Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Story- sita ke bunde | सीता के बुंदे

सीता के बुंदे  आचार्य आदिनाथ के गुरूकुल में वसंतोत्सव मनाया जा रहा था। राम, सीता तथा लक्ष्मण सादर निमंत्रित थे …


सीता के बुंदे 

Story- sita ke bunde | सीता के बुंदे

आचार्य आदिनाथ के गुरूकुल में वसंतोत्सव मनाया जा रहा था। राम, सीता तथा लक्ष्मण सादर निमंत्रित थे । एक बहुत प्रसिद्ध नाटक मंडली जंगल केइस ओर यात्रा करते हुए आ पहुँची थी, गुरू आदिनाथ चाहते थे कि वे तीनों इस दल की कला प्रदर्शन का आनंद उठाने हेतु अवश्य पधारें ।

सूरज पश्चिम की ओर बढ़ रहा था, नाटक के लिए कोई विशेष मंच नहीं था । आरंभ में दर्शकों का स्वागत करते हुए भरत मुनि के नव रस की महिमा मेंवाद्य यंत्रों के साथ एक गीत प्रस्तुत किया गया । मुख्य प्रस्तुति का विषय था शिव – पार्वती की घरेलू नौंक झोंक । दोनों कलाकार नृत्य निपुण थे, देखतेही देखते ऐसा रस बंधा कि दर्शक भाव विभोर हो गए ।श्रृंगार से शांत रस की यात्रा में सभी के ह्रदय तृप्त हो गए। मन की सारी तुच्छता धुल गई, जो शेषरहा , वह था निर्मल आनंद ।

वे तीनों अभी उसी भाव में ही थे , कि शिव पार्वती बने कलाकार उसी वेशभूषा में उनके समक्ष आ खड़े हुए ।

“ राम कैसा लगा हमारा प्रयास? “ शिव बने युवक ने हाथ जोड़ते हुए कहा ।

“ अद्भुत! क्या नाम हैं आपके ?” राम ने मुस्करा कर कहा ।.

“ जी , मैं रोहित और यह मेरी पत्नी भानुमति हैं।” शिव का रूप धारण किए युवक ने कहा ।

“ इस तरह आपके समक्ष आने के लिए क्षमा चाहते हैं, परन्तु हम जाने से पहले आपका आशीर्वाद लेना चाहते थे ।” भानुमति ने कहा।

राम ने सीता को देखा। सीता ने अपने कान के बुंदे निकाल कर उनकी ओर बढ़ा दिये।

“ नहीं , आशीर्वाद से हमारा अभिप्राय आपकी शुभेच्छा से था, आचार्य ने हमें हमारा पारिश्रमिक दे दिया है ।” भानुमति ने कहा ।

“ कलाकार को पारिश्रमिक नहीं दिया जा सकता, वह हमारा चैतन्य है, वह अनमोल है, इसे हमारा स्नेह और आभार समझ कर स्वीकार कर लो ।

सीता ने भानुमति की हथेली में बुंदे रख उसे बंद करते हुए कहा ।

भानुमति ने हिचकिचाते हुए आदर पूर्वक उसे स्वीकार कर लिया

उनके जाने के बाद राम ने गुरू से कहा, “ गुरूवार मुझे लगता है , शिव भारतीय चिंतन और भावनाओं का सबसे सुंदर रूप है। उनमें ध्वंसक और सर्जक , योगी और ग्रहस्थ , सरल और कठिन, कलाकार और प्राकृतिक सब मिल गए हैं । वे हिमालय की चोटी पर हों या किसी महल में , वे सब जगह सहज हैं ।इससे परे, इससे सुंदर कुछ भी तो नहीं । “

“ ठीक कहा राम , परन्तु सोचकर दुख होता है कि आज इस महान चिंतन के उत्तराधिकारी अपनी जीविका के लिए दर्शकों के स्तर के अनुसार स्वयं कोढालते फिरते हैं , जो समय साधना में जाना चाहिए, वह मेलजोल बढ़ाने में चला जाता है।”

राम गंभीर हो उठे, “ यह कठिन प्रश्न है। उपभोग की वस्तु को नापा तोला जा सकता है। मन और बुद्धि सूक्ष्म हैं, उनका रस भी अमूर्त है , उसे भौतिकवस्तुओं के साथ कैसे तोला जाये, यदि कलाकार साधक नहीं तो उसकी कला भी सम्माननीय नहीं। “ राम ने जैसे सोचते हुए कहा ।

“ तो क्या राम के युग में कलाकार निर्धन रहेगा ? “ गुरू ने उत्तेजना से कहा ?”

