Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

lekh, satyawan_saurabh

बड़वा का प्राचीन झांग-आश्रम जहां बादशाह जहांगीर ने डाला था डेरा

बड़वा का प्राचीन झांग-आश्रम जहां बादशाह जहांगीर ने डाला था डेरा 1620 ईसवी के आस -पास मुग़ल बादशाह (सलीम) जहांगीर …


बड़वा का प्राचीन झांग-आश्रम जहां बादशाह जहांगीर ने डाला था डेरा

बड़वा का प्राचीन झांग-आश्रम

1620 ईसवी के आस -पास मुग़ल बादशाह (सलीम) जहांगीर (उत्तरी पूर्वी पंजाब की पहाड़ियों पर स्थित कांगड़ा के दुर्ग) काँगड़ा जाने के लिए इसी रस्ते से गुजरे थे। इस दौरान उनकी सेना ने आराम करने के लिए इस क्षेत्र में पड़ाव डाला था। तभी इनकी मुलाकात संत पुरुष लोह लंगर जी महारज से हुई। पीने के पानी की समस्या से त्रस्त बादशाह जहांगीर की सेना ने यहाँ तालाब की खुदाई कर डाली। जो आज जहांगीर तालाब के नाम से मशहूर है।

-डॉ सत्यवान सौरभ

भिवानी उपमंडल सिवानी के आखरी छोर पर स्थित गाँव बड़वा हिसार जिले को छूता है। हरियाणा के सबसे प्राचीन गाँवों में से एक, बड़वा पहले बड़-बड़वा के नाम से जाना जाता था। बड़वा गाँव कई इतिहासिक साक्ष्यों का गाँव है। इसकी तुलना हवेलियों के वैभवशाली गाँव से की गई है। यह गाँव प्राचीन समय से स्थापत्यकला, मूर्तिकला, साहित्य, चित्रकला, व्यवसाय, धर्म एवं शिक्षा के क्षेत्रों में उत्कृष्ट था। ऐसी ही एक धार्मिक धरोहर झांग-आश्रम को अपने भीतर समेटे है गाँव बड़वा। जिसका वैभव अपार और पहचान साकार। झांग आश्रम बड़वा, हिसार शहर से लगभग 27 किलोमीटर दूर स्थित है। इसमें महंत पुरियों की समाध के साथ-साथ हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिर है। कई शहरों से लोग इस ऐतिहासिक जगह पर आते हैं और वे आश्रम को जानना चाहते हैं और वे अपने जीवन में अनुसरण करना चाहते है।

इतिहास-संत पुरुष लोह लंगर जी महाराज प्राचीन समय में आज से लगभग पांच सौ साल पहले बड़वा के वन क्षेत्र में तपस्या करते थे। इसी दौरान 1620 ईसवी के आस -पास मुग़ल बादशाह (सलीम) जहांगीर (उत्तरी पूर्वी पंजाब की पहाड़ियों पर स्थित कांगड़ा के दुर्ग) काँगड़ा जाने के लिए इसी रस्ते से गुजरे थे। इस दौरान उनकी सेना ने आराम करने के लिए इस क्षेत्र में पड़ाव डाला था। तभी इनकी मुलाकात संत पुरुष लोह लंगर जी महाराज से हुई। पीने के पानी की समस्या से त्रस्त बादशाह जहांगीर की सेना ने यहाँ तालाब की खुदाई कर डाली जो आज जहांगीर तालाब के नाम से मशहूर है।

कालक्रम- लोहा लंगर जी की मृत्यु के सालों बाद महंत बिशंबर गिरी जी ने इस आश्रम का जिम्मा संभाला और जब तक जीवित रहे यही रहकर तपस्या की और अंतत जीवंतसमाधी धारण की। उनके बाद महंत चरणपुरी महाराज ने आश्रम की परंपरा को आगे बढ़ाते हुये यहाँ धार्मिक अनुष्ठान जारी रखे और जीवंत समाधी को प्राप्त हुए। उनके बाद संत पुरुष हनुमान गिरी जी और महंत सेवागीरी जी महाराज आश्रम की गद्दी पर रहे। वर्तमान में महंत श्री दया गिरी जी महाराज पिछले चलीस सालों से हमारी पुरातन संत परंपरा को बनाये हुए है और क्षेत्र की मंगल कामना में लगे रहते है।

मान्यता-बड़वा के झांग आश्रम के बारे गाँव और आस -पास के लोगों की मान्यता है कि झांग -आश्रम क्षेत्र क़े लिए एक आध्यात्मिक चमत्कार है। लोगों की मान्यता है कि आश्रम के संत पुरुषों के प्रताप और दैवीय शक्ति का ही परिणाम है कि बड़वा के आस-पास के क्षेत्र में ओला वृष्टि और टिड्डी दल से नुकसान झेलना पड़ता है। मगर आश्रम के आदि प्रभाव की वजह से गाँव बड़वा के क्षेत्र में ऐसा पिछले पांच सालों में भी नहीं हुआ।यही नहीं यहाँ के बुजुर्ग लोगों में एक किंवदंती भी है कि आश्रम के महाराज चरण पुरी जी मायावी शक्तियों के धनी थे।

