Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Mahesh_kumar_keshari, vyang

अमर्यादित शब्द

 व्यंग्य –अमर्यादित शब्द संसद में अभी एक प्रस्ताव आया है , कि हमारे माननीय ” अमर्यादित शब्दों ” का इस्तेमाल …


 व्यंग्य –अमर्यादित शब्द

संसद में अभी एक प्रस्ताव आया है , कि हमारे माननीय ” अमर्यादित शब्दों ” का इस्तेमाल नहीं करेंगें l 

और , ” अमर्यादित शब्द ” कौन – कौन से हैं , उनकी व्याख्या भी सप्रसंग , एक किताब में की गई है l ये किताब सन् 2004 में आई थी l इसको किताब कहना उचित नहीं होगा l दर असल ये साँगो-पाँग या विश्व कोष की तरह की एक किताब है l जिसमें करीब नौ – सौ पेज हैं l सुना है हर पाँच सालों में इस किताब को छपवाकर हमारे माननीयों को बाँटा जाता है l हमारे पवित्र संसद और विधानसभाओं में जहाँ स्पीकर के साथ अभद्र व्यवहार से लेकर माननीयों का आपस में गाली – गलौज से लेकर जूतम पैजार तक की घटना सामान्य सी बात है l तो , फिर प्रश्न उठता है कि ऐसे ” अमर्यादित शब्दों ” के ऊपर लिखी लगभग नौ सौ पृष्ठों की भारी भरकम विश्वकोश को हमारे माननीयों को पढने के लिये देना , जनता के पैसे का दुरूपयोग नहीं तो और क्या है ? भाई साँप के आगे बीन बजाने से तो फर्क पड़ेगा l भैंस के आगे बीन बजाकर क्या होगा ? 

एक दिन हमारे अभिन्न मित्रों में से एक 

बल्लम जी हमारे यहाँ पधारे l कहने लगे यार हमारी तो दसियों किताबें और पाँडुलिपियाँ ऐसे ही पड़ी हुई हैं l पता नहीं वो कब तक छपेंगीं ? और वो हमारी वर्तमान सरकार को कोसने लगे l हमारी सरकार ” अमर्यादित शब्दों ” के ऊपर नौ – सौ पृष्ठों की किताबें निकाल कर हमारे माननीयों को बाँट रही है l अगर सरकार की कृपा दृष्टि हमारे ऊपर पड़ी रहती तो हमारी एक किताब जो लगभग सौ पृष्ठों की होगी l तो, इस हिसाब से एक साथ मेरी नौ पाँडुलिपियों का उद्धार हो जाता l और देश में मौजूद हजारों माननीयों को अगर जोड़ा जाये तो हमारे जैसे हजारों लेखकों की पाँडुलिपियाँ जो हर पाँच साल में प्रकाश में आने से रह जातीं हैं l वो प्रकाशित होकर बाहर आ जातीं l

अब जरा इन अमर्यादित शब्दों पर गौर कीजिये – , घड़ियाली आँसू , लाॅलीपाप और शकुनी l शकुनी अमर्यादित शब्द कैसे हो गया ? जब हर दल में ऐसे लोग भरे पड़े हैं l कभी – कभी माननीयों को एक दिन में कई – कई बार श्राद्ध कार्यक्रमों में जाना पड़ता है l तो क्या वो सचमुच में रोयेंगें ? जनता को ताउम्र वो लाॅलीपाप ही थमाते रहते हैं l फिर ये शब्द अमर्यादित शब्द कैसे हो गये ? 

