Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Story – Ram Sita | राम सीता

राम सीता  बनवास में रहते हुए दस वर्ष हो चुके थे , इतने वर्ष घर से दूर रहने के कारण …


राम सीता 

Story - Ram Sita | राम सीता

बनवास में रहते हुए दस वर्ष हो चुके थे , इतने वर्ष घर से दूर रहने के कारण तीनों के मन में थोड़ी उदासी छाने लगी थी , परन्तु इसकी चर्चा कोई नहीं कररहा था।

एक दिन सीता ने राम से कहा , “ लक्ष्मण आजकल बहुत गुमसुम रहते हैं। ”

“ हाँ , मेरे कारण वह अपनी पत्नी से भी दूर है , परन्तु मैं जानता हूँ जब तक मैं अयोध्या नहीं जाऊंगा , वह भी नहीं जायगा। ”

“ जानती हूँ , परन्तु एक सुझाव है , नदी के उसपार एक विवाह का आयोजन हो रहा है , और हमें इसके लिए निमंत्रण भी आया है , आप यदि कहेंगे तोलक्ष्मण आपका प्रतिनिधत्व करने के लिए अवश्य चला जायगा। ”

राम मुस्करा दिए , “ पिछले दिनों यहां राक्षसों के साथ इतनी मुठभेड़ें हुई हैं कि, लक्ष्मण विशेष रूप से तनाव में रहा है , यह विनोद प्रमोद उसके मानसिकस्वास्थ्य के लिए अच्छा रहेगा। ”

जब राम ने लक्ष्मण से इस विषय पर बात की तो लक्ष्मण ने कहा ,” सुझाव तो अच्छा है , पर भैया अमोद प्रमोद की आवश्यकता तो आपको और भाभी कोभी है , यह तनाव तो हम सबने भुगता है। ”

लक्ष्मण ने पल भर के लिए उत्तर की प्रतीक्षा की , जब राम मौन रहे तो लक्ष्मण ने फिर से कहा , “ मैं आपकी बात रखता हूँ , आप मेरी बात रखिये , मैंआप दोनों के नौका विहार का प्रबंध करता हूँ। ”

राम मुस्करा दिए, ” विचार बुरा नहीं, नदी किनारे आग की व्यवस्था भी कर देना , पहले तुम्हारी भाभी के लिए मै भोजन पकाऊँगा, फिर चांदनी रात मेंनौका विहार के लिए ले जाऊंगा। ”
सुनकर लक्ष्मण का मन खिल गया , ” और भैया , यह योजना हम भाभी से गुप्त रखेंगे ,अचानक यह सब देखकर वह कितनी प्रसन्न हो जायेंगी !”

अपने भाई की यह निश्छलता देख राम का मन भर आया, और उर्मिला के बारे मेँ सोचकर वह और भी द्रवित हो उठे ।

सीता सब प्रबंध देखकर सुखद आश्चर्य से भर उठी ,” मुझसा सुखी कोई नहीं। ” सीता ने चाँद को देखते हुए नाव मेँ कहा ।

“ और मुझसा भाग्यवान ।” राम ने कहा ।

“ अच्छा राम, क्या सचमुच कभी मैंने तुम्हारी आत्मा को छुआ है ?”

राम ने सीता की आँखों में देखते हुए कहा, “ वहीं तो छुआ है तुमने ।”

“ कैसे ?”

