Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Story- bhagya nirmata |भाग्य निर्माता

भाग्य निर्माता काली अँधेरी रात में राम जाग रहे थे, यह वर्षा ऋतु उन्हें शत्रु प्रतीत हो रही थी ।यह …


भाग्य निर्माता

Story- bhagya nirmata |भाग्य निर्माता

काली अँधेरी रात में राम जाग रहे थे, यह वर्षा ऋतु उन्हें शत्रु प्रतीत हो रही थी ।यह थमे, कीचड़ भरे रास्ते , फिर से राह दें तो राम अंगद को दूत बनाकर भेजें, सदा स्थिर रहने वालेराम आज अस्थिर अनुभव कर रहे थे ।

यह पिछले वर्ष की ही तो बात है जब वह सीता से कह रहे थे,

“ देखो प्रकृति थकना नहीं जानती, वर्षा चली आती है दनदनाती हर वर्ष जीवन में अटलविश्वास लिए ।”

और सीता हंस दी थी, “ आप तो कवि हो उठे हो ।”

राम मुस्करा दिये थे, “ जब तुम मेरे साथ हो, लक्ष्मण मेरे साथ है तो मेरा जीवन में विश्वास भी अटल है।”

याद करके राम की आँखें नम हो आई।

उन्होंने अपने कंधे पर लक्ष्मण का हाथ अनुभव किया और अपने आंसुओं को वहीं से लौटा दिया ।

लक्ष्मण ने राम के आंसू देख लिए पर कुछ कहना उचित नहीं समझा ।

“ कभी नहीं सोचा था कभी इस ख़ंडहर में वर्षा ऋतु बीतने की प्रतीक्षा करनी होगी। “ लक्ष्मण ने बातचीत आरंभ करने के प्रयत्न में कह।

“ अयोध्या का राजकुमार अपने निर्धन भाई के साथ कहाँ कहाँ भटक रहा है । “ राम ने मुस्कुराते हुए कहा ।

“ नहीं , लक्ष्मण का बलशाली भाई , अपनी छत्रछाया में उसे जीवन निखारने का अवसर दे रहा है। “

राम चुप रहे तो लक्ष्मण ने फिर कहा, “ भईया आप भाग्य को मानते है ?”

“ क्यों नहीं, आज की यह काली रात हमारा भाग्य ही तो है, हमारा चुनाव नहीं ।”

लक्ष्मण अपने भाई की व्यथा को समझ गया , वह सोच रहा था, मेरा भाई, जिसने बिना संकोच के राज्य त्याग दिया, ताकि युद्ध न हो और जीवन मूल्य बनेरहें, उसी भाई को नियति बार बार युद्ध के लिए विवश करती है । ऐसा कौन सोच सकता था कि इतने शक्तिशाली सम्राट की बेटी और बहु का हरण होजायेगा, और राम अपना धनुष बाण लिए वर्षा ऋतु के बीतने की प्रतीक्षा कर रहे होंगे। यदि आज राम विचलित हैं तो आश्चर्य क्या, आज पहली बारभाग्य के विशाल हाथ राम की ऑंखें नम कर गए हैं ।

अगली सुबह सूरज की किरणें पृथ्वी को अपनी गर्मी से ढकने के लिए बेताब लग रही थी , दूर से कुछ आवाज़ें वातावरण को भरने लगी थी । लक्ष्मण नेकहा,

“ लगता है हनुमान अपने संगी साथियों के साथ इस ओर बढ़े आ रहे हैं ।”

“ हाँ । “ राम हंस दिये , “ हनुमान तो लगता है जैसे हमारा जन्मों से बिछड़ा भाई है। जंगल न आते तो यह भी न मिलता ।”

राम की बात समाप्त भी नहीं हुई थी कि हनुमान अपने मित्रों के साथ खंडहर में लांघते फाँदते दिखाई दिये। उन्हें देख राम का चेहरा खिल उठा।

हनुमान ने कहा, “ क्षमा करें राम पिछले सप्ताह भर पानी बरसता रहा, सारी नदियाँ तट तोड़ भागी हैं । सारे रास्ते कीचड़ से भरे हैं । परन्तु कल आधी रातजब पानी थमा तो हमने तभी चलने का निर्णय कर लिया, घंटों चलने के बाद यह दो योजन की दूरी तय कर पाए हैं ।”

“ मैं जानता हूँ हनुमान , परन्तु अभी समय और व्यर्थ नहीं होगा । वर्षा ऋतु का यह समय हम अपने प्रशिक्षण में , और हथियार बनाने में लगायेंगे । आप मेंसे जो घर जाना चाहें, वे संध्या समय जायें और सूर्योदय के साथ लौट आयें ।”

