Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

kishan bhavnani, poem, vyang

धर्म और जाति की आड़ में छिपता हूं

भावनानी के व्यंग्यात्मक भाव धर्म और जाति की आड़ में छिपता हूं आज के बढ़ते ट्रेंड की ओर बढ़ रहा …


भावनानी के व्यंग्यात्मक भाव

धर्म और जाति की आड़ में छिपता हूं

आज के बढ़ते ट्रेंड की ओर बढ़ रहा हूं
कोई आरोप इल्ज़ामअगर महसूस कर रहा हूं
तो समाज़ धर्म का पीड़ित हूं कह देता हूं
धर्म और जाति की आड़ में छिपता हूं

धर्म और जाति को ढाल बनाकर करता हूं
मेरी धर्मजाति का फायदा उठाते हैं बोलता हूं
ईडी सीबीआई का फंदा लगाते हैं बोलता हूं
धर्म और जाति की आड़ में छिपता हूं

ढाल सिर्फ अपनी नेतागिरी चमकाने बनाता हूं
हकीकत है धर्मजाति से लेना-देना नहीं मानता हूं
जनता के सामने शासन प्रशासन को चमकाता हूं
धर्म और जाति की आड़ में छिपता हूं

हालांकि पहले हरेगुलाबी,पदकी डिमांड करता हूं
काम नहीं बना तो यह सियासी चाल चलता हूं
धर्म जाति का कार्ड जोर-शोर से खेलता हूं
धर्म और जाति की आड़ में छिपता हूं

किसी को बताना मत अपना स्वार्थ चमकाता हूं
पद और मलाई के लिए शिंगुफा छोड़ता हूं
तीर निशाने पर लगा तो फायदा उठाता हूं
धर्म और जाति की आड़ में छिपता हूं

About author

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 

Related Posts

Gazal huwa ghatak corona by brijesh sinha

June 3, 2021

ग़ज़ल  -हुआ घातक करोना, हुआ घातक करोना,यार कब इसको हरायेंगे, | अगर अब भी नहीं सतर्क होये, मारे जाएँगे ||1

kavita zindagi by deepika biswal

June 3, 2021

 जिंदगी जिदंगी को अजीब कहा जाए या किस्मत को अजीब कहा जाए? लोगो से एक बात बार – बार सुनी

kavita mujhse aa kar ke mil raha koi

June 3, 2021

कविता -मुझसे आ करके मिल रहा कोई। मुझसे आ करके मिल रहा कोई। ख्वाब आंखों में पल रहा कोई। सूना

kavita meri kismat me kya pta kya by ramesh

June 3, 2021

 मेरी किस्मत में क्या पता क्या मेरी किस्मत में क्या पता क्या फिर भी उनके इरादे भाप लिया चाहत के

मेरा गाँव कविता| mera gaon kavita written by ramdheraj

मेरा गाँव कविता| mera gaon kavita written by ramdheraj

June 3, 2021

यह मेरा गाँव कविता गांव के जीवन को बहुत अच्छी से दिखाती है । तथा गांव में बिताए गए पलों को याद दिलाती है । आज हम शहरो की तरफ भाग आए है लेकिन हमारा बचपन अभी भी उन गांवो में ही कैद है ।

kavita do kandhe mil jate hai by chanchal krishnavanshi

June 3, 2021

कविता -दो कन्धे तो मिल जाते हैं यहां मुझे दो कन्धे तो मिल जाते हैं यहां मुझे, रोने के बादमानता

Leave a Comment