Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

story, कहानी

Laghukatha- mairathan by kanchan shukla

 मैराथन डॉक्टर ने बोला है, आज के चौबीस घंटे बहुत नाजुक हैं। हल्का फुल्का सब सुन रहा हूँ। कोई मलाल …


 मैराथन

Laghukatha- mairathan by kanchan shukla

डॉक्टर ने बोला है, आज के चौबीस घंटे बहुत नाजुक हैं। हल्का फुल्का सब सुन रहा हूँ। कोई मलाल नही। जीवन की इस अंतिम बेला में, पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो कुछ नही जिसकी मुझे चाहना हो।

परिवार में सभी विचल और खिन्न हैं। सब स्वार्थ निहित शोक में होंगे। पत्नी का ही रहरहकर ख्याल आता है। उसने हमेशा सबका ख्याल रखा था।

मेरे ना होने पर, उसका ख्याल कोई नही रखेगा। जब मेरे पास कुछ नही था, उसने मुझे अपना सर्वस्व समर्पित किया। और आज भी, उसी का गम है।

जो चाहिए, ये जिंदगी बख़्श दे, ऐसा तो कम ही हुआ है। चाहूँ तो शायद बच भी जाऊँ। अस्थमा तो आधी जनता को है। पर अब बस हो गया।

कितना जियूँ?? कुछ तो अब ठीक होता नही मुझसे। कितनी कोशिश की है, हालात से लड़ने की। जिसकी जिंदगी है उसे ही सुधारना पड़ेगा।

चलचित्र समान आँख के आगे सब चल रहा है। बचपन से लेकर आजतक कोशिश करता रहा। बड़े सारे प्रयास सार्थक भी हुए। उन्ही से अब, दिल को बहलाता हूँ।

पढ़ालिखा, बड़ा अफसर बना। मातापिता की ख्वाहिशें पूरी कीं। शादी, बच्चे, छप्पर को पक्का घर बनाया। फिर हाड़तोड़ मेहनत कर पैसा कमाया।

एक आध खुद के रहने के लिए भी छोटामोटा बंगला बनाया। बच्चों को सिखाने के लिए अपने चरित्र, व्यवहार के उदाहरण से सामाजिक जीवन की नींव रखी।

बच्चों को जो बनना था वही बने। सब कुछ मिल जाये तो बिरले ही आगे बढ़ते हैं। अपने कर्म और भाग्य से क्या बने, वो ही जानें??

मेरा लक्ष्य कभी नही बदला। सबका भरपूर कल्याण हो। थोड़ा बहुत मेरे अपनों का भी। सेवा में सदा तत्पर, इसी कामना से जीवन जिया।

जो ना बन सका, वो तुम्हारे हवाले राम। प्रभु के निर्णय को स्वीकृत करते हुए। इस मैराथन का अंत स्वीकार करता हूँ। जीवन रेखा सीधी होते ही, प्रलाप शुरू हो गया।

मौलिक और स्वरचित
कंचन शुक्ला- अहमदाबाद


Related Posts

Jooton ki khoj by Jayshree birmi

September 9, 2021

 जूतों की खोज आज हम जूते पहनते हैं पैरों की सुरक्षा के साथ साथ अच्छे दिखने और फैशन के चलन

Antardwand laghukatha by Sudhir Srivastava

August 26, 2021

 लघुकथा अंर्तद्वंद     लंबी प्रतीक्षा के बाद आखिर वो दिन आ ही गया और उसने सुंदर सी गोल मटोल

Uphar kahani by Sudhir Srivastava

August 25, 2021

 कहानी                      उपहार                 

Laghukatha maa by jayshree birmi ahamadabad

August 3, 2021

लघुकथा मां बहुत ही पुरानी बात हैं,जब गावों में बिजली नहीं होती थी,मकान कच्चे होते थे,रसोई में चूल्हे पर खाना

laghukatha kutte by dr shailendra srivastava

July 31, 2021

कुत्ते (लघु कथा ) नगर भ्रमण कर गण राजा अपने राजभवन मे लौटे औऱ बग्घी राज्यांगन में छोड़कर शयनकक्ष मे

Laghukatha- mairathan by kanchan shukla

June 23, 2021

 मैराथन डॉक्टर ने बोला है, आज के चौबीस घंटे बहुत नाजुक हैं। हल्का फुल्का सब सुन रहा हूँ। कोई मलाल

Leave a Comment