Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

laghukatha, story

Zindagi tukdon me by jayshree birmi

 जिंदगी टुकड़ों में एक बार मेरा एक दोस्त मिला,वह जज था उदास सा दिख रहा था। काफी देर इधर उधर …


 जिंदगी टुकड़ों में

Zindagi tukdon me by jayshree birmi

एक बार मेरा एक दोस्त मिला,वह जज था उदास सा दिख रहा था। काफी देर इधर उधर की बातें की लेकिन उसके मुंह से अपनी परेशानी की बात न निकली, बोलना चाह कर भी बोल नहीं पा रहा था शायद ऐसा मैंने महसूस किया।हम लोगों में काफी नजदीकियां थी एक दूसरे के दिल की बात समझ ने की समझ थी हम दोनों में,उसके मन की बात बोल दे तो थोड़ा हल्का हो जायगा यह सोच मैने पूछ ही लिया ,और बोलते बोलते आंखे छोटी हो गई ,गला भर आया और बोला कि भाभीजी उनकी मां को रखना नहीं चाहती थी,उन्हे दूसरे भाई के घर भेज ने की ज़िद पर अड़ी थी।चार भाइयों के बीच मां को बांट दिया था ,तीन तीन महीनों के लिए ।वह सबसे छोटा था इसलिए मां  को प्यारा भी था। उनके बच्चों से भी ज्यादा प्यार था ,छोटे छोटे थे इसलिए दादी के पास आके बैठ जाते थे ,दादी से बात करते थे किंतु दूसरे तीनों भाइयों के बच्चे बहुत बड़े थे और अपने कार्यों में व्यस्त रहते थे,दादी को दिन में एकाद बार हाई या बाई हो जाती थी ।इसीलिए उनकी मां को यही रहना अच्छा लगता था और उनकी बीबी बंटवारे के हिसाब से उनकी मां को बांटना चाहती थी।इसीलिए घर में कलेश हो रहा था ।

सब बच्चो में छोटा होने की वजह से मां के लाडले थे,दुनिया सारी को न्याय देने वाले बंदे को अपनी मां को रखने लिए उनसे अन्याय करना पड़ रहा था।

वैसे तीनों भाई धन वैभव में पूरे थे कोई  कमी न थीं जज होने के बावजूद इंसाफ की राह पे चल अपनी मां की इच्छाओं को पूरा न कर पा रहे थे। भाईयों को भी कोई ऐतराज न था उनको रख ने में किंतु उनकी मां खुश न थीं वहां जा कर ,अब इस समस्या का हल निकाल ने की बारी आ गई थी।अपने मित्र को मैं जानता था ,कोई सख्त निर्णय लेने वाला लगता था ।और वहीं हुआ,दूसरे दिन पता चला कि वह अपनी बीबी को तलाक दे रहे थे।मैं जल्द उनसे मिला और पूछा क्यों ये सब,तो जवाब मिला कई रातों से ठीक से न सो  पाने की वजह से तबीयत भी खराब सी हो रही थी और बैचेनी बढ़ रही थी ,मां ने जन्म दिया पाला पोसा,पढ़ाया लिखाया  और क्या क्या नहीं किया,सोच के मन घबराता हैं कि कैसे उनका दिल दुखाऊ,और दूसरी ओर  बीवी के साथ लिए सातों फेरों के वचन,सुख दुःख में साथ और वो मधुर लम्हे जो साथ बितायें थे उन्हों ने साथ में  और क्या क्या , कैसे दूरी सहेंगे ये  बात सोच कर दिल दहल जाता था। दोनों की तुलना करते  करते रातें पलको में  बीती थी, कश्म कश में  आखिर   मां की ममता जीत गई और अब वह भाभीजी को तलाक देने के लिए तैयार था,अपनी मां को अपने पास रखने के लिए वह अपने बच्चों से उनकी मां को दूर करने के लिए तैयार था।मैं भी अवाक सा उसकी और देखती रही,अहम के टकराव से जो अंगारे उड़ने वाले थे उससे उसका संसार सुलग ने वाला था।