राम ने चप्पू छोड़कर सीता के दोनों हाथ अपने हाथ में ले लिये , फिर उनका माथा चूमकर कहा , “ जब तुम किसी अस्वस्थ बच्चे के लिये रातभर सो नहींपाती तो मेरी आत्मा को छूती हो , जब भूखे अतिथि के लिये अपना भोजन छोड़ देती हो तो मेरी आत्मा को छू लेती हो , जब तुम –”

इससे पहले कि राम आगे कुछ कहते, सीता ने उनके ओंठो पर हथेली रख दी , ” बस मैं समझ गई। ”

राम और सीता उस चाँदनी रात में कुछ पल, एक सुखद शांति का अनुभव करते हुए चुपचाप पवन और नदी के बहाव में खोये रहे, फिर राम ने कहा ,

“ कभी-कभी सोचता हूँ, जीवन में तुम्हें कुछ नहीं दे पाया, घर के नाम पर एक छोटी सी कुटिया, दिन भर का श्रम, सदा असुरक्षा में बना रहने की बाध्यता, तुम्हारे मित्र, बंधु बांधव सबको मिले कितना समय हो गया है तुम्हें , “ फिर एक पल रूक कर कहा ,”जिसके लिए मुझे श्रृंगार के साधन जुटाने चाहिए थे, उससे हमेशा लिया ही है।” अंत तक आते आते राम का स्वर द्रवित हो उठा ।

यह सब सुनकर सीता की आँखें नम हो उठी , उन्होंने राम को स्नेह से देखते हुए कहा, “ राम किसी भी स्त्री को ऐसा पति चाहिए होता है, जिसके जीवनमूल्य सुदृढ़ हों , और चिंतन स्पष्ट हो , अपने उद्देश्य में मुझे भागीदार बनाकर, तुमने शेष सब आवश्यकताओं को निरर्थक बना दिया । मन के इस गहरेसंतोष को अनुभव करने के बाद कुछ भी तो आवश्यक नहीं रह जाता ।”

राम मुस्करा दिये, पर सीता जानती थी, राम अभी भी पूरी तरह से सहमत नहीं हुए हैं । वह खिल उठी और राम के चप्पू चलाते हाथों को रोककर कहा, “ तुमने मुझे स्वयं को जानने में सहायता की है, इसलिए मेरी ख़ुशी क़िस में है , यह चुनाव भी मेरा है। “

राम भी खिल उठे ,” कभी-कभी सोचता हूं, अंतिम सत्य पा जाने का सुख , क्या तुमसे एक होने के सुख से भिन्न होगा !”

सीता हंस दी , “ आज की रात मैं उस अंतिम सत्य को पाने की भी इच्छा नहीं रखती, मैंने सब पा लिया है ।”

उस रात पूरी सृष्टि उनके इस सुख में खो गई ।

—-शशि महाजन


Related Posts

लघुकथा-सजी हुई पुस्तकें

October 8, 2023

लघुकथा-सजी हुई पुस्तकें बाॅस के एयरकंडीशन आफिस में घुसते ही तिवारी के चेहरे पर पसीना आ गया। डेस्क पर पड़ी

कहानी –कलयुगी विभीषण | story – kalyugi vibhishan

September 21, 2023

कहानी –कलयुगी विभीषण | story – kalyugi vibhishan प्रेम बाबू का बड़ा बेटा हरिनाथ शहर में अफसर के पद पर

Laghukatha -Mobile | लघुकथा- मोबाइल

July 18, 2023

लघुकथा- मोबाइल  अगर कोई सुख का सही पता पूछे तो वह था गांव के अंत में बना जीवन का छोटा

लघुकथा:प्रेम | laghukatha -Prem

May 14, 2023

 लघुकथा:प्रेम पिछले एक घंटे से डा.श्वेता ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट पर विविध रंगों की शर्ट पसंद कर रही थीं। एक प्रखर

लघुकथा:नाराज मित्र | Short Story: Angry Friends

April 19, 2023

लघुकथा:नाराज मित्र राकेश सिन्हा बहुत कम बोलने वालों में थे। अंतर्मुखी स्वभाव के कारण वह लोगों से ज्यादा बातचीत नहीं

कहानी-वह चली गई | kahani – wo chali gayi

April 4, 2023

 कहानी-वह चली गई | kahani – wo chali gayi वह निश्चेतन अवस्था में, बिना किसी हरकत के, आँख बंद किए

PreviousNext

Leave a Comment