इस तरह अगर देखा जाये तो हिंदी साहित्य में हर पाँच सालों में ऐसी कई महान विभूतियाँ की किताबों की पाँडुलिपियाँ आत्महत्याएँ कर लेती हैं l अगर सरकार इधर ध्यान देती तो उनका उद्धार हो जाता l इसके अलावे सरकार से मेरा एक प्रश्न ये भी है , कि हमारे माननीयों में से जो ज्यादातर अँगूठा छाप ही हैं l और जिन्होंने अपने पूरे जीवणकाल में कुछ भी मर्यादित नहीं बोला है , या लिखा – पढ़ा या किया है l उनको ” अमर्यादित शब्दों ” के ऊपर नौ सौ पृष्ठों की किताब थमा देना l आम आदमी के श्रम का दोहन नहीं तो और क्या है ? कभी – कभी सरकार की इन साहित्य- विरोधी नीतियों की समझ पर माथा ठोंक लेने का मन करता है l कभी – कभी मैं ये भी सोचता हूँ कि हमने जो भी लिखा वो हमेशा मर्यादा में रहकर ही लिखा l लेकिन सरकार ने हम लेखकों के लिखे ” मर्यादित साहित्य ” को छापने की कभी कोई योजना नहीं निकाली l ना जाने कितनी प्रतिभायें साहित्य में उजागर होते – होते रह गईं l आज इतने सालों के बाद हिंदी साहित्य में किसी को ” बुकर पुरस्कार ” मिला है l जिन महान साहित्यिक विभूतियों की किताबें अप्रकाशित रहने के कारण कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जैसे – नोबेल पुरस्कार आदि सम्मान पाने से वंचित रह गईं हैं l हो ना हों इसमें ” आमर्यादित शब्दों ” की किताब के कारण साहित्यिक किताब और लेखकों को अपूरणीय क्षति हुई है l इसलिये तरह – तरह की दुर्घटनाओं के बाद जो एक ” मुआवजे ” की राशि लोगों को मिलती है l साहित्य में इसे ” साहित्यिक मुआवजे ” का नाम दिया जाना चाहिये l और , उसे उन अप्रकाशित साहित्य – विभूतियों को हर साल दिया जाना चाहिये l 

माननीय न्यायालय को स्वत: संज्ञान लेते हुए आम – आदमी के पैसों के दुरुपयोग पर सरकार के सलाहकारों और नीति- निर्माताओं को नोटिस जारी करते हुए स्पष्टीकरण माँगा जाना चाहिये l ताकि हम लेखक जो अपनी मर्यादा में रहकर मर्यादित साहित्य लिख रहें हैं l उसका उद्धार हो सके l 

