Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Bhaskar datta, poem

कविता –मंदिर में शिव जी

मंदिर में शिव जी मैं भक्ति का स्वांगी नहीं , पर आस्तिक जरूर हूँहालात बयां करूँया शिकायत मुझे बेल पत्तों …


मंदिर में शिव जी

कविता –मंदिर में शिव जी

मैं भक्ति का स्वांगी नहीं ,
पर आस्तिक जरूर हूँ
हालात बयां करूँ
या शिकायत
मुझे बेल पत्तों की हरियाली में
भांग की रंगत,
धतूरे की सुगंध
और जल के ऊपरी लिबास पर
राखी की चमक घिसटती नज़र आ रही है
बावजूद इसके
हम सभी सावन में
प्रत्येक सोमवार को
महादेव की वंदना करते हैं
‘बिना किसी इच्छा और संपूर्ण विश्वास के’?
मित्रों!
हमारी कामना
यदि प्रतिफलित होती….
झूठे रचाये स्वांग के गंदे इरादों में
तभी हम भावना का भावना से
वरण करते हैं…
सहज प्रति उत्तर की प्रतीक्षा में
दृढ़ विश्वस्त मन की आत्मा में
उन्हीं औघड़ सरीखे आत्मदानी
चेतना के स्वर
मंदिर के मठों में राजते शिव जी
भयंकर रूप की शिवलिंग
लिपटते जा रहे शिवनाथ
अकेले ही अकेले दूध के
विषधर -विषैले सर्प की माला
तभी इस लोक की लोकल धरा पर
हर एक प्राणी
पा रहा सम्मान
आशीर्वाद की खातिर
मनाते रोज शिव जी को
विनत हो नम- नमन कर
शीघ्राति इस पावन घड़ी में
दे रहा दस्तक कि
‘सावन’ आज आया है
पुकारो अब कि शंकर नाम
या अविलंब
दुख की चीख सुनकर
चौंकने वाले ….. महादेव!

About author

भास्कर दत्त शुक्ल  बीएचयू, वाराणसी
भास्कर दत्त शुक्ल
 बीएचयू, वाराणसी


Related Posts

bihadon ki bandook by priya gaud

June 27, 2021

 “बीहड़ों की बंदूक” बीहड़ों में जब उठती हैं बंदूकें दागी जाती हैं गोलियां उन बंदूकों की चिंगारी के बल पर

Rajdaar dariya by priya gaud

June 27, 2021

 राज़दार दरिया दरिया  सबकी मुलाकातों की गवाह रहती है कुछ पूरी तो कुछ अधूरी किस्सों की राजदार रहती है आँखे

sawam ki rachyita by priya gaud

June 27, 2021

 “स्वयं की रचयिता” तुम्हारी घुटती हुई आत्मा का शोर कही कैद न हो जाये उलाहनों के शोर में इसलिए चीखों

kavita Prithvi by priya gaud

June 27, 2021

 “पृथ्वी “ पृथ्वी के उदर पर जो पड़ी हैं दरारें ये प्रमाण है कि वो जन्म चुकी है शिशु इतंजार

kavitaon ke aor by priya gaud

June 27, 2021

 “कविताओं के ओर” खोजें नही जाते कविताओं और कहानियों के ओर ये पड़ी रहती है मन के उस मोड़ पर 

Kabir par kavita by cp gautam

June 27, 2021

कबीरदास पर कविता  होश जब से सम्भाला , सम्भलते गयेआग की दरिया से निकलते गयेफेंकने वाले ने फेंक दिया किचड़

Leave a Comment