Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Laghukatha -Mobile | लघुकथा- मोबाइल

लघुकथा- मोबाइल  अगर कोई सुख का सही पता पूछे तो वह था गांव के अंत में बना जीवन का छोटा …


लघुकथा- मोबाइल 

Laghukatha -Mobile | लघुकथा- मोबाइल

अगर कोई सुख का सही पता पूछे तो वह था गांव के अंत में बना जीवन का छोटा सा घर। जीवन सुबह उठता, खेतों के बीच से बहने वाली नदी की ओर जाता, वहीं नित्यकर्म से निपट कर नहाता और वहां से आ कर मां के हाथ की बनी चार रोटियां खा कर जानवरों को ले कर खेतों की ओर निकल जाता। जानवर चरने लगते तो वह खेतों में काम पर लग जाता। दोपहर को मां खाना ले कय आती तो खाना खा कर वह वहीं बाग में पेड़ के नीचे चारपाई डाल कर सो जाता। शाम को जानवरों को घर पहुंचा कर वह नदी और पहाड़ों की ओर घूमने निकल जाता। लगभग दो घंटे तक बस प्रकृति और वह। यही सब तो उसके यारदोस्त थे। रात को आ कर खाना खाता और फिर मंदिर पर बाबा के साथ भजन गाता। अब तक वह इतना थक चुका होता कि चारपाई पड़ते ही सो जाता। जब से वह समझदार हुआ, तब से उसका यही नित्यक्रम, जिसमें कोई बदलाव नहीं होता था। जीवन के जीवन में दुख, चिंता या भय जैसा कुछ नहीं था और उसने कभी यह सब अनुभव भी नहीं किया था। कभी-कभार वह जिस गांव में जाता, वही गांव उसके लिए विश्व था। इसके बाहर भी एक दुनिया है यह उसे पता नहीं था।

गांव में मोबाइल का टावर लग गया। अब वह जब भी गांव में जिधर से निकलता, हर किसी के हाथ में उसे काला डिब्बा दिखाई देता। कोई उसमें कुछ देख रहा होता तो कोई कान में लगा कर घूम रहा होता। मुंबई में नौकरी करने वाला उसके मामा के बेटा गांव आया तो साथ में मोबाइल ले आया। यह थी जीवन की मोबाइल से पहली मुलाकात। पहले तो कुछ पता नहीं चला, पर भाई ने हिंदी में पढ़ा-सुना जा सके इस तरह कर दिया। इसके बाद तो जीवन को यह अनोखी दुनिया अद्भुत लगी। सुबह उठ कर दोनों हाथ जोड़ने वाला जीवन अब मोबाइल की स्क्रीन खोलता। गाय और भैंसे कहीं और चर रही होतीं, जीवन की गर्दन मोबाइल में झुकी होती। न जाने कितनी बार चलते चलते वह पेड़ से टकराया। अब वह प्रकृति के साथ घूमने के बजाय नदी और पहाड़ मोबाइल में देखने लगा। रात को भजन गाने के बजाय मोबाइल में प्ले करने लगा। एक बार लाइट नहीं आई, चार्जिंग खत्म हो गई  तो पूरे दिन जीवन का मुंह लटका रहा। जल्दी से बीत जाने वाला दिन बीत ही नहीं रहा था। अब रात को नींद भी नहीं आती थी, क्योंकि मोबाइल चलता रहता था।

इधर गाय ने दूध देना कम कर दिया। अचानक जीवन को भान हुआ कि पहले की तरह खिलाते समय वह गायों के सिर पर हाथ फेरने की जगह फोन में मुंह डाल कर बैठ जाता है। आज वह गौ माता की आंख में आंख डाल कर एकटक देखता रहा। फिर मौन गौ माता ने न जाने क्या कहा कि उसने मोबाइल पीछे बह रही नदी में फेक दिया।

About author 

वीरेन्द्र बहादुर सिंह जेड-436ए सेक्टर-12, नोएडा-201301 (उ0प्र0) मो-8368681336

वीरेन्द्र बहादुर सिंह
जेड-436ए सेक्टर-12,
नोएडा-201301 (उ0प्र0)


Related Posts

Story – prayatnsheel | प्रयत्नशील

December 28, 2023

प्रयत्नशील भोजन के पश्चात विश्वामित्र ने कहा, ” सीता तुम्हें क्या आशीर्वाद दूँ, जो मनुष्य अपनी सीमाओं को पहचानता है,

Story – praja Shakti| प्रजा शक्ति

December 28, 2023

प्रजा शक्ति  युद्ध का नौवाँ दिन समाप्त हो चुका था। समुद्र तट पर दूर तक मशालें ही मशालें दिखाई दे

Story- bhagya nirmata |भाग्य निर्माता

December 28, 2023

भाग्य निर्माता काली अँधेरी रात में राम जाग रहे थे, यह वर्षा ऋतु उन्हें शत्रु प्रतीत हो रही थी ।यह

Ram Sita aur laxman ka sapna| राम , सीता और लक्ष्मण का सपना

December 28, 2023

राम , सीता और लक्ष्मण का सपना  पूर्णाहुति के पश्चात ऋषि पत्नी मंच पर खड़ी हो गईं , “ आप

Story – Ram Sita | राम सीता

December 28, 2023

राम सीता  बनवास में रहते हुए दस वर्ष हो चुके थे , इतने वर्ष घर से दूर रहने के कारण

Story- Ram ka nayay| राम का न्याय

December 28, 2023

राम का न्याय गोधूलि का समय था , सीता ने कुटिया के मुख्य द्वार से देखा , बहुत से ग्रामीण

Leave a Comment