Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Bhaskar datta, poem

कविता – अंधेरे की आवाज़ | Andhere ki awaz

अंधेरे की आवाज़  तालाब शांति में समुद्रीय हलचलविश्व का दूरस्थ प्रतिमान,जो नहीं खोज पाया खोज ही नहीं पायाकविता और कहानियों …


अंधेरे की आवाज़ 

कविता - अंधेरे की आवाज़ | Andhere ki awaz

तालाब शांति में समुद्रीय हलचल
विश्व का दूरस्थ प्रतिमान,
जो नहीं खोज पाया
खोज ही नहीं पाया
कविता और कहानियों में
आजतक
मुक्तिबोध का ब्रह्मराक्षस भी….

आहट मिल रही थोड़ी बहुत
खोह् रूपी देह में लगातार
जाने कहां ,जाने कहां…

परम अभिव्यक्ति गतागत सृष्टि
अनिवार्य ही लग रही
अब गले को पार करती
फिर भी नहीं,स्थिर कहीं…

आज का संदेह तय है
और गांधी भी नहीं हैं
अब विनोबा की नई
आंखें चमक ,मिटती नहीं..

इस तरह मैं आ रहा हूं
धंस रहा हूं तल अतल में
शांति के गह्वर भुवन में
जहां जाती सीढ़ियां
वो बाउली की गहनतर…

अब नहीं होगा ‘अंधेरा’
न ‘अंधेरे में’ चलेंगी गोलियां
अब तो उजाला हो गया है..

मिल गया वह ज्ञान
जो खोया था उसने
बोध ‘मुक्ति’ का नया आख्यान
रच रहा फिर से अंधेरे की
वही सूनी डगर …

और आगे आ न पाता
अब कोई नागार्जुन
और धूमिल क्या करें अब
जब नहीं आता अंधेरा रास्ता..

अब निरंतर पढ़ रहा है
ब्रम्हराक्षस मंत्र तंत्रम्
सब प्रमेयों के गणित की सीढ़ियां
सब ठिकानें हैं वृहत्तर
और साधन भी नए हैं

पर नहीं हो पा रहा है
साफ ,सुंदर, स्वच्छ,निर्मल
हाथ के पंजे नए, छाती नई
मंत्र थ्योरम की नहीं कोई कमी
घिस रहा है फिर वही पूरी कहानी….

अब दिखाई दे रही
आवाज़ की गहमी चमक
जो आ रही है सांप- सीढ़ी
की विवश गहराइयों से..
गले तक से निकल कर
आ गई मुंह और दांतों में
अब निकलना ही रहा है शेष
दिल में धड़कती एक सुन्दर
घूंट सी आवाज़…

About author

भास्कर दत्त शुक्ल  बीएचयू, वाराणसी
भास्कर दत्त शुक्ल
 शोधार्थी ,
 काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी

Related Posts

गंगा में काशी और काशी में गंगा

November 14, 2023

गंगा में काशी और काशी में गंगा बनारस एक ऐसी संस्कृति रूपी  प्राचीनतम धरोहर है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति तन रूपी

कविता: दिवाली | kavita Diwali

November 13, 2023

कविता: दिवाली सुनो दिकु…अंतर्मन का अँधेरा मिट जाएगातुम्हारे आने से दिल का दीप जल जाएगा धरा होगी नर्म-सी शीतलइश्क में

देश की राजनीति और राजनीति का देश

November 12, 2023

“देश की राजनीति & राजनीति का देश “ सचमुच! यह तो ‘भारत’ हैभारत! हाँ, वही भारत, जहाँ चाणक्य थे। चाणक्य?

कविता – रातों का सांवलापन

November 12, 2023

रातों का सांवलापन आकाश रात में धरती को जबरन घूरता हैक्योंकि धरती आसमान के नीचे हैऔर मेरा मनऊपर खिले उस

कविता –मंदिर में शिव जी

November 12, 2023

मंदिर में शिव जी मैं भक्ति का स्वांगी नहीं , पर आस्तिक जरूर हूँहालात बयां करूँया शिकायत मुझे बेल पत्तों

Kavita pavitra rishta | पवित्र रिश्ता

November 10, 2023

 शीर्षक: पवित्र रिश्ता सुनो दिकु… दुख अब अकेले नहीं सहा जा रहा तुम आज होती तो लिपटकर रो लेता मेरी

PreviousNext

Leave a Comment