Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

lekh, satyawan_saurabh

भूकंप की तैयारी सिर्फ इमारतों के बारे में नहीं है।

भूकंप की तैयारी सिर्फ इमारतों के बारे में नहीं है। सोशल मीडिया, टीवी चैनलों और अखबारों के जरिए आम लोगों …


भूकंप की तैयारी सिर्फ इमारतों के बारे में नहीं है।

भूकंप की तैयारी सिर्फ इमारतों के बारे में नहीं है।

सोशल मीडिया, टीवी चैनलों और अखबारों के जरिए आम लोगों के जान-माल को भूकंप से बचने के लिए सतर्क और सजग किया जा सकता है। भूकंप से जान-माल से बचाव न हो पाने की वजह यह भी है कि भूकंप आने का वक्त और अंतराल के बारे में वैज्ञानिक कुछ बता पाने की हालात में नहीं हैं। भूकंप आता है, तो लोग मनाते हैं कि वे बचे रहें, लेकिन कुछ साल गुजरता है और फिर भूल जाते हैं कि भूकंप फिर आ सकता है और उससे उनकी जान जा सकती है या गंभीर रूप से घायल हो सकते हैं। इसलिए मानसिक और आर्थिक दोनों तरह से भूकंप से बचने के लिए तैयार रहना जरूरी है। यह सोच कर हम नहीं बच सकते हैं कि ईश्वर जैसा चाहोगे वैसा ही होगा। और यह सोच बनाना भी ठीक नहीं कि इंसान के हाथ में कुछ भी नहीं है। यह सब खुद को तसल्ली देने के लिए तो हम कर सकते हैं, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए सजगता और छद्म अभ्यास के जरिए बेहतर बचाव का उपाय हो सकता है।

– डॉ सत्यवान सौरभ

भारतीय भूभाग का लगभग 58% भूकंप की चपेट में है। भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा तैयार किए गए भारत के भूकंपीय ज़ोनिंग मानचित्र के अनुसार, भारत को चार ज़ोन – II, III, IV और V में विभाजित किया गया है। वैज्ञानिकों ने हिमालयी राज्य में संभावित बड़े भूकंप की चेतावनी दी है। भारत का भू-भाग बड़े भूकंपीय तथ्य/ प्रतिक्रिया व्यक्त करता है, विशेष रूप से हिमालयी प्लेट सीमा, जिसमें बड़ी भूकंपीय घटना (7 और अधिक परिमाण) की क्षमता है। भारत में भूकंप का मुख्य कारण इंडियन प्लेट के यूरेशियन प्लेट से टकराने के कारण होते हैं। इस अभिसरण के परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ है, साथ ही इस क्षेत्र में लगातार भूकंप आ रहे हैं।

भूकंप की तैयारी पर भारत की नीति मुख्य रूप से संरचनात्मक विवरण के पैमाने पर संचालित होती है। यह नेशनल बिल्डिंग कोड द्वारा निर्देशित है। इसमें स्तंभों, बीमों के आयामों को निर्दिष्ट करना और इन तत्वों को एक साथ जोड़ने वाले सुदृढीकरण के विवरण शामिल हैं। यह उन भवनों की उपेक्षा करता है जिनका निर्माण 1962 में ऐसे कोड प्रकाशित होने से पहले किया गया था। ऐसी इमारतें हमारे शहरों का एक बड़ा हिस्सा हैं। यह प्रवर्तन की प्रक्रियाओं में अचूकता मानता है। यह केवल दंड और अवैधताओं पर निर्भर करता है। यह भूकंप को व्यक्तिगत इमारतों की समस्या के रूप में मानता है। यह मानता है कि इमारतें मौजूद हैं और उनके शहरी संदर्भ से पूर्ण अलगाव में व्यवहार करती हैं। मौजूदा ढांचों की रेट्रोफिटिंग और अधिक दक्षता के साथ भूकंपीय कोड लागू करने के लिए कर-आधारित प्रोत्साहनों की एक प्रणाली बनाने की आवश्यकता है। यह अच्छी तरह से प्रशिक्षित पेशेवरों और सक्षम संगठनों का एक निकाय तैयार करेगा।

सोशल मीडिया, टीवी चैनलों और अखबारों के जरिए आम लोगों के जान-माल को भूकंप से बचने के लिए सतर्क और सजग किया जा सकता है। भूकंप से जान-माल से बचाव न हो पाने की वजह यह भी है कि भूकंप आने का वक्त और अंतराल के बारे में वैज्ञानिक कुछ बता पाने की हालात में नहीं हैं। भूकंप आता है, तो लोग मनाते हैं कि वे बचे रहें, लेकिन कुछ साल गुजरता है और फिर भूल जाते हैं कि भूकंप फिर आ सकता है और उससे उनकी जान जा सकती है या गंभीर रूप से घायल हो सकते हैं। इसलिए मानसिक और आर्थिक दोनों तरह से भूकंप से बचने के लिए तैयार रहना जरूरी है। यह सोच कर हम नहीं बच सकते हैं कि ईश्वर जैसा चाहोगे वैसा ही होगा। और यह सोच बनाना भी ठीक नहीं कि इंसान के हाथ में कुछ भी नहीं है। यह सब खुद को तसल्ली देने के लिए तो हम कर सकते हैं, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए सजगता और छद्म अभ्यास के जरिए बेहतर बचाव का उपाय हो सकता है।

