Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Aalekh, Bhaskar datta

गंगा में काशी और काशी में गंगा

गंगा में काशी और काशी में गंगा बनारस एक ऐसी संस्कृति रूपी  प्राचीनतम धरोहर है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति तन रूपी …


गंगा में काशी और काशी में गंगा

गंगा में काशी और काशी में गंगा

बनारस एक ऐसी संस्कृति रूपी  प्राचीनतम धरोहर है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति तन रूपी सौंदर्य से मनोवांछित गंगा की धारा में सस्वर भासमान होना चाहता है ,क्योंकि नित्य प्रातःकाल भगवान भास्कर भी अपनी भास्वर किरणों से गंगा मइया के चरणस्पर्श कर चरणामृत स्वरूप काशी विश्वनाथ का मुक्तभाव से दर्शन पाकर स्वयं भासित होते हुए सम्पूर्ण विश्व को प्रकाशित करने का साहस जुटाते हैं।भगवान शिव, उनका डमरू और त्रिशूल पर स्थित तीनों लोकों से न्यारी काशी ,विद्या की अपूर्व जननी, वरुणा और अस्सी को जोड़कर ही तो वाराणसी बनी है।इसलिए जो काशी है ,उसी का विश्वविद्यालयी नाम ही तो वाराणसी है।यहाँ की सारी वस्तुएं इसी कथन का   समर्थन करती हैं और प्रतीकार्थ रूप में पुष्पित -पल्लवित एवं विकसित होती दिखाई देती हैं जैसे- बी.एच.यू.।बीएचयू का पूरा जन्म काशी के प्रांगण में पंडित मदनमोहन मालवीय जी के अथक परिश्रम और इच्छा शक्ति की अधिकता का सुसंगत मीठा फल है ।यह मीठा फल मालवीय जी की बगिया को हर एक क्षेत्र में प्रतिष्ठित करने का शानदार शब्द और यज्ञ है ,जिसे काशी(बनारस) हिंदू विश्वविद्यालय ऐसे सुंदर नाम से अभिहित किया जाता रहा है ।इसका कुलगीत भी मन को मोह लेने में कोई कसर नहीं छोड़ता ….”मधुर मनोहर अतीव सुंदर,

यह सर्वविद्या की राजधानी।

यह तीनों लोकों से न्यारी काशी।

सुज्ञान धर्म और सत्यराशी।

बसी है गँगा के रम्य तट पर,

यह सर्वविद्या की राजधानी।….

       {डॉ. शांतिस्वरूप भटनागर रचित} ।

ये अतीव सुंदरता से परिपूर्ण कुलगीत ही काशी की महनीय संस्कृति का परिचायक होने साथ ही साथ बीएचयू की सम्पूर्ण जीवनगाथा का अन्यतम हिस्सा है।काशी में कबीर,काशी में तुलसी और हरिश्चंद्र भी तो काशी के अग्रदूत रह चुके हैं ।काशी विश्वनाथ के दो भव्य मंदिर भी काशी में है जिनमें एक बीएचयू के बाहर (सोने के छत्र से पूरित विशालतम मुकुट)और  दूसरा बीएचयू के अंतःपुर में स्थित है तथा दोनों ही सौंदर्य में अद्वितीय स्थान रखते हैं ।काशी और गंगा के लिए बीएचयू के बाहर वाला मंदिर किसी भी स्वर्ग से कम नहीं है और बनारस का स्वर्ग बीएचयू और बीएचयू का स्वर्ग, बीएचयू के अंदर विद्यमान काशी विश्वनाथ का मंदिर है,जिसे सभी लोग जल्दबाजी में वी.टी.टेम्पल ही कहते हैं।काशी की गलियों में अनेक मंदिरों की कथा कहानी का पूर्व अध्याय थी जिसका दर्शन मात्र भी व्यक्ति को मोक्ष का अतुलनीय प्रसाद देकर मन की पवित्रता ,शांति और संतुष्टि के लिए बहुत बड़ी आस्था थी जिसमें गंगा आरती का नेत्र लाभ भी सम्मिलित था ,वही सब आज भी काशी के घाटों पर गंगा तट पर देखा जाता है रोज नए लपटऔर अद्भुत आकांक्षा के साथ……..यही तो काशी की महिमा है, जिसमें भगीरथ की गंगा प्रवाहित है न जाने कब से और उसका अस्तित्व अब भी काशी की कथा सौंदर्य कहते नहीं थक रहा है और काशी भी गंगा को अपने आँचल में अक्षत रखती हुई गतिमान है बिना किसी द्वैष के…….।

About author

भास्कर दत्त शुक्ल  बीएचयू, वाराणसी
भास्कर दत्त शुक्ल
 बीएचयू, वाराणसी


Related Posts

कविता –छात्र नेता, गोली और हत्या |kavita

April 6, 2023

” छात्र नेता, गोली और हत्या “ मैं नहीं कहता कि मुझे अपने ही मारेंगेमुझे अपनों पर पूरा भरोसा हैतब

बेटियों को आग सी जल्लद और चट्टान सी कठोर बनाईये

October 1, 2022

 “बेटियों को आग सी जल्लद और चट्टान सी कठोर बनाईये” जानें कब करवट लेगी ज़िंदगी कमज़ोर शब्द से उलझते थकी

दैनिक स्तंभ लेखन को समर्पित हरियाणा की ‘सौरभ दंपति’

September 23, 2022

 दैनिक स्तंभ लेखन को समर्पित हरियाणा की ‘सौरभ दंपति’ आजकल ‘सत्यवान सौरभ एवं प्रियंका सौरभ’ युवा-दंपति की लेखनी का समसामयिकी

अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस 21 सितंबर 2022 पर विशेष

September 21, 2022

अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस 21 सितंबर 2022 पर विशेष पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।  सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥ आओ

21 सितंबर – अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस

September 20, 2022

केवल प्यार ही घृणा को दूर कर सकता है। एक शांतिपूर्ण वातावरण सामंजस्यपूर्ण जीवन सुनिश्चित करता है और आपसी समझ

राष्ट्रीय माल ढुलाई (लॉजिस्टिक) नीति का शुभारंभ

September 18, 2022

 राष्ट्रीय माल ढुलाई (लॉजिस्टिक) नीति का शुभारंभ  दुनियां में आत्मनिर्भर होते भारत की मेक इन इंडिया गूंज का आगाज़  पीएम

Leave a Comment