Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel
दीपक का उजाला

Uncategorized, story

दीपक का उजाला

गाँव के किनारे एक छोटा-सा स्कूल था। इस स्कूल के शिक्षक, नाम था आचार्य देवदत्त, अपने समय के सबसे विद्वान …


गाँव के किनारे एक छोटा-सा स्कूल था। इस स्कूल के शिक्षक, नाम था आचार्य देवदत्त, अपने समय के सबसे विद्वान और सरल हृदय व्यक्ति माने जाते थे। उनकी उम्र लगभग 60 वर्ष हो चुकी थी, लेकिन उन्होंने कभी खुद को रिटायर करने की बात नहीं सोची। उनका मानना था कि सच्चा शिक्षक तब तक शिक्षित करता है जब तक उसके पास सीखने वाले हों।

 

देवदत्त का एक विशेष शिष्य था, नाम था आयुष। वह गरीब परिवार से था, लेकिन उसकी आँखों में कुछ ऐसा था जो देवदत्त को बहुत प्रभावित करता था। आयुष की बुद्धि और जिज्ञासा उसे बाकी बच्चों से अलग बनाती थी, परंतु जीवन की कठिनाइयाँ उसके रास्ते में बाधा बन कर खड़ी रहती थीं। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वह कई बार स्कूल छोड़ने का मन बना चुका था, लेकिन हर बार देवदत्त उसे समझा-बुझाकर वापस बुला लेते।


एक दिन, आयुष के पिता बीमार पड़ गए और परिवार की पूरी जिम्मेदारी उसके कंधों पर आ गई। उसने देवदत्त से माफी मांगते हुए कहा, “गुरुजी, मुझे अब स्कूल छोड़ना होगा। मेरे घर में कोई कमाने वाला नहीं बचा है।”देवदत्त ने उसकी आँखों में देख कर कहा, “बेटा, शिक्षा सबसे बड़ा धन है। अगर तुम इसे छोड़ दोगे, तो जिंदगी की लड़ाई अधूरी रह जाएगी। मैं तुम्हारी मदद करूंगा, लेकिन तुम सीखने का रास्ता मत छोड़ो।”

आयुष ने सिर झुकाते हुए कहा, “गुरुजी, मैं कैसे जारी रख सकता हूँ? मेरे पास साधन नहीं हैं।”

देवदत्त मुस्कराए और बोले, “तुम्हें केवल खुद पर विश्वास रखना है। मैं तुम्हारे लिए मार्ग बनाऊंगा।”उस दिन से देवदत्त ने आयुष के घर का खर्चा उठाना शुरू कर दिया, लेकिन आयुष को इसका पता नहीं चला। वे उसे ऐसे तरीके से मदद देते कि वह यह समझे कि स्कूल ने उसकी स्कॉलरशिप दी है। धीरे-धीरे, आयुष ने अपनी मेहनत से सफलता के झंडे गाड़े। उसने पढ़ाई में सर्वोच्च स्थान हासिल किया और गाँव का नाम रोशन किया।

कुछ वर्षों बाद, आयुष एक सफल वैज्ञानिक बनकर देश का नाम गौरवान्वित करने लगा। वह गाँव लौट आया, लेकिन देवदत्त जी अब नहीं थे। उनका निधन कुछ महीने पहले ही हो चुका था। आयुष को तब पता चला कि उसकी पढ़ाई और जीवन में जो भी मदद मिली थी, वह सब देवदत्त जी की ओर से थी।


आयुष के आँखों में आँसू थे, लेकिन दिल में गर्व और कृतज्ञता। उसने देवदत्त जी के स्कूल में एक बड़ी पुस्तकालय की स्थापना की, जिसका नाम रखा गया **”दीपक का उजाला”**, क्योंकि देवदत्त हमेशा कहते थे, “ज्ञान का दीपक जलता है, तो अंधकार का अंत होता है।”


कहानी यही संदेश देती है कि सच्चे शिक्षक वो होते हैं जो अपने शिष्यों को आगे बढ़ाने के लिए अपना सब कुछ अर्पित कर देते हैं, बिना किसी उम्मीद के। शिक्षक दिवस केवल एक दिन नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है उन सभी आचार्यों के लिए जो जीवन में उजाले का दीपक बनते हैं।


*प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”*


Related Posts

कहानी-बेइन्तहाँ इश्क

May 2, 2022

 “बेइन्तहाँ इश्क” “तुम्हें देखते ही जानाँ खिलकर बहार हो जाऊँ, दूरियों पर बिरहन बन तेरे इंतज़ार में दर्द का पहाड़

कहानी – जड़ों में तेल देना इसे कहते हैं

May 1, 2022

कहानी-जड़ों में तेल देना इसे कहते हैं छोटे थे तब एक कहानी सुनी थी। एक भरापुरा परिवार था।दादा,दादी मां और

कहानी प्यार की

April 27, 2022

कहानी प्यार की सीमा और विमल के प्यार के चर्चे उनके पूरे ग्रुप में खूब थे।दो दिल एक जान थे

कहानी -वारसदार की महिमा

April 25, 2022

 “वारसदार की महिमा” आज ‘सनशाइन विला’ को स्वर्ग सा सजाया गया है, मेहमानों को दावत दी गई है, सबकुछ होते

कहानी – गुरु दक्षिणा

April 25, 2022

कहानी- “गुरु दक्षिणा” वृंदा ने अपने पति संजय से कहा सुनिए दिवाली आ रही है, अडोस-पड़ोस के सारे बच्चें नये

पंचलाइट(पंचलैट): फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी| Panchlight story

April 16, 2022

Panchlight : Hindi story by phanishwarnath Renu पंचलाइट(पंचलैट): फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी  पिछले पन्द्रह दिनों से दंड-जुरमाने के पैसे जमा करके

PreviousNext

Leave a Comment