Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Story- yuddh | युद्ध

युद्ध  लक्ष्मण की नींद एक तेज हवा के झोंके के साथ खुल गई, उन्होंने देखा भाई अपने स्थान पर नहीं …


युद्ध 

Story- yuddh

लक्ष्मण की नींद एक तेज हवा के झोंके के साथ खुल गई, उन्होंने देखा भाई अपने स्थान पर नहीं हैं। दूर दूर तक वानर सेना खुले में सोई थी, वे अपने स्थानसे उठे और राम की खोज में चल दिये। अमावस की इस काली रात में उन्होंने एक मशाल ले ली , और समुद्र तट की ओर चल दिये, वे जानते थे राम वहींएकांत में मनन कर रहे होंगे ।

राम ने लक्ष्मण को आते देखा तो ठहर गए , “ तुम क्यों नींद से जाग गए ?” राम ने सहज होने के प्रयत्न करते हुए कहा ।

“ ठंड से नींद खुल गई तो पाया आप वहाँ नहीं हैं ।”

“ हु ! “ राम ने दोबारा अपने विचारों में लौटते हुए कहा ।

लक्ष्मण थोड़ी देर चुपचाप असमंजस में खड़े रहे, फिर संभल कर कहा , “ कल से युद्ध आरंभ हो जायेगा, आज विश्राम आवश्यक है। “

“ हाँ , तुम चलो मैं आता हूँ ।” राम ने किसी तरह अपने विचारों से उभरते हुए कहा ।

लक्ष्मण वहीं खड़े रहे , कुछ पल पश्चात राम बोले , “ जिस युद्ध से बचने के लिए मैंने अयोध्या छोड़ी , वहीं युद्ध बार बार मेरे समक्ष आ खड़ा होता है । यहपूरी वानर सेना सुख से सोई है, यह सोचकर कि मैं इन्हें विजय दिलाऊँगा, इनमें से कितने ही अपने बूढ़े माँ बाप , पत्नियों, भाई बहनों, मित्रों को छोड़ करआये होंगे, हमें विजय भले ही मिल जायेगी, परन्तु इनमें से कितने जीवित घर पहुँच पायेंगे, यह कौन जानता है , ऐसे हंसते खेलते जीवन को मैं कैसे नष्टहो जाने दूँ ?”

“ आप यह क्या कह रहे हैं भईया , यह सब अपनी स्वेच्छा से आए हैं , आपने इन्हें नई आशा दी है। यह वह जनसाधारण है, जो नेतृत्व के अभाव में युगोंतक अत्याचार सहता है, फिर जब उन्हें आप जैसा सबल नेतृत्व मिलता है , तो वह अपनी संपूर्ण ऊर्जा के साथ उठ खड़ा होता है। ये लड़ रहे हैं ” अपनेआत्मसम्मान के लिए, जिसे रावण जैसे शक्तिशाली राजा ने अपनी ताक़त के बल पर रौंद डाला है , मृत्यु कोई नहीं चाहता, परन्तु कभी-कभी अपनेसमाज की जीवन शैली की स्वतंत्रता के लिए उसे चुनना पड़ता है, और आप यह जानते हैं ।

राम ने लक्ष्मण के कंधे पर हाथ रखा और दोनों भाई अपने स्थान पर लौट आए । सूर्योदय में अभी समय था, कुछ रह गए तारों की रोशनी शेष थी, पूरी रातजल रही मशालें भी बुझने को आतुर थी, परन्तु सेना में एक नया उत्साह था, समुद्र पर बांध बंध चुका था, सब तरफ़ जय श्री राम की ध्वनि थी , सूरज कीपहली किरण के साथ लक्ष्मण ने सेना को पंक्ति में खड़े होने का आदेश दिया, हर कोई अपने अपने हथियार के साथ आ खड़ा हुआ । हनुमान ने ज़ोर सेहुंकार लगायी, “ जय श्री राम “ और वह समुद्र तट, हवा पानी सबको रोककर, जय श्री राम के नारों में विलीन हो गया ।

