भावनानी के व्यंग्यात्मक भाव
शासन से बेवफाई का अंजाम भुगत रहा हूं
भावनानी के व्यंग्यात्मक भाव शासन से बेवफाई का अंजाम भुगत रहा हूं पद और कुर्सी से बेवफाई किया हूं मैंने …
Related Posts
संयुक्त परिवार में जिंदगी जीने का अनमोल लुत्फ़-किशन सनमुखदास भावनानी
January 6, 2022
संयुक्त परिवार में जिंदगी जीने का अनमोल लुत्फ़!!! विश्व प्रसिद्ध सदियों पुरानीं भारतीय संयुक्त परिवार व्यवस्था के मूल्यों को बनाए
सामुदायिक सेवा अनिवार्य बनाना ज़रूरी-किशन सनमुखदास भावनानी
January 6, 2022
युवाओं और स्कूल विद्यार्थियों के लिए सामुदायिक सेवा अनिवार्य बनाना ज़रूरी सेवा भाव हर भारतीय की बुनियादी विरासत में से
दावत- जयश्री बिरमी
December 27, 2021
दावत जब से सरकार ने सामूहिक प्रसंगों पर कौड़ा चलाया हैं, निमंत्रको की संख्या घटादी हैं मुझे कही से भी
प्रेम में सब कुछ चलता हैं(व्यंग)-जयश्री बिरमी
December 19, 2021
प्रेम में सब कुछ चलता हैं (व्यंग) पुरानी फिल्में देख कई दृश्यों का हम मजाक उड़ाते थे।हीरो ने दौड़ती गड्डी
व्यंग -एक ओर स्वप्न- जयश्री बिरमी
December 3, 2021
व्यंग- एक ओर स्वप्न नींद ही नहीं आ रही थी तो मोबाइल में इधर उधर कुछ न कुछ ढूंढ के
vyangkatha- police ka chakravyuh by suresh bhatia
June 23, 2021
व्यंग्य कथा –पुलिस का चक्रव्यूह. मुंगेरी ने कसम खायी थी उसका कितना ही बड़ा नुकसान हो जावे, थाने में रिपोर्ट