उनका दावा था कि गाँव बड़वा में कभी भी ओला वृष्टि और टिड्डी दल से एक पैसे का भी नुकसान नहीं होगा। वो एक मायावी संत थे और अपना चोला बदलने में माहिर थे। रात को वो शेर का रूप धारणकर विचरण करते थे। यही कारण है कि उनके रहते रात के दस बजे के बाद आश्रम में प्रवेश वर्जित था। हो सकता है आधुनिक विज्ञान इन तथ्यों से सहमत न हो फिर भी ये आश्रम गाँव और आस -पास के लोगों के लिए अटूट श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। लोगों को यहाँ आने पर शांति की अनुभूति जरूर होती है।

धार्मिक अनुष्ठान- वैसे तो बड़वा के झांग आश्रम में हर दिन कीर्तन-भजन और यज्ञ होते है। मगर आश्रम के सबसे प्रतिष्ठित संस्थापक संत महंत विशमबर गिरी जी की पुण्यतिथि पर एक राष्ट्रीय संत-समागम और भंडारा आश्रम की मंडली के द्वारा आयोजित किया जाता है। जिसमे हज़ारों की संख्या में संत और श्रद्धालु आश्रम के दर्शन हेतु पहुँचते है। इस दौरान क्षेत्र में शांति हेतु महायज्ञ किये जाते है और शांति के लिए मनोकामना की जाती है।

कैसे चलता है आश्रम का खर्च-आश्रम में होने वाले प्रतिदिन खर्चे का बोझ दान स्वरुप आई राशि से वहन होता है। जिसका वार्षिक हिसाब रखा जाता है। यही नहीं आश्रम के पास खुद की सैंकड़ों एकड़ जमीन है जिसका आय का उपयोग यहाँ होने वाले धार्मिक कार्यकमों के खर्चे में किया जाता है। इसके साथ झांग मंडली आश्रम के कार्यों में हर तरह से सहयोग करती है। झांग आश्रम बड़वा, हिसार शहर से से लगभग 27 किलोमीटर दूर स्थित है। इसमें महंत पुरियों की समाध के साथ-साथ हिन्दू देवी देवताओं के मंदिर है। गाँव के प्रबुद्ध नागरिकों नाहर सिंह तंवर, संजय स्वामी, लालसिंह लालू ने बताया कि कई शहरों से लोग इस ऐतिहासिक जगह पर आते हैं और वे आश्रम को जानना चाहते हैं और वे अपने जीवन में अनुसरण करना चाहते है। यहां पहुँचने के लिए कई मार्ग है।

हवाई मार्ग द्वारा- दिल्ली से निकटतम हवाई अड्डा हिसार है। दिल्ली, चंडीगढ़ तक नियमित उड़ानें हैं। आगे सड़क मार्ग से आया-जाया जा सकता है। ट्रेन द्वारा-हिसार से निकटतम रेलवे स्टेशन नलोई बड़वा और सिवानी है। आश्रम से लगभग 4 किमी दूर दो रेलवे स्टेशन है। सड़क के द्वारा- बड़वा झांग सडक मार्ग द्वारा हिसार-राजगढ़ नेशनल हाईवे के साथ जुड़ा हुआ है। आश्रम, बड़वा गाँव के बस स्टैंड से लगभग 2 किलोमीटर दूर नलोई सड़क मार्ग पर स्थित है।

About author

Satyawan saurabh
 डॉo सत्यवान ‘सौरभ’
कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,
333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045
facebook – https://www.facebook.com/saty.verma333
twitter- https://twitter.com/SatyawanSaurabh

Related Posts

Kitne ravan jalayenge hum by Jay shree birmi

October 23, 2021

कितने रावण जलाएंगे हम? कईं लोग रावण को महान बनाने की कोशिश करतें हैं,यह कह कर माता सीता के हरण

Rista me chhal by Jayshree birmi

October 22, 2021

 रिश्ता में छल कुछ दिन पहले गांधीनगर गुजरात  के मंदिर की गौ शाला में किसी का १० माह के बालक

Sharad purinima by Jay shree birmi

October 22, 2021

 शरद पूर्णिमा अपने देश में ६ ऋतुएं हैं और हर ऋतु का अपना महत्व हैं।जिसमे बसंत का महत्व ज्यादा ही

Gujrat me 9 ratein by Jay shree birmi

October 22, 2021

 गुजरात में नौ रातें  हमारा देश ताहेवारों का देश हैं ,तहवार चाहे हो ,सामाजिक हो या धार्मिक हो हम देशवासी

Khud ko hi sarvshreshth na samjhe by Sudhir Srivastava

October 22, 2021

 खुद को ही सर्वश्रेष्ठ न समझें                         ✍ सुधीर

Kitne ravan jalayenge hum ? By Jayshree birmi

October 15, 2021

 कितने रावण जलाएंगे हम? कईं लोग रावण को महान बनाने की कोशिश करतें हैं,यह कह कर माता सीता के हरण

Leave a Comment