       मैने घर जा अपनी धर्मपत्नि से सारा वाकया बताया तो  वह भी हैरान हो रही थी सुनके।उसने भाभीजी को फोन लगाया और बात की, कि बिबीजी कितने साल जिएंगी, उनकी खुशी के लिए अगर थोड़ा सा त्याग कर देने से गृहस्थी भी बच जायेगी, बच्चों से जुदा हो वह भी खुश नहीं रह पाएगी और न ही बच्चें।इतना प्यारा संसार बिखर के रह जायेगा।तब भाभीजी ने भी जवाब दिया कि वह सोचेगी,और बात आई गई हो गई लेकिन एक दिन पता चला कि बिबिजी ने वृद्धाश्रम जाने को सोच लिया था,उनको जिंदगी टुकड़ों में जीना पसंद ही नहीं थी।जब उन्हों ने सुना कि उनकी वजह से घर में समस्याएं खड़ी हुई हैं तो उन्होंने भी अपना निर्णय सुना दिया।समस्या और जटिल हो गई थी, बच्चें भी सहम से गए थे।

 मित्र ने एक सप्ताह की छुट्टी ले घर बैठ गया था,अब बच्चों ने अपनी मां को समझना शुरू किया और बोले कि क्या उनके साथ वो लोग ऐसा कर पाएंगे, अगर ऐसा हुआ तो उनको कितना दुःख होगा ये भी वह सोच लें। मां का तर्क था कि दूसरे बेटों को भी उन्होंने पाला पोसा और बड़े किए थे उनका भी हक्क था तो अब फर्ज भी तो बनता हैं,जो सही भी तो था।लेकिन बच्चों की बात से उनको भी एहसास हुआ कि वो बच्चों के प्यार की वजह ही थी की बिबीजी अपना अस्तित्व को टिका पा रही थी।शायद ये प्यार,ये खींच ,लगाव ही था जिनकी वजह से उनका जीवन ,अस्तित्व था।

 प्यार के लम्हे ही है जो जिंदगी देते हैं

जो प्यार से महरूम हो वो क्या जिंदगी जीते हैं।

जयश्री बिरमी

निवृत्त शिक्षिका

अहमदाबाद


Related Posts

Laghukatha-Mummy| लघुकथा-मम्मी

March 6, 2023

मम्मी किटी पार्टी जमी हुई थी। अचानक बच्चों की कहानियां कहने की बात चली तो मिसेज रावत ने कहा, “भई

लघुकथा -मानव संग्रहालय| Laghukatha- manav sangrahalay

March 5, 2023

मानव संग्रहालय साल 3050। फ्लाइंग कार पार्किंग में लैंड कर के रोबो परिवार के बाल रोबोट खिड़की की ओर दौड़े।

Laghukatha-Pizza| लघुकथा-पिज्जा

March 5, 2023

 लघुकथा-पिज्जा हाईवे पर बने विशाल फूड जोन में केवला को नौकरी मिल गई थी। बस, कोने में खड़े रहना था

Story -बुरे काम का बुरा नतीजा ‘झाउलाल’

March 5, 2023

 ‘झाउलाल’ झाउलाल बड़े मनमौजी थे। कामचोरी विद्या में निपुण थे। तरह – तरह की तरकीब उनके पास था,काम से बचने

लघुकथा–ऊपरवाला सब देख रहा है

February 8, 2023

लघुकथा–ऊपरवाला सब देख रहा है रंजीत के पास धंधे के तमाम विकल्प थे, पर उसे सीसी टीवी का धंधा कुछ

लघुकथा-उपकार | Laghukatha- upkar

February 6, 2023

लघुकथा-उपकार रमाशंकर की कार जैसे हो सोसायटी के गेट में घुसी, गार्ड ने उन्हें रोक कर कहा, “साहब, यह महाशय

PreviousNext

Leave a Comment