Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

cinema, Virendra bahadur

झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार में : पर किस तरह और क्यों

सुपरहिट :झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार में : पर किस तरह और क्यों झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार …


सुपरहिट :झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार में : पर किस तरह और क्यों

झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार में
झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार में

लगभग हर शादीशुदा पुरुष को यह अनुभव होगा। सपरिवार शादी में जाना है। हमेशा की तरह पति तैयार हो कर दरवाजे पर खड़ा है। पत्नी अभी ड्रेसिंग रूम में है। पति जल्ली आओ… जल्दी आओ कह कर राह देख रहा है, पर पत्नी जल्दी आती नहीं। थक कर और चिढ़ कर पति अंदर जाता है। अंदर पत्नी फर्श झाड़ रही है, कारपेट उठा कर देख रही है, टेबल के पीछे देखती है, बेड के नीचे नजर दौड़ाती है। उसका छोटा सा इयरिंग कहीं गिर गया है। पति का सिकुड़ा माथा देख कर पत्नी खीझती है, “इसी तरह खड़े रहोगे या इयरिंग खोजवाओगे? ” फर्जपरस्त पति भी फर्श खंगालने लगता है।”
भारत शायद एकमात्र ऐसा देश होना चाहिए, जहां हर घर में महिलाओं के इयरिंग खोने की घटनाएं नियमित घटती रहती हैं। क्योंकि मात्र भारतीय महिलाएं ही छोटे से छोटा इयरिंग पहनती हैं। क्या इसीलिए कवि और लेखक राजा मेहंदी अली खान ने ‘मेरा साया’ (1966) फिल्म में ब्लॉकबस्टर गाना ‘झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार में…’ लिखा था? फर्श हो या बाजार, क्या फर्क पड़ता है? झुमका तो कहीं भी गिर सकता है। पर बरेली में गिरे, इसका कोई विशेष कारण? कानपुर या लखनऊ में क्यों नहीं गिरा?
राज खोसला की सस्पेंस थ्रिलर फिल्म ‘मेरा साया’ में आशा भोसले की आवाज में यह गाना इतना अधिक लोकप्रिय हुआ था कि बहुत लोग यह मानने लगे थे कि बरेली (जिला रायसेन, मध्य प्रदेश) में झुमका बनाने का गृहउद्योग है। यहां तक कि 2020 में बरेली की जनता ने नगर के प्रशेश द्वार पर सोने का विशाल झुमका रखने का निर्णय ले लिया था। एक हद तक साधना का झुमका लोकप्रिय हो गया था।
फिल्म में साधना की दो भूमिकाएं थीं, गीता और रैना उर्फ निशा। इसमें गीता अच्छी लड़की थी और निशा बदमाश।झुमका गाना निशा के हिस्से में था, इसलिए यह आशा भोसले की आवाज में गाया गया था। जबकि तीन गाने अच्छी लड़की के हिस्से में थे, इसलिए वे लताजी की आवाज में रेकार्ड कराए गए थे। उस जमाने में आशाजी की आवाज वेम्प अथवा खलनायिकाओं की आवाज मानी जाती थी। इसलिए उन्हें अच्छे गाने नहीं मिलते थे।
इससे संगीतकार मदन मोहन भी बचे नहीं थे। उनके संगीत बद्ध किए ‘मेरा साया’ के सभी गाने बहुत सुंदर थे (मोहम्मद रफी की आवाज में ‘आप के पहलू में…’ और लताजी की आवाज में ‘तू जहां जहां चलेगा, मेरा साया भी साथ होगा’, ‘नैनो में बदरा छाए’ और ‘नैनो वाली ने’)। पर ‘झुमका गिरा ने…’ गाने को हिंदी सिनेमा प्रशंसकों ने सिरमाथे पर लिया था। 1968 में बिनाका गीतमाला में यह गाना चौथे स्थान पर था। मदन मोहन और आशाजी का यह गाना उस साल सब से बड़ा चार्टबस्टर था।
इस गाने को ले कर तमाम मान्यताएं हैं। एक प्रचलित (पर गलत) बात ऐसी है कि (अमिताभ बच्चन की) मां तेजी बच्चन का इयरिंग बरेली में खो गया था और हरिवंश राय बच्चन ने यह गाना लिखा था। एक वाकया यह भी है कि बरेली में एक झुमका नाम का सिपाही था और आजादी की लड़ाई में वह अंग्रेजों के हाथों मारा गया था। कुछ लोग इसे लोकगीत मानते हैं। कुछ लोग इसे चोर-लुटेरों की गैंग के वाकए के साथ जोड़ते हैं।
दूसरी बात थोड़ी-बहुत तार्किक लगती है। ‘कल्चरल स्टडीज इन इंडिया’ नाम की किताब के लेखक राणा यह संकेत देते हैं कि लूटपाट कर के गुजारा करने वाले कुछ आदिवासी समूह गांव वालों का मनोरंजन कर के उनका ध्यान भटका कर उनके घरों से माल खिसका देते थे। ‘झुमका गिरा रे…’ का संबंध ऐसी आपराधिक प्रवृत्ति के साथ था। इसीलिए इसमें बरेली के बाजार का उल्लेख है। क्योंकि इस तरह के तमाशे गांव की गलियों या चौराहे पर आयोजित होते हैं।
हकीकत में फिल्म में जिस पर यह गाना फिल्माया गया है, वह निशा एक डाकू गिरोह की सदस्य है और वह डाकू सरदार सूर्यवर सिंह (प्रेम चोपड़ा) के साथ उसकी रंगरलियां का ‘हिसाब’ एक महफिल में मुजरा कर के देती है। इसमें ढोल बजाने वाला हर अंतरा पर पूछता है ‘फिर क्या हुआ?’ और निशा उसका जवाब देती है। यह आवाज क्रिकेट कमेंटेटर विनोद शर्मा की है। मदन मोहश और शर्मा दोस्त थे। कहा जाता है कि आशा भोसले को भी पता नहीं था ‘फिर क्या हुआ?’ पूछने वाली आवाज किस की है। जैसे कि:

