सरकार ऐडेड विद्यालयों का राजकीयकरण कर दे, 18 वर्ष पूर्व छीनी गई पुरानी पेंशन को वापस लौटा दे, आज से 40 वर्ष पूर्व स्थापित चयन बोर्ड तथा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 की धारा 21, 18 तथा 12 में मिली हुई शिक्षकों की सेवा सुरक्षा और सेवा शर्तों को वापस कर दे, पूंजीपतियों और शिक्षा के व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के इरादे से प्रदेश के गरीबों और वंचितों के लिए स्थापित जन शिक्षा व्यवस्था के निजीकरण की साजिश को बंद कर दे, दैनिक मजदूरों से भी बदतर हालत में जी रहे वित्त विभिन्न विद्यालय के शिक्षकों को आर्थिक न्याय दे दे तथा सरकार अपने शिक्षा विभाग के कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार और कार्यसंस्कृति को सुधार ले, तो शिक्षक इस आंदोलन और संघर्ष के रास्ते से खुद-ब-खुद दूर हो जाएंगे। सरकार से निवेदन है कि उज्जवल पक्ष और कृष्ण पक्ष बता कर शिक्षकों के विभाजन की राजनीति को बंद करें।
उन्होंने कहा कि प्रदेश शिक्षक अपने विद्यालयों में शांतिपूर्वक पठन-पाठन का अपना कार्य करना चाहता है, इसलिए सरकार से अनुरोध करते हैं कि शीघ्र से शीघ्र संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल मंडल से वार्ता करके समस्याओं का समाधान करें।
लालमणि द्विवेदी
संयोजक
उ०प्र० माध्यमिक शिक्षक संघ
(संयुक्त मोर्चा)