम ने ली अंगड़ाई।’ सूरज बड़जात्या के पिता ताराचंद ने इसे सुना तो सूरज से कहा था कि ‘रात’ निकाल कर ‘शाम’ कर दो। राजश्री की फिल्मों के हीरो-हीरोइन रात की बात नहीं करते।
उनकी फिल्मों में ग्रामीण भारत की संस्कृति होती थी। उनमें प्रकृति के लिए प्यार झलकता था। जैसे कि फिल्म ‘गीत गाता चल’ का हीरो धोती-कुर्ता पहनता है, बैलगाड़ी हांकता है, खेतों में मौज-मस्ती करता है और ठेठ गांव की हिंदी बोलता है। लीला मिश्रा काॅटन की साड़ी पहनती हैं, चूल्हा फूंकती हैं और सभी जमीन पर बैठ कर साथ खाना खाते हैं। राजश्री के खलनायक भी शुद्ध भारतीय हैं।
ये सभी तत्व उनके गीतों में झलकते हैं। कुल दस गाने थे और सभी सुमधुर थे। ‘गीत गाता चल ओ साथी गुनगुनाता चल’, ‘श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम’, ‘बचपन हर गम से बेगाना होता है’, ‘कर गया कान्हा मिलन का वादा’, ‘मैं वही दर्पन वही न जाने क्या हो गया’, ‘श्याम अभिमानी हो श्याम अभिमानी रोज रोती रही राधा रानी’ ‘धरती मेरी माता पिता आसमान’, ‘मंगल भवन अमंगल हारी’, ‘मुझे छोटा मिला भरतार’।
इसमें पहले जो दो गाने हैं, ‘गीत गाता चल…’ और ‘श्याम तेरी बंसी…’ आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं। अलीगढ़ के जैन परिवार में जन्मे, जन्म से दिव्यांग रवीन्द्र जैन ने ये गाने लिखे थे और संगीबद्ध किया था। इसके बाद उन्होंने राजश्री की बीस फिल्मों में काम किया था। उनके गाने इतना लोकप्रिय हुए थे कि उनके बारे में कहा जाता था कि आंखों में रोशनी के बिना रवीन्द्र जैन ने अपने संगीत से उजाला फैला दिया था।

About author 

वीरेन्द्र बहादुर सिंह जेड-436ए सेक्टर-12, नोएडा-201301 (उ0प्र0) मो-8368681336

वीरेन्द्र बहादुर सिंह
जेड-436ए सेक्टर-12,
नोएडा-201301 (उ0प्र0)
मो-8368681336


Related Posts

कहानी-पिंजरा | Story – Pinjra | cage

December 29, 2022

कहानी-पिंजरा “पापा मिट्ठू के लिए क्या लाए हैं?” यह पूछने के साथ ही ताजे लाए अमरूद में से एक अमरुद

लघुकथा–मुलाकात | laghukatha Mulakaat

December 23, 2022

 लघुकथा–मुलाकात | laghukatha Mulakaat  कालेज में पढ़ने वाली ॠजुता अभी तीन महीने पहले ही फेसबुक से मयंक के परिचय में

लघुकथा –पढ़ाई| lagukhatha-padhai

December 20, 2022

लघुकथा–पढ़ाई मार्कशीट और सर्टिफिकेट को फैलाए उसके ढेर के बीच बैठी कुमुद पुरानी बातों को याद करते हुए विचारों में

Previous

Leave a Comment