Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

lekh

Swatantrata ke Alok me avlokan by satya prakash singh

 स्वतंत्रता के आलोक में – अवलोकन  सहस्त्र वर्ष के पुराने अंधकार युग के बाद स्वतंत्रता के आलोक में एक समग्र …


 स्वतंत्रता के आलोक में – अवलोकन 

Swatantrata ke Alok me avlokan by satya prakash singh

सहस्त्र वर्ष के पुराने अंधकार युग के बाद स्वतंत्रता के आलोक में एक समग्र अवलोकन करने से पता चलता है कि भारत में स्वतंत्रता का आंदोलन उगते सूरज, ढलती शाम के संघर्ष का प्रतीक था ।स्वतंत्रता का यथार्थ मूल्य बहुरंगी विविधता अनेकता में एकता के सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए स्वतंत्रता सेनानियों के सकारात्मक दृष्टिकोण ने संघर्ष किया। तमाम आपसी रंजिशो के बावजूद स्वतंत्रता आंदोलन के समय दुश्मन नए किरदार में होना एक बहुत बड़ी ज्वलंत समस्या थी। उस समय ब्रिटिश साम्राज्यवाद की स्वतंत्रता आंदोलन के अनुभव को स्वतंत्रता सेनानियों ने जाना । स्वतंत्रता सेनानियों का स्वतंत्रता के अगाध प्रेम की अभिव्यक्ति समकालीन उपनिवेशवादी साम्राज्य में क्रांति के सभी सीमाओं को तोड़ने का अथक प्रयास किया गया। अंततः राष्ट्रीय आंदोलन का व्यापक परिदृश्य बंग भंग आंदोलन से परिलक्षित होता दिखाई पड़ा था। जिसके बाद भारत की धरती से अभागे लोग जिन्होंने स्वतंत्रता की संस्कृति को ही खो दिया था उसी बंग भंग आंदोलन में क्रांति की संस्कृति की ओर पुनः लौट आने की प्रेरणा दिया गया। भारत की देहाती किसान भूमि का भूखा था जिसे श्वेवेतो ने हड़प लिया था। श्वेतो के उत्पीड़न के प्रति भारतीय जनमानस में आंदोलन भयावह दौर से गुजर रही थी ।भारत की क्रांतिकारी आतंकवाद तीसरी दुनिया के देशों में तेजी से लोकप्रिय होने लगा था, परंतु ठीक इसी समय धरित्री के धैर्य को धारण किए हुए भारत के राजनीति मानस पटल पर एक अहिंसा के पुजारी का उदय हुआ जिसका नाम महात्मा गांधी था। जिसने आजीवन अहिंसा के द्वारा ही स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। अहिंसा के पुजारी ने ब्रिटिश हुकूमत पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए उपनिवेशवादी संस्कृति से संघर्ष किया। सोने के पिंजरे में बंद भारत संपूर्ण विश्व में मुक्त आकाश में उड़ान भरने के लिए बेताब स्वप्न लिये बैठा था। परंतु भारतीय स्वतंत्रता का अपहरण ब्रिटिश हुकूमत ने कर लिया था ।जब क्लेमेंट एटली की घोषणा के बाद पूर्ण स्वतंत्रता की प्राप्ति भारत के लिए अभयदान साबित हुई तो स्वतंत्रता के पश्चात धीरे-धीरे भारत का औद्योगिक विकास भी हुआ ।परंतु स्वतंत्रता का समग्र अवलोकन करने के बाद पता चलता है कि बाहरी शक्तियां हमारे देश के विकास में सदैव बाधक रही हैं ।आतः हमे समस्त भारतवासी का पुनीत कर्तव्य बनता है की विरासत से मिली स्वतंत्रता को कायम रखा जाए।

मौलिक लेख

सत्यप्रकाश सिंह 

केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज प्रयागराज उत्तर प्रदेश


Related Posts

भूख | bhookh

December 30, 2023

भूख भूख शब्द से तो आप अच्छी तरह से परिचित हैं क्योंकि भूख नामक बिमारी से आज तक कोई बच

प्रेस पत्र पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2023 संसद के दोनों सदनों में पारित, अब कानून बनेगा

December 30, 2023

प्रेस पत्र पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2023 संसद के दोनों सदनों में पारित, अब कानून बनेगा समाचार पत्र पत्रिका का प्रकाशन

भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक-आईएनएस इंफाल

December 30, 2023

विध्वंसक आईएनएस इंफाल-जल्मेव यस्य बल्मेव तस्य भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक-आईएनएस इंफाल समुद्री व्यापार सर्वोच्च ऊंचाइयों के शिखर तक पहुंचाने

भोग का अन्न वर्सस बुफे का अन्न

December 30, 2023

 भोग का अन्न वर्सस बुफे का अन्न कुछ दिनों पूर्व एक विवाह पार्टी में जाने का अवसर मिला। यूं तो

शराब का विकल्प बनते कफ सीरप

December 30, 2023

शराब का विकल्प बनते कफ सीरप सामान्य रूप से खांसी-जुकाम के लिए उपयोग में लाया जाने वाला कफ सीरप लेख

बेडरूम का कलर आप की सेक्सलाइफ का सीक्रेट बताता है

December 30, 2023

बेडरूम का कलर आप की सेक्सलाइफ का सीक्रेट बताता है जिस तरह कपड़े का रंग आप की पर्सनालिटी और मूड

PreviousNext

Leave a Comment