“ नहीं। मैं जानता हूँ जिस प्रकार किसान बीज बोता है और सारा समाज उससे पोषण पाता है, उसी प्रकार कलाकार , और दार्शनिक समाज को मानसिकसंतुलन देते हैं । मैं उनके लिए जितना भी कर पाऊँ कम है, परन्तु आज, अभी इस प्रश्न का उतर मेरे पास नहीं है ।”

राम, सीता, लक्ष्मण कुटिया पहुँचे तो देखा रोहित और भानुमति सादे वेष में उनकी प्रतीक्षा में बाहर खड़े हैं।

उनके आते ही भानुमति ने सीता के चरण स्पर्श कर कहा, “ यह बुंदे आप रख लीजिए, कलाकार यदि आवश्यकता से अधिक लेगा , तो ईश्वर प्रदत्त इसप्रतिभा का अपमान होगा । समाज यदि हमारा पोषण करता है तो स्वयं के जीवन को और संवारना हमारा नैतिक कर्तव्य हो जाता है ।”

“ तुम्हारी बातें तो तुम्हारी कला से भी अधिक मोहक है । सीता ने मुस्करा कर कहा ।

“ मैं इन्हें ले लेती हूँ , तुम्हारे जीवन मूल्य मेरे इन बुंदों से बहुत बड़े हैं ।”
रोहित और भानुमति प्रणाम कर लौट गए । वे तीनों बहुत देर तक शांत बाहर आसमान देखते हुए बैठे रहे, जैसे मन के सौंदर्य ने किसी बीज की तरह शब्दोंको स्वयं में धारण कर लिया हो ।

अंत में राम ने कहा, “ जब तक मेरे देश का कलाकार सच्चा है, तब तक मेरा देश स्वतंत्र है, चिंतन प्रखर है, और आत्मविश्वास दृढ़ है ।”

सीता ने कहा, “ इन पर बहुत गर्व हो रहा है । “

लक्ष्मण ने खड़े होकर अंगड़ाई लेते हुए कहा, पहली बार अनुभव कर रहा हूँ , “ सच्चा सुख क्या है !”

राम, सीता भी भीतर जाने के लिए मुस्करा कर खड़े हो गए ।

शशि महाजन- लेखिका


Related Posts

Aabha kahani by Anita Sharma

October 12, 2021

 “आभा” आज आभा कोलिज की दोस्त अनिता से बात करते हुए अतीत में खो गयी।वही पुरानी यादें और बातें।सागर यूनिवर्सिटी

Totke story by Jayshree birmi

October 7, 2021

 टोटके जैसे ही परिवार में लड़की बड़ी होते ही रिश्तों की तलाश होनी शुरू हो जाती हैं वैसे ही मीरा

Nath ka wajan kahani by Jayshree birmi

October 5, 2021

 कहानी नथ का वजन पूर्व भारत के कोई प्रांत की बात सुनी थी, जहां बहु की नथनी का वजन परिवार की

Parivartit swaroop by Kanchan Sukla

October 1, 2021

 परिवर्तित स्वरूप सोलह साल, कक्षा नौ की छात्रा लवलीन को, कमरे में रोता देख मम्मी ने, तुरंत वहाँ जाना उचित

Rishton ki dhundh story by Jayshree birmi

September 22, 2021

 रिश्तों की धुंध जब नियति को पता चला कि आज उसका पति कोई और स्त्री के साथ देखा गया हैं

Aap ke liye laghukatha by Sudhir Srivastava

September 21, 2021

 लघुकथा आपके लिए            रीमा ससुराल से विदा होकर पहली बार मायके आयी।मांँ बाप भाई बहन

Leave a Comment