सिर्फ उपयोगिता को सलाम
गौशालाओं में…
सबसे बढ़िया एवं पौष्टिक चारा आता है
दुधारू गाय और उपयोगी बैल के हिस्से में,
बांझ, बूढ़ी गाय एवं बैल के हिस्से में
आ पाता है रूखा-सूखा, बचा-खुचा ही माल,
उपयोगी न रहने पर
कई बार होती नहीं इन्हें छत भी नसीब,
सड़कों पर घूमते आवारा पशु
इस बात की हैं मिसाल।
परिवारों में…
सबसे ज्यादा तवज्जो, सम्मान एवं लाड़-प्यार
आता है
परिवार के कमाऊ सदस्यों और पढ़ाई में
अच्छे बच्चों के हिस्से में,
बेरोजगार और अपनी उपयोगिता खो चुके
प्रौढ़ सदस्यों के हिस्से में
आता है बहुत बार तिरस्कार भरा व्यवहार,
कई बार उन्हें होता नहीं घर भी नसीब,
वृद्धाश्रमों और फुटपाथों पर रहे निराश्रित लोग
इस बात की हैं मिसाल।
इंसान हो, जानवर हो या हो कोई
यंत्र, वस्तु जैसा कुछ और भी
उपयोगी बना रहता है जब तक
किया जाता है तब तक ही उसका इस्तकबाल,
नहीं तो धीरे-धीरे उसके अपने भी
करने लगते हैं कम उसकी सार- संभाल।
जितेन्द्र ‘कबीर’
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम – जितेन्द्र ‘कबीर’
संप्रति – अध्यापक
पता – जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र – 7018558314






