Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Jayshree_birmi, story

Story-बेदखल (bedakhal)

 कहानी -बेदखल   आज विरल ने अपने पापा को अपनी जिंदगी से बेदखल कर दिया था।कोर्ट में जा वकील की …


 कहानी -बेदखल

Story-बेदखल (bedakhal)

  आज विरल ने अपने पापा को अपनी जिंदगी से बेदखल कर दिया था।कोर्ट में जा वकील की मदद से कानूनी रूप से वे अलग हो गए थे।घर पहुंचते ही उसने वे कागजात अपनी मां क्षमा के कृष हाथों में सौंप दिए थे।क्षमा का नाम ही क्षमा नहीं वह खुद क्षमा की मूरत बन गई थी। इन 40 सालों की शादीशुदा जिंदगी में  बहुत कुछ देख और सह चुकी थी।18 साल पूरे होते होते ही शादी हो गई थी।बिदाई पे दी मां की शिक्षा का सारी उम्र पालन किया था।मां बोली थी,” अब वही तेरा सही मायने में घर हैं बेटी दो बार विदा होती हैं एक बार डोली में मायके से और दूसरी बार अर्थी में ससुराल से।धीरे धीरे ससुराल में सब ठीक हो जाता हैं, एक दूसरों को समझ कर के।वे लोग ज्यादा हैं तू अकेली हैं तो तुझे ही एडजस्ट करना पड़ेगा” सब सुनती रही जवाब देने की हिम्मत नहीं थी उसकी कि पूछे,” मां मेरा कौन सा घर हैं?”

  सास तो थी ही ऐसी वो थी ससुर भी कम नहीं थे हर बात में नुक्स निकलते थे। देवर तो बस पूछो मत दिन भर आवारा गर्दी कर खाने के समय नखरों से भरे टिप्पणियां सास को कुछ न कुछ कहने का मौका देती थी।कंवारी ननद की भावनाओं को देख पति के साथ घूमने भी नही जा पाती थी।। दफ्तर से आते ही पति के हाथ से बॉटल और चखना ले रसोई में जा ग्लास और बोटल और चखना ट्रे में सजाके ले जाना और पीने के बाद उसकी तरफ से दी जाने वाली यातना सहना बहुत ही मुश्किल था।जैसे तैसे उसकी शादी हो गई।उसकी शादी में काम करके जैसे टूट सी गई थी वह फिर भी वह खुश दिखने की कोशिश करती रहती थी।

 सोचा था ननंद की शादी होने के बाद सोचा था पति के साथ सुख से घूमेगी फिरेगी लेकिन ये क्या उसका पति उसकी ओर से लापरवाह हो चुके थे शयन कक्ष के बाहर उसकी  कोई हैसियत नहीं रह गई थी।वह अपने नसीब को दोष दे कर सब कुछ सह लेती थी।

 कुछ अच्छे कर्म किए होंगे की विरल जैसे एक स्वस्थ और प्यारे बच्चे ने उसकी कोख से जन्म लिया।उसकी किलकारियों में और बाल लीलाओं में वह अपना सुख देख ने लगी।पति से प्यार की उम्मीद तो नहीं थी किंतु पी कर मारने वाले पति को प्यार करना उसे सज़ा सा लगता था।लेकिन खारे समुंदर में मीठी झिल था विरल और उसके प्रति उसका प्रेम।उसी को देख दिन काटती रही।और भगवान ने भी सुनली थी उसकी,बहुत ही लायक बेटा था उसका।

       जैसे जैसे बड़ा होता गया मां से उसका लगाव और जुड़ाव बढ़ता गया था। सास ससुर की मृत्यु के बाद भी पति की हालत में कोई सुधार नहीं आया किंतु विरल अब पढ़ लिख कर साहब बन गया था।उसका पति भी कमजोर हो गया था किंतु जुबान का सारा असर उसके माता पिता उसे विरासत में दे गाएं थे। 

 ये सब देख एक दिन विरल ने पूछ ही लिया,” मां क्या जरूरत थी आपको ऐसे रिश्ते को उम्र भर निबाहने की?आप पढ़ी लिखी हो कोई नौकरी कर आप अपने पैरों पर खड़ी हो सकती थी।” तब उसने मुंह खोला,” क्या करती बेटे समाज में अकेली स्त्री का रहना बहुत मुश्किल होता हैं उपर से घर से मिली शिक्षा,घर नहीं छोड़ना चाहे कुछ हो जाए!”

ये सब सुन विरल कुछ सोच में पड़ गया और दूसरे दिन अदालत में पहुंच जो काम उसकी मां नहीं कर पाई वह उसने कर दिया।अपने पिता को अपनी और अपनी मां की जिंदगी से ’ बेदखल ’कर दिया।

About Author

जयश्री बिरमी सेवानिवृत शिक्षिका  अहमदाबाद

जयश्री बिरमी

सेवानिवृत शिक्षिका 
अहमदाबाद

Related Posts

LaghuKatha – peepal ki pukar | पीपल की पुकार

December 30, 2023

लघुकथा  पीपल की पुकार ‘दादी मां दादी मां, आपके लिए गांव से चिट्ठी आई है’, 10 साल के पोते राहुल

Story – mitrata | मित्रता

December 28, 2023

मित्रता  बारिशें रूक गई थी, नदियाँ फिर से सीमाबद्ध हो चली थी, कीचड़ भरे मार्गों का जल फिर से सूरज

Story – prayatnsheel | प्रयत्नशील

December 28, 2023

प्रयत्नशील भोजन के पश्चात विश्वामित्र ने कहा, ” सीता तुम्हें क्या आशीर्वाद दूँ, जो मनुष्य अपनी सीमाओं को पहचानता है,

Story – praja Shakti| प्रजा शक्ति

December 28, 2023

प्रजा शक्ति  युद्ध का नौवाँ दिन समाप्त हो चुका था। समुद्र तट पर दूर तक मशालें ही मशालें दिखाई दे

Story- bhagya nirmata |भाग्य निर्माता

December 28, 2023

भाग्य निर्माता काली अँधेरी रात में राम जाग रहे थे, यह वर्षा ऋतु उन्हें शत्रु प्रतीत हो रही थी ।यह

Ram Sita aur laxman ka sapna| राम , सीता और लक्ष्मण का सपना

December 28, 2023

राम , सीता और लक्ष्मण का सपना  पूर्णाहुति के पश्चात ऋषि पत्नी मंच पर खड़ी हो गईं , “ आप

Leave a Comment