Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

व्यंग्य -बारहवीं के बाद का बवाल |

व्यंग्य -बारहवीं के बाद का बवाल बारहवीं का रिजल्ट आते ही बच्चों और उनके मां-बाप का बीपी बढ़ने लगता है। …


व्यंग्य -बारहवीं के बाद का बवाल

व्यंग्य -बारहवीं के बाद का बवाल |sarcasm - ruckus after twelfth
बारहवीं का रिजल्ट आते ही बच्चों और उनके मां-बाप का बीपी बढ़ने लगता है। उनका टेंशन सातवें आसमान पर पहुंच जाता है। बारहवीं पास करने वाले लड़के-लड़कियां कौन सी लाइन पकड़ें, कहां एडमिशन कराएं, इस चिंता में गार्जियन मवाली की तरह इधर-उधर भटकने लगते हैं। इस कालेज से उस कालेज चक्कर लगाते हैं। चारों ओर फार्म भर कर ‘चातक’ की तरह ‘एडमिशन’ की राह देखते हैं। मेरिट लिस्ट के बाहर आते ही लाटरी के टिकट की तरह ‘एडमिशन लगा’ कि नहीं, यह देखने के लिए तत्पर हो उठते हैं। बच्चे का अधिक प्रतिशत आया है, तब तो कोई दिक्कत नहीं होती, पर अगर कम आया गया, तब बच्चे की ही नहीं, गार्जियन की भी खटिया खड़ी हो जाती है। पहचान खोज कर, ‘सिफारिश’ लगा कर या फिर डोनेशन देकर एडमिशन कराने के लिए परेशान हो उठते हैं। सचमुच, बारहवीं के रिजल्ट के बाद स्टूडेंट और पैरेंट्स सभी की हालत पिंजरे में फंसे बंदर जैसी हो जाती है। हमारे यहां अभी भी साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स, इस तरह की तीन मुख्य फैकल्टी हैं। इसके अलावा अन्य किसी स्ट्रीट में जाना हो तो किसी को कुछ सूझता ही नहीं है और कोई सोचता भी नहीं है। साइंस में ज्यादातर लोग डाक्टर, इंजीनियर या बीएससी करते हैं। कॉमर्स में सीए, सीएस, आईसीडब्ल्यू बनते हैं। और आर्ट्स में लोग लिटरेचर, हिस्ट्री या साइकोलाॅजी लेते हैं। इसके अलावा दुनिया में ‘और भी हैं राहें’ हैं तो लोग चांस लेना नहीं चाहते, इसलिए पैरेंट्स, गार्जियन अपने पाल्य को मुख्य धारा में धकेल देते हैं। इस तरह देखा जाए तो इसके अलावा कोई खास ऑप्शंस न होने से ही इस स्थिथि का निर्माण हुआ है। ऐसे ‘भीषण’ संयोगों में हमने ऐसे तमाम नए ‘कैरियर ऑप्शंस’ पेश करने का बीड़ा उठाया है। ये ऐसे कैरियर ऑप्शंस है, जिनके लिए पढ़ने या रिजल्ट का मोहताज नहीं होना पड़ेगा। तो चलिए इस तरह के झकास ‘कैरियर ऑप्शंस’ चेक कर लेते हैं।
बीबीजी यानी कि बैचलर इन बाबागिरी : फैकल्टी में एडमिशन लेने के लिए आप को किसी भी तरह की शैक्षणिक योग्यता की जरूरत नहीं है। आपको हमेशा अस्खलित, धड़ाधड़ बोलना आना चाहिए। लोगों को अपनी बातों में ‘लपेट कर’ मूर्ख बनाना आता है तो और भी अच्छा है। धर्म, श्रद्धा और आस्था के नाम पर आप लोगों को ‘इमोशनली एक्सप्लाॅइट’ कर सकते हैं तो आप ‘बैचलर इन बाबागिरी’ में हंड्रेड पर्सेंट एडमिशन पा सकते हैं। इस कोर्स में आप को चंट और ठग बाबाओं का चरित्र पढ़ाया जाएगा। आप को ‘ढ़ोंगी बाबा’ बनने की प्रेरणा दी जाएगी। किसी ‘चालाक बाबा’ के यहां आप को ट्रेनिंग-अप्रेंटिस के लिए भेजा जाएगा। आप लोगों को उल्लू बनाने में ‘माहिर’ हो जाएंगे तो आप को किसी आश्रम में ‘प्लेसमेंट’ भी मिल जाएगा। आप को तमाम किराए के भक्त भी प्रोवाइड कराए जाएंगे और आप एक बार ‘बैचलर इन बाबागिरी’ हो गए तो फिर आप की बल्ले-बल्ले हो जाएगी। लोग आप का भंडार भरते रहेंगे और आप को भगवान की तरह पूजते रहेंगे। इस कोर्स में किसी भी जाति, उम्र या साइज के स्त्री, पुरुष या अन्य का एडमिशन हो सकेगा। एडमिशन कभी भी लिया जा सकता है।
एमएसजी यानी कि मास्टर आफ सुपारीगिरी : मास्टर इन सुपारीगिरी में एडमिशन लेने के लिए आप में किसी भी तरह की योग्यता, ज्ञान, होशियारी या अक्ल का न होना जरूरी है। इसमें ‘सुपारी’ उठाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। यहां यह कहना खास जरूरी है कि इस कोर्स की सुपारी पान की दुकान पर मिलने वाली कच्ची, पक्की, भुनी सेवर्धन, टुकड़ा, गली, मीठी सुपारी के साथ दूरदूर का संबंध नहीं है। कोई लेनादेना भी नहीं है। इस कोर्स में ‘सुपारी लेने’ यानी कि जीवित व्यक्ति की जान लेने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इस कोर्स में कब, किसकी सुपारी ली जाए, यह सिखाने के साथ-साथ व्यक्ति के रुतबे और हैसियत के हिसाब से किस की कितने में सुपारी ली जाए, यह बताया-समझाया जाएगा, साथ ही हिंसक शस्त्रों और हिंसक भाषा का कैसे और कितना उपयोग करना है, का ‘प्रेक्टिकल नॉलेज भी दिया जाएगा। क्रूर व्यवहार, मारपीट, धमकी और पिटाई किस तरह करनी है, इसका सच्चा ज्ञान दिया जाएगा। कुख्यात, फिरौतीबाज, अपहरणकर्ता, हायर्ड किलर्स की सुपारीबाजों से रूबरू मुलाकात करा कर उनसे ‘एक्च्युअल ट्रेनिंग’ भी दिलाई जाएगी। सुपारीबाजों को पुलिस और कानून के चंगुल में फंसे बगैर किस तरह धंधा करना है, इसका विशेषज्ञों से ज्ञान दिलाया जाएगा। ‘मास्टर इन सुपारीगिरी’ करने वाले सुपारीबाज के लिए भविष्य में राजनीति में घुसने का चांस मिलता है तो इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
पीओ यानी कि पेपर आऊट कराने की एक्च्युअल ट्रेनिंग
पीओ के कोर्स में विद्यार्थियों को मात्र अक्षर ज्ञान होना जरूरी है। क्योंकि इस कोर्स में पेपर आऊट कराने की ट्रेनिंग दी जानी है। यानी कि जब विद्यार्थी थोड़ा-बहुत पढ़ा होगा, तभी उसे ही पता चलेगा कि उसने एग्जाम का पेपर आऊट कराया है या न्यूज पेपर। इस कोर्स में सभी जानी-अंजानी परीक्षाओं के पेपर आऊट करना सिखाया जाएगा। प्रोफेसर, प्रिंसिपल, चपरासी, प्रेसवालों से किस तरह बात करनी है, इन्हें किस तरह पटाना है, इसका ज्ञान दिया जाएगा। परीक्षा के महत्व को देख कर पेपर आऊट कराने के मूल्य और मूल्यांकन तय करना सिखाया जाएगा। आऊट किए गए पेपर के लिए ग्राहक खोजना, उसे बेचना, उसकी मार्केटिंग स्किल सिखाई जाएगी और पेपर आऊट-लीक कर बेच कर पैसे बना कर गायब हो जाना भी सिखाया जाएगा। पीओ की ट्रेनिंग लेने वाले आजीवन बिजनेस कर सकेंगे। बताइए भाइयों हैं न कमाल के ‘कैरियर विकल्प…’