“नहीं राम, अब हम घर विजय प्राप्ति के पश्चात ही जायेंगे ।” किसी ने कहा और वह खंडहर जय श्री राम की ध्वनि से जीवंत हो उठा ।

नित नए उत्साह से वानर सेना अभ्यास कर रही थी, रात को राम युद्ध के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते । भोजन का उत्तरदायित्व उन्होंने बुद्धिमान निगमको सौंप दिया और कहा, “ कोई भी सेना बिना भोजन के नहीं लड़ सकती, इसके लिए प्रयत्नशील रहो कि सेना को कभी भी भूखा न सोना पड़े।”

अधिरथ से कहा,” हथियारों की सुदृढ़ता के लिए धातुओं की खोज जारी रखो, उनका उत्पादन किसी भी स्थिति में धीमा न हो। “

नल से कहा, “ वैद्यों की संख्या बडाओ, औषधियों से अपने भंडार भर दो, मेरा कोई भी सैनिक औषधि के अभाव में अपने प्राण नहीं खोयेगा ।”

“ और दर्पण तुम अपने मित्रों के साथ साहस और आत्मविश्वास के साथ सेना के आगे गाते हुए चलोगे ।”

राम के स्वर में इतना विश्वास था कि किसी ने यह नहीं कहा, राम, हमारे पास साधनों का अभाव है, सबको लगा, यदि राम कह रहे हैं तो हम यह संभव करसकते है।

उन विरान पड़े खंडहर से जंगल में चहुं ओर जीवन की लहर दौड़ गई ।

वर्षा ऋतु बीत गई, समय आ गया जब राम अंगद को रावण के पास संधि प्रस्ताव के लिए भेजें ।

सेना समुद्र तट पर एकत्रित थी।

राम ने पल भर के लिए स्नेह से लक्ष्मण को देखा और मुस्करा दिये, फिर उन्होंने एक संतोष जनक दृष्टि अपनी सेना पर डाली और कहना आरम्भ किया ,” कुछ समय पूर्व मुझसे लक्ष्मण ने पूछा था, क्या मैं भाग्य को मानता हूँ तो मेरा उत्तर था, हाँ मानता हूँ, परन्तु वह अधूरा उत्तर था, यदि व्यक्ति अकेला है तोवह भाग्य के अधीन है, परन्तु जब पूरा समाज एकजुट हो प्रयत्न करता है तो वह भाग्य को परास्त कर देता है , जैसा कि हम करने जा रहे हैं । और मैं उसदिन का स्वप्न देखता हूँ जब पूरी मानवता एक जुट हो सबके लिए सुख शांति ढूँढकर भाग्य को अपनी मुट्ठी में कर लेगी । इसके लिए मैं अंगद को शांतिदूत बनाकर भेज रहा हूँ। यदि रावण संधि प्रस्ताव स्वीकार कर लें और सीता को सम्मान पूर्वक लौटा दें , तो राम, सीता, और लक्ष्मण उसे क्षमा कर देंगे , और जनमानस युद्ध की क्षति से बच जायेगा , , साथ ही हम यह आश्वासन भी चाहेंगे कि वह अब से सब जन जातियों के शांति से जीवन यापन केअधिकार की रक्षा करेगा ।”

अंगद ने गुरूजनों का आशीर्वाद लिया, और आत्मविश्वास से लंका की ओर बड़ गया । जंगल देर तक राम की जय के नारों से गूंजता रहा।

——शशि महाजन


Related Posts

Laghukatha rani beti raj karegi by gaytri shukla

June 12, 2021

रानी बेटी राज करेगी बेटी पराया धन होती है, यह सत्य बदल नहीं सकता । अगर आप शांति से विचार

Laghukatha mere hisse ki dhoop by rupam

June 12, 2021

लघुकथा मेरे हिस्से की धूप तमाम तरह के बहस-मुबाहिसे होने के बाद भी उसका एक ही सवाल था- तो तुमने

Laghukatha dar ke aage jeet hai by gaytri shukla

June 11, 2021

डर के आगे जीत है रिमझिम के दसवें जन्मदिन पर उसे नाना – नानी की ओर से उपहार में सायकल

laghukatha freedom the swatantrta by anuj saraswat

June 7, 2021

लघुकथा – फ्रीडम-द स्वतंत्रता “तू बेटा जा शहर जाकर नौकरी ढूंढ कब तक यहाँ ट्यूशन पढ़ाकर अपने को रोक मत

Nanhe jasoos bhognipur – story

January 22, 2021

 👉  नन्हे जासूस भोगनीपुर 👇    उन दिनों भोगनीपुर के समाचार पत्रों में ठगी किए उस विचित्र ढंग की खूब

Gramya yuva dal – story

January 12, 2021

 हेलो फ्रेंड्स अभी तक आपने धन श्याम किशोर की शहर से गांव में आने तक की कहानी और खेती करने

Leave a Comment