About author 

Mahesh kumar Keshari
परिचय – 
नाम – महेश कुमार केशरी
जन्म -6 -11 -1982 ( बलिया, उ. प्र.) 
शिक्षा – 1-विकास में श्रमिक में प्रमाण पत्र (सी. एल. डी. , इग्नू से) 
2- इतिहास में स्नातक ( इग्नू से) 
3- दर्शन शास्त्र में स्नातक ( विनोबा भावे वि. वि. से) 
अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन – सेतु आनलाईन पत्रिका (पिटसबर्ग अमेरिका से प्रकाशित) .
राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन- वागर्थ , पाखी , कथाक्रम, कथाबिंब , विभोम – स्वर , परिंदे , गाँव के लोग , हिमप्रस्थ , किस्सा , पुरवाई, अभिदेशक, , हस्ताक्षर , मुक्तांचल , शब्दिता , संकल्य , मुद्राराक्षस उवाच , पुष्पगंधा , 
अंतिम जन , प्राची , हरिगंधा, नेपथ्य, एक नई सुबह, एक और अंतरीप , दुनिया इन दिनों , रचना उत्सव, स्पर्श , सोच – विचार, व्यंग्य – यात्रा, समय-सुरभि- अनंत, ककसार, अभिनव प्रयास, सुखनवर , समकालीन स्पंदन, साहित्य समीर दस्तक, , विश्वगाथा, स्पंदन, अनिश, साहित्य सुषमा, प्रणाम- पर्यटन , हॉटलाइन, चाणक्य वार्ता, दलित दस्तक , सुगंध, 
नवनिकष, कविकुंभ, वीणा, यथावत , हिंदुस्तानी जबान, आलोकपर्व , साहित्य सरस्वती, युद्धरत आम आदमी , सरस्वती सुमन, संगिनी,समकालीन त्रिवेणी, मधुराक्षर, प्रेरणा अंशु , तेजस, दि – अंडरलाईन,शुभ तारिक , मुस्कान एक एहसास, सुबह की धूप, आत्मदृष्टि , हाशिये की आवाज, परिवर्तन , युवा सृजन, अक्षर वार्ता , सहचर , युवा -दृष्टि , संपर्क भाषा भारती , दृष्टिपात, नव साहित्य त्रिवेणी , नवकिरण , अरण्य वाणी, अमर उजाला, पंजाब केसरी , प्रभात खबर , राँची एक्स्प्रेस , दैनिक सवेरा , लोकमत समाचार , दैनिक जनवाणी , सच बेधड़क , डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट , नेशनल एक्स्प्रेस, इंदौर समाचार , युग जागरण, शार्प- रिपोर्टर, प्रखर गूंज साहित्यनामा, कमेरी दुनिया, आश्वसत के अलावे अन्य पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित . 
 चयन – (1 )प्रतिलिपि कथा – प्रतियोगिता 2020 में टाॅप 10 में कहानी ” गिरफ्त ” का चयन  
(2 ) पच्छिम दिशा का लंबा इंतजार ( कविता संकलन )
जब जँगल नहीं बचेंगे ( कविता संकलन ), मुआवजा ( कहानी संकलन ) 
(3)संपादन – प्रभुदयाल बंजारे के कविता संकलन ” उनका जुर्म ” का संपादन..
(4)-( www.boltizindgi.com) वेबसाइट पर कविताओं का प्रकाशन
(5) शब्द संयोजन पत्रिका में कविता ” पिता के हाथ की रेखाएँ “
 का हिंदी से नेपाली भाषा में अनुवाद सुमी लोहानी जी द्वारा और ” शब्द संयोजन ” पत्रिका में प्रकाशन आसार-2021 अंक में.
(6) चयन – साझा काव्य संकलन ” इक्कीस अलबेले कवियों की कविताएँ ” में इक्कीस कविताएँ चयनित
(7) श्री सुधीर शर्मा जी द्वारा संपादित ” हम बीस ” लघुकथाओं के साझा लघुकथा संकलन में तीन लघुकथाएँ प्रकाशित 
(8) सृजनलोक प्रकाशन के द्वारा प्रकाशित और संतोष श्रेयंस द्वारा संपादित साझा कविता संकलन ” मेरे पिता” में कविता प्रकाशित 
(9) डेली मिलाप समाचार पत्र ( हैदराबाद से प्रकाशित) दीपावली प्रतियोगिता -2021 में ” आओ मिलकर दीप जलायें ” कविता पुरस्कृत
(10) शहर परिक्रमा – पत्रिका फरवरी 2022- लघुकथा प्रतियोगिता में लघुकथा – ” रावण” को प्रथम पुरस्कार
(11) कथारंग – वार्षिकी -2022-23 में कहानी ” अंतिम बार ” 
प्रकाशित
(12)व्यंग्य वार्षिकी -2022 में व्यंग्य प्रकाशित 
(13) कुछ लघुकथाओं और व्यंग्य का पंजाबी , उड़िया भाषा में अनुवाद और प्रकाशन 
(14)17-07-2022 – वर्ल्ड पंजाबी टाइम्स चैनल द्वारा लिया गया साक्षात्कार 
(15) पुरस्कार – सम्मान – नव साहित्य त्रिवेणी के द्वारा – अंर्तराष्ट्रीय हिंदी दिवस सम्मान -2021
संप्रति – स्वतंत्र लेखन एवं व्यवसाय
संपर्क- श्री बालाजी स्पोर्ट्स सेंटर, मेघदूत मार्केट फुसरो, बोकारो झारखंड -829144


Related Posts

चोट-लघुकथा

February 14, 2022

लघुकथा – चोट बहुत देर बाद नीरव बाबू को होश आया था l शायद वो चूक गये थे l आस

व्यंंग्य- सुधीर श्रीवास्तव

February 4, 2022

व्यंंग्य राजनीति करना चाहता हूँ मैं भी सोचता हूँकि राजनीति में कूद पड़़ूं,इस हमाम में सब नंगेमैं ही तन ढाक

दावत- जयश्री बिरमी

December 27, 2021

 दावत जब से सरकार ने सामूहिक प्रसंगों पर कौड़ा चलाया हैं, निमंत्रको की संख्या घटादी हैं मुझे कही से भी

प्रेम में सब कुछ चलता हैं(व्यंग)-जयश्री बिरमी

December 19, 2021

प्रेम में सब कुछ चलता हैं (व्यंग) पुरानी फिल्में देख कई दृश्यों का हम मजाक उड़ाते थे।हीरो ने दौड़ती गड्डी

व्यंग -एक ओर स्वप्न- जयश्री बिरमी

December 3, 2021

व्यंग- एक ओर स्वप्न नींद ही नहीं आ रही थी तो मोबाइल में इधर उधर कुछ न कुछ ढूंढ के

vyangkatha- police ka chakravyuh by suresh bhatia

June 23, 2021

व्‍यंग्‍य कथा –पुलिस का चक्रव्‍यूह. मुंगेरी ने कसम खायी थी उसका कितना ही बड़ा नुकसान हो जावे, थाने में रिपोर्ट

Previous

Leave a Comment