शब्दों की चोट
उस खाई के विरुद्ध ।
कभी जुदा करती है ।
चिंगारी पैदा करती है।।
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शब्दों की चोट शब्दों की चोट जब पड़ती है। चित्त में चेतना की चिंगारी निकलती है।। जैसे बसंत में भी …

July 13, 2025
परिवार के अन्य सदस्य या तो ‘बड़े आदमी’ बन गए हैं या फिर बन बैठे हैं स्वार्थ के पुजारी। तभी

July 10, 2025
मैं दर्द से तड़प रहा था — मेरे दोनों पैर कट चुके थे। तभी सूखी लकड़ी चीख पड़ी — इस

May 26, 2024
बुआ -भतीजी बात भले फर्ज़ी लगे, लेकिन इस में सच्चाई है। बुआ होती है भतीजी का आने वाला कल, और

May 26, 2024
एक मई को जाना जाता,श्रमिक दिवस के नाम से श्रमिक अपना अधिकारसुरक्षित करना चाहते हैं ,इस दिन की पहचान से।कितनी मांगे रखते श्रमिक,अपनी- अपनी सरकार से।

May 26, 2024
सुंदर सी फुलवारी मां -पिता की दुनिया बच्चे हैं,बच्चों की दुनिया मात- पिता ।रिश्ते बदलें पल- पल में ,मां -पिता

May 26, 2024
बचपन हंसता खिलखिलाता बचपन,कितना मन को भाता है। पीछे मुड़कर देखूं और सोचूं, बचपन पंख लगा उड़ जाता है। बड़ी
Nice poem