घर की छत पे मैं खड़ी, गली में दिलबर जानी
हंस के बोले नीचे आ, अब नीचे आ दीवानी
या अंगूठी दे अपनी या छल्ला दे निशानी
घर की छत पे खड़ी-खड़ी मैं हुई शरम से पानी
हाय हुई शरम से पानी…फिर क्या हुआ?
दैया।

फिर झुमका गिरा रे, हम दोनों के इस प्यार में
यह गाना वास्तव में इससे भी पुराना है। 1947 में ‘देबोजी’ नाम की एक फिल्म आई थी। उसमें शमशाद बेगम की आवाज में ‘झुमका गिरा रे…’ गाना था। जबकि उसमें सास, ननद, जेठ, जेठानी और सैंया की घरेलू बातें थीं। उसमें गीतकार के रूप में वली साहब का नाम लिखा था। वह लिखते हैं:

सास मेरी रोए, ननद मेरी रोए
सैंया मेरा रोए, गले में बैंया डाल के
है झुमका गिरा रे, मोरा झुमका गिरा रे
बरेली के बाजार में…
सैंया ढ़ूंढ़े रे, सैंया ढ़ूढे रे
नैनो में नैना डाल के
है झुमका गिरा रे, मोरा झुमका गिरा रे
बरेली के बाजार में…

(अगले अंक में फिल्म ‘मेरा साया’ की अन्य दिलचस्प बातें)

About author 

वीरेन्द्र बहादुर सिंह जेड-436ए सेक्टर-12, नोएडा-201301 (उ0प्र0) मो-8368681336

वीरेन्द्र बहादुर सिंह
जेड-436ए सेक्टर-12,
नोएडा-201301 (उ0प्र0)


Related Posts

दुनिया का 68 अरब डालर का आर्ट बाजार

October 5, 2023

दुनिया का 68 अरब डालर का आर्ट बाजार सितंबर महीने में भारतीय कला जगत ने इतिहास रच दिया। अमृता शेरगिल

अनुराधा : कैसे दिन बीतें, कैसे बीती रतियां, पिया जाने न हाय…

September 21, 2023

सुपरहिट अनुराधा : कैसे दिन बीतें, कैसे बीती रतियां, पिया जाने न हाय… फ्रेंच साहित्य में यथार्थवाद के प्रणेता माने

दीवार और हाजी मस्तान | Diwar and Haji mastan

September 7, 2023

सुपरहिट  दीवार और हाजी मस्तान  आज खुश तो बहुत होगे तुम  अंडरवर्ल्ड पर फिल्में बनाने का चलन मूल तो हालीवुड

मजदूर का पसीना सूखने से पहले उसकी मजदूरी मिल जानी चाहिए जनाब

September 2, 2023

सुपरहिट मजदूर का पसीना सूखने से पहले उसकी मजदूरी मिल जानी चाहिए जनाब आप ने न जाने कितनी बार अपने

शब्दों की नग्नता ढ़ांकने का सर्वोच्च अदालत का प्रयास

August 31, 2023

शब्दों की नग्नता ढ़ांकने का सर्वोच्च अदालत का प्रयास स्त्री जन्म से ही स्त्री नहीं होती, उसे स्त्री बनाया जाता

सुपरहिट नसबंदी : क्या मिल गया सरकार को नसबंदी करा के, हमारी बंसी बजा के…

August 11, 2023

सुपरहिट नसबंदी : क्या मिल गया सरकार को नसबंदी करा के, हमारी बंसी बजा के… हिंदी फिल्मों के हास्य कलाकारों

Leave a Comment