जापान इस मामले में एक अच्छा उदाहरण है। इसने अक्सर होने वाले भूकंपों से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए तकनीकी उपायों में भारी निवेश किया है। भूकंप के प्रभाव को कम करने के लिए गगनचुंबी इमारतों को काउंटरवेट और अन्य उच्च तकनीक प्रावधानों के साथ बनाया गया है। छोटे घर लचीली नींव पर बनाए जाते हैं, और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को स्वचालित ट्रिगर के साथ एकीकृत किया जाता है जो भूकंप के दौरान बिजली, गैस और पानी की लाइनों को काट देते हैं। नीति को सर्वेक्षणों और लेखापरीक्षाओं से शुरू होना चाहिए जो भूकंप सभ्यता मानचित्र तैयार कर सकते हैं। ऐसे नक्शे का उपयोग करके, प्रवर्तन, प्रोत्साहन और प्रतिक्रिया केंद्रों को शहरी इलाकों में आनुपातिक रूप से वितरित किया जा सकता है। भूकंप की तैयारी पर एक नीति के लिए दूरदर्शी, क्रांतिकारी और परिवर्तनकारी दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी। भूकंप के विभिन्न खतरों के प्रति भारत की भेद्यता के लिए स्मार्ट हैंडलिंग और दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता है। भारत ने भूकंप प्रतिरोधी निर्माण के लिये बिल्डिंग कोड और मानक स्थापित किये हैं। यह सुनिश्चित करने के लिये इन कोड और मानकों को सख्ती से लागू करना महत्त्वपूर्ण है कि भूकंप का सामना करने हेतु नई इमारतों का निर्माण किया जाए। इसके लिये नियमित निरीक्षण एवं मौजूदा बिल्डिंग कोड के प्रवर्तन की भी आवश्यकता होगी।

पुरानी इमारतें वर्तमान भूकंप प्रतिरोधी मानकों को पूरा नहीं करती हैं और उनमें से कई को उनके भूकंपीय प्रदर्शन में सुधार के लिये पुनः संयोजन या सुदृढीकरण किया जा सकता है। भूकंप के प्रभाव को कम करने के लिये आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना महत्त्वपूर्ण है। इसमें निकासी योजना विकसित करना, आपातकालीन आश्रयों की स्थापना और भूकंप का सामना करने के तरीके पर कर्मियों को प्रशिक्षित करना शामिल है। अनुसंधान एवं निगरानी में निवेश किये जाने से भूकंप तथा उसके कारणों की हमारी समझ में सुधार करने में मदद मिल सकती है और प्रभाव का अनुमान लगाने एवं उसे कम करने हेतु बेहतर तरीके विकसित करने में भी मदद मिल सकती है। भूमि-उपयोग नीतियों की योजना बनाने और उन्हें विकसित करते समय भूकंप के संभावित प्रभावों पर विचार करना महत्त्वपूर्ण है। इसमें भूकंप की संभावना वाले क्षेत्रों में विकास को सीमित करना शामिल है तथा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि नए विकास को इस तरह से डिज़ाइन एवं निर्मित किया जाए जो क्षति के जोखिम को कम करता हो।

About author

डॉo सत्यवान ‘सौरभ’
कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,
333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045
facebook – https://www.facebook.com/saty.verma333
twitter- https://twitter.com/SatyawanSaurabh


Related Posts

भारत-कनाडा विवाद पर दुनियां की नज़र

September 26, 2023

भारत-कनाडा विवाद पर दुनियां की नज़र – कनाडा नाटो, जी-7, फाइव आइज़ का सदस्य तो भारत पश्चिमी देशों का दुलारा

वैश्विक महामंदी से हो सकता है सामना

September 26, 2023

2024 की कामना – वैश्विक महामंदी से हो सकता है सामना दुनियां में वर्ष 2024 में महामंदी छाने की संभावनां

सरकार ऐडेड विद्यालयों का राजकीयकरण

September 26, 2023

सरकार ऐडेड विद्यालयों का राजकीयकरण कर दे, 18 वर्ष पूर्व छीनी गई पुरानी पेंशन को वापस लौटा दे, आज से

कवि पृथ्वी सिंह बैनीवाल के काव्य मे पर्यावरण चेतना

September 26, 2023

कवि पृथ्वी सिंह बैनीवाल के काव्य मे पर्यावरण चेतना– डॉक्टर नरेश सिहाग एडवोकेट अध्यक्ष एवं शोध निर्देशक, हिंदी विभाग, टांटिया

ओबीसी के नाम पर बेवक़ूफ़ बंनाने का ड्रामा

September 24, 2023

ओबीसी के नाम पर बेवक़ूफ़ बंनाने का ड्रामा आंकड़ों का अध्यन करें तो हम पाएंगे कि देश के कुल केंद्रीय

संयुक्त राष्ट्र महासभा का 78 वां सत्र

September 24, 2023

संयुक्त राष्ट्र महासभा का 78 वां सत्र 26 सितंबर 2023 को समाप्त होगा – भारतीय उपलब्धियों का डंका बजा जी-4

PreviousNext

Leave a Comment