Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Aalekh, lekh

Rajdharm ya manavdharm by jayshree birmi

 राजधर्म या मानवधर्म कौन बड़ा राज्यधर्म और मानवधर्म में किसका पालन करना महत्वपूर्ण हैं ,ये एक बड़ा  प्रश्न हैं।अगर इतिहास …


 राजधर्म या मानवधर्म

Rajdharm ya manavdharm by jayshree birmi

कौन बड़ा राज्यधर्म और मानवधर्म में किसका पालन करना महत्वपूर्ण हैं ,ये एक बड़ा  प्रश्न हैं।अगर इतिहास में देखें तो सभी ने राजधर्म का ही पालन किया हैं।महाभारत में कई प्रसंग हैं जहां राजधर्म को महत्व दे मानवधर्म का पालन नहीं हुआ हैं।जब पांचों पांडू पुत्र वन से महल में आए तब उनके साथ हुआ सौतेला व्यवहार  भेदभावपूर्ण होने के से उनका अपमान बार बार होता था।सारे वरिष्ठ जन जानते हुए भी उसको रोक तो नहीं सके किंतु प्रतिरोध भी नहीं किया।जब देखो उनको सजाएं दी जा रही थी,कभी वनवास ,कभी अज्ञातवास और जुआ खेलते समय जो शकुनी द्वारा हुई बेईमानी,ये सब ही को ज्ञात हैं लेकिन किसी में भी इस अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की नैतिक हिम्मत होती तो आज महाभारत की कथा कुछ और ही होती, प्रपंचों से भरे कौरवों और शकुनी के कारनामों का शिकार पांडू पुत्र नहीं होते।ब्राह्मण के भेष में द्रौपदी के स्वयंवर में जीत ब्याह करते समय भी उन्हें बहुत ही विरोध का सामना करना पड़ा। अन्यायों का सामना करते करते  राजकुमार होते हुए भी अत्यंत कष्टपूर्ण जीवन सभी पांडू पुत्र और माता  कुंती ने व्यतीत किया जो एक सज़ा ही थी।सब से ज्यादा अन्यायपूर्ण बात तो जुए में हार और फिर द्रौपदी का चीर हरण एक स्त्री के साथ हुए अन्याय की व्यथा अतिदुखमय थी। सिर्फ कृष्ण की सहायता से ही राजघराने की बहू जो सर्व सम्मान की हकदार थी उसकी इज्जत बची थी।जो भी महान विभूतियां दरबार में ऊंचे ऊंचे पदों पर बैठे थे वे राजधर्म में उलझ कर रह गए और अपनी कुलवधु के सम्मान की रक्षा करने में अक्षम रहे ये कायरता थी या नौसंकता ये तय करना बहुत मुश्किल हैं।विदुर जी,जो नीतिमत्ता के प्रखर निष्णांत थे क्या उन्हे कोई रास्ता नहीं मिला इस शर्मनाक प्रसंग को टालने का? वही महा भीष्म प्रतिज्ञा ली उत्तम मनोबल दिखाने वाले पितामह भीष्म को किसने रोका था इस जधन्य गुणहित कृत्य को से।उतनी नैतिकता दिखाई कि अपने होने वाले परिवार के सभी हक्को को त्याग कर अपनी सारी शक्तियों के बावजूद एकलता  का जीवन व्यतीत करने वाले  भीष्म की क्या विवशता थी? चली धृतराष्ट्र तो आंखो से तो अंधे थे किंतु उससे भी ज्यादा पुत्र प्रेम में अंधे होने के साक्षात प्रमाण कई बार देखने को मिले हैं महाभारत में।गुरु द्रोण,आचार्य कृपाचार्य जो हरेक विद्याओं में निपुण,राजनीति के ज्ञाता क्यों किसी ने कोई भी प्रयोजन नहीं किया उस होनी को रोकने का कोई प्रयोजन क्यों नहीं कर पाएं तो कोई तो कारण होगा,जी,राजधर्म को मानवधर्म से उपर रखने की नीति और रीति ही रही होगी कदाचित।

इसी लिए कटप्पा बाहुबलियों को मारते रहेंगे,आज का राजकरण देखो तो शायद वही ताद्रश्य होगा।सभी को राजनीति ,सब असत्य पर टिकी हुई और स्वार्थ के सिद्धांत पर टिकी,देश से भी ज्यादा अपने उल्लू सीधे करने की जो परंपरा को निभा कर देशहित,प्रजाहित के बारे में नहीं सोच रहे ये नेताओं को भी इन प्रसंगों से कुछ तो सीखना चाहिए।

जयश्री बिरमी
अहमदाबाद


Related Posts

महिलाएं पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्राचीन काल से जागरूक रही

महिलाएं पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्राचीन काल से जागरूक रही

May 26, 2024

महिलाएं पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्राचीन काल से जागरूक रही पर्यावरण शब्द का चलन नया है, पर इसमें जुड़ी चिंता

मंगलसूत्र : महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा देने वाला वैवाहिक बंधन | Mangalsutra

मंगलसूत्र : महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा देने वाला वैवाहिक बंधन | Mangalsutra

May 26, 2024

मंगलसूत्र : महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा देने वाला वैवाहिक बंधन ‘मंगल यानी शुभ और सूत्र यानी बंधन। मंगलसूत्र यानी शुभबंधन।’

नाभि बताती है वृत्ति, प्रकृति और व्यक्तित्व

नाभि बताती है वृत्ति, प्रकृति और व्यक्तित्व

May 26, 2024

नाभि बताती है वृत्ति, प्रकृति और व्यक्तित्व सामुद्रिकशास्त्र में शरीर के विभिन्न अंगों के बारे में वर्णन किया गया है।

भारतीय सिनेमा की महिला हास्य कलाकार

March 8, 2024

 भारतीय सिनेमा की महिला हास्य कलाकार बॉलीवुड में हर साल अलग-अलग जॉनर की कई फिल्में रिलीज होती हैं। कॉमेडी एक

फर्श से अर्श तक आने वालों से सीखने वाला ही- कलाकार

March 8, 2024

फर्श से अर्श तक आने वालों से सीखने वाला ही- कलाकार ट्विटर की दुनिया से लेकर इंस्टाग्राम या यूॅं कह

महा शिवरात्रि और शिवजी का प्रसाद भांग| maha Shivratri

March 8, 2024

महा शिवरात्रि और शिवजी का प्रसाद भांग ‘खइ के पान बनारस वाला, खुल जाए बंद अकल का ताला…’ चार दशक

Leave a Comment