राम एक पत्थर के ऊपर खड़े हो गए, उनके पीछे पूर्व दिशा में सूर्य की लालिमा अपना विस्तार बड़ा रही थी , राम ने कहना आरम्भ किया, आज उनके स्वरमें एक नया तेज , नया संकल्प था ,

“ यह युद्ध हम उन जीवन मूल्यों के लिए लड़ रहे हैं, जिनके बिना मनुष्य के जीवन का कोई अर्थ नहीं। कभी कभी कोई राष्ट्र , दल , या व्यक्ति अपने धनऔर तकनीक के बल पर स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ समझने लगता है और जन साधारण के मौलिक अधिकारों को अपने पैरों के नीचे कुचलता चला जाता है, वह यह भूल जाता है कि जन साधारण की सहनशक्ति की एक सीमा होती है, उसी जन साधारण में से किसी एक व्यक्ति का साहस एक दिन सबकीसहमी अस्मिता में नया जीवन फूंक देता है।आज हनुमान, अंगद, सुग्रीव, जांबवंत के साहस ने आप सबको जगा दिया है ।

राम ने एक पल के लिए सब पर दृष्टि डाली, फिर कहा, “ रावण के पास आज साधन हैं , तो हमारे पास मानवीय गरिमा का बल है, उसके पास उपभोग मेंडूबा तन है तो हमारे पास अनुशासन से संचित बल है, उसके पास यदि हथियार, रथ , और विमान हैं , तो हमारे पास समुद्र में मार्ग बना सकने का निश्चयहै।”

हनुमान ने फिर से ,” जय श्री राम “ की हुंकार लगाई तो सेना ने उस स्वर में अपना स्वर मिला कर गगन भेद डाला ।

राम ने उन्हें शांत कराते हुए फिर कहा, “ आज हम मात्र सीता की मुक्ति के लिए नहीं लड़ रहे, अपितु पृथ्वी पर बस रहे उस अंतिम भूखे व्यक्ति के लिए लड़रहे हैं , जिसने शक्तिशाली के दमन के समक्ष घुटने टेक दिये हैं ।”

राम संतोषपूर्वक सेना को बांध पार करते हुए देखते रहे, वे जन साधारण के इस आत्मविश्वास की ऊर्जा को मन ही मन नमन कर उठे ।

—-शशि महाजन


Related Posts

Laghukatha rani beti raj karegi by gaytri shukla

June 12, 2021

रानी बेटी राज करेगी बेटी पराया धन होती है, यह सत्य बदल नहीं सकता । अगर आप शांति से विचार

Laghukatha mere hisse ki dhoop by rupam

June 12, 2021

लघुकथा मेरे हिस्से की धूप तमाम तरह के बहस-मुबाहिसे होने के बाद भी उसका एक ही सवाल था- तो तुमने

Laghukatha dar ke aage jeet hai by gaytri shukla

June 11, 2021

डर के आगे जीत है रिमझिम के दसवें जन्मदिन पर उसे नाना – नानी की ओर से उपहार में सायकल

laghukatha freedom the swatantrta by anuj saraswat

June 7, 2021

लघुकथा – फ्रीडम-द स्वतंत्रता “तू बेटा जा शहर जाकर नौकरी ढूंढ कब तक यहाँ ट्यूशन पढ़ाकर अपने को रोक मत

Nanhe jasoos bhognipur – story

January 22, 2021

 👉  नन्हे जासूस भोगनीपुर 👇    उन दिनों भोगनीपुर के समाचार पत्रों में ठगी किए उस विचित्र ढंग की खूब

Gramya yuva dal – story

January 12, 2021

 हेलो फ्रेंड्स अभी तक आपने धन श्याम किशोर की शहर से गांव में आने तक की कहानी और खेती करने

Leave a Comment