About author 

वीरेन्द्र बहादुर सिंह जेड-436ए सेक्टर-12, नोएडा-201301 (उ0प्र0) मो-8368681336

वीरेन्द्र बहादुर सिंह
जेड-436ए सेक्टर-12,
नोएडा-201301 (उ0प्र0)


Related Posts

Lekh aa ab laut chalen by gaytri bajpayi shukla

June 22, 2021

 आ अब लौट चलें बहुत भाग चुके कुछ हाथ न लगा तो अब सचेत हो जाएँ और लौट चलें अपनी

Badalta parivesh, paryavaran aur uska mahatav

June 12, 2021

बदलता परिवेश पर्यावरण एवं उसका महत्व हमारा परिवेश बढ़ती जनसंख्या और हो रहे विकास के कारण हमारे आसपास के परिवेश

lekh jab jago tab sawera by gaytri shukla

June 7, 2021

जब जागो तब सवेरा उगते सूरज का देश कहलाने वाला छोटा सा, बहुत सफल और बहुत कम समय में विकास

Lekh- aao ghar ghar oxygen lagayen by gaytri bajpayi

June 6, 2021

आओ घर – घर ऑक्सीजन लगाएँ .. आज चारों ओर अफरा-तफरी है , ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत का

Awaz uthana kitna jaruri hai?

Awaz uthana kitna jaruri hai?

December 20, 2020

Awaz uthana kitna jaruri hai?(आवाज़ उठाना कितना जरूरी है ?) आवाज़ उठाना कितना जरूरी है ये बस वही समझ सकता

azadi aur hm-lekh

November 30, 2020

azadi aur hm-lekh आज मौजूदा देश की हालात देखते हुए यह लिखना पड़ रहा है की ग्राम प्रधान से लेकर

Previous

Leave a Comment