Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Aalekh, lekh

khyaati by Jayshree birmi

 ख्याति देश भक्ति या राष्ट्र के विरुद्ध बयान बाजी या प्रवृत्ति करके मिलती हैं ख्याति! आए दिन कोई बड़ा आदमी …


 ख्याति

Khyati by Jayshree birmi

देश भक्ति या राष्ट्र के विरुद्ध बयान बाजी या प्रवृत्ति करके मिलती हैं ख्याति! आए दिन कोई बड़ा आदमी या जिसे मशहूर होने की चाह हैं वह देश विरुद्ध या हिंदू विरुद्ध बयान दे दें तो आप प्रसिद्ध हो जाओगे ऐसा प्रचलन कुछ सालों से देखने को मिल रहा हैं।खास कर प्रचलित संस्थानों से,कुछ तथाकथित नेताओं से ,कुछ महत्वकांक्षी भावी नेताओं आदि में ऐसी  viramiनीति दिखाई देती हैं।विद्यालयों और महाविद्यालयों में तो देशप्रेम और देशभक्ति की शिक्षा मिलनी चाहिए वहीं से देश के विभाजन के नारें लगे या देश विरोधी सूत्रोच्चार करे तब देशद्रोह की इंतहा नहीं तो और क्या हैं?

 विवादित वेबिनार जो २९ अक्टूबर  को होना था जो रद तो हो गया किंतु अपने कश्मीर को आमंत्रण पत्र  में भारत के कब्जेवाला कश्मीर  ऐसा  उल्लेख कर पाकिस्तानी मानसिकता का प्रदर्शन करने वाले उन कथित भारतीयों की विचारसरणी के बारे में लिख बड़ा प्रश्न तो उठता ही हैं।ये वेबिनर जे.एन.यू. के सेंटर फॉर विमेन स्टडीज की और से होने वाला था।

कश्मीर हमारे देश का अभिन्न अंग हैं जिसे भारतीय कब्जे वाला कश्मीर तो पाकिस्तान द्वारा प्रचलित किया जाता रहा हैं जिसे अब हमारे देश में भी प्रचारित किया जाए वह राष्ट्र विरोधी ही नहीं ,बड़ा गुन्हा ही हैं।विष फैलाने के अलावा इसका और कोई आशय हो ही नहीं सकता,सिवाय के देश के विरुद्ध विष फ़ैलाने के। देश विरोधी कार्य हैं ये जो पाकिस्तानी विचारों को  अपने देश फैलाने और लोगों को भ्रमित करने के देश में अशांति और अलगाव का वातावरण पैदा करने का क्या आशय हो सकता हैं।ये कोई गलती नहीं और न ही प्रिंटन्टिंग में गलती हो सकती हैं यह सकारण शरारत हैं जिस के विघटनवादी परिणामों की मंशा से किया गया एक बदईरादातन प्रयास ही कहा जायेगा।

 कोई तो वजह होगी इन सब के पीछे,शायद कश्मीर से ३७० और ३५ के हटने के बाद विकास कार्यों में वृध्दि और वहां पर हो रहा विदेशी इन्वेस्टर्स  का आना आदि भी हो सकता हैं।पत्थरबाज तो चले गए और  प्रगति के पंथ पर चल रहा कश्मीर लोगों को एक नजर नहीं सुहाता हैं।सभी पाकिस्तान की शह पर फालतू बयान बाजी कर अपना नाम बनाना चाहते हैं,सभी की मानसिकता हैं कि बदनाम हुए तो क्या हुआ,नाम तो हुआ।ये पहली बार नहीं हैं जे.एन.यू. द्वारा किया गया देश द्रोह का पहला किस्सा नहीं हैं।पहले भी २०१६ में

जे.एन.यू. में अफजल गुरु और बट की सजा को लेकर  देश के न्याय तंत्र के बारे में ,कायदकीय हत्या जैसे वक्तव्यों से नवाजा गया था और मुकदमा भी दायर हुआ था किंतु अभी तक कोई फैसला नहीं आया है।उसके बाद कुछ लोगो का राजकरण  ने पदार्पण हो गया हैं और देश की सबसे पुराने राजकीय दल में शामिल होने का मौका भी मिल गया हैं।

जेएनयू के प्रशासन ने अपने हाथ ऊंचे कर लिए हैं कि इन सब में न ही उनकी अनुमति ली गई हैं और न ही इन शब्दों का उपयोग उनकी जानकारी में हैं। उन्हों ने  ऐसे व्यक्तव्य की आलोचना कर उसे गलत कदम बताया गया और माफी भी मांगी और जानबूझ कर या अनजाने में किया हो, किंतु  यह गलत हैं।

 पहलेे अफजल गुरु और कसाब आदि के बारे में भी इस वेबीनार का विषय था

 –जेंडर रेजिस्टेंस एण्ड फ्रेश चेलेंजेस इन पोस्ट २०१९ कश्मीर –विषय ही कुछ ऐसा हैं जो देश के एक प्रांत के बारे में ऐसे वेबिनार का आयोजन कर उत्तेजना फैलाने का ही यत्न कह सकते हैं।देश में अलगाव और वैमनस्य पैदा करने की चाल हैं ये,विष फैलाना ही उद्देश्य हैं इनका।

 एबीवीपी के सभ्यों ने इस आमंत्रण की प्रतियों को जला कर विरोध किया।बहुत से नारों का उच्चारण कर इंसाफ की मांग की हैं।उनके नारों में कुछ मांगे थी जैसे पाक के दलालों को एक धक्का और दो, जम्मू कश्मीर हमारा हैं।हमे कश्मीर प्यारा हैं,ये कश्मीर हमारा हैं।देश भक्तों की भूमि पर देश के दुश्मनों की कोई जगह नहीं हैं।जम्मू और कश्मीर संवैधानिक दृष्टि से भी अपने देश का अभिन्न अंग हैं,जिसमे पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भी सम्मिलित  हैं। ये गृह मंत्री जी ने सदन में भी जाहिर कर चुके हैं।

  पूरा जम्मू कश्मीर  और अक्साई चीन भी भारत का अभिन्न हिस्सा था,हैं और हमेशा रहेगा, ये बात तय हैं।

फिर भी यह चिंता का विषय जरूर हैं। मेक इन इंडिया के मंत्र से भारत की जनता सदा गर्वित रहेगी किंतु  अलगाव और आतंक को मेक इन इंडिया होना किसी भी देशप्रेमी को भी गंवारा नहीं हैं।

  इन शैक्षणिक संस्थाओं में देश भक्ति के पाठ पढ़ाना चाहिए न कि गद्दारी के।एक जमाने में देशभक्ति के पाठ पढ़ाए जाते थे ।जब १९६२ में चीन से लड़ाई चल रही थी तो हमारे आचार्य श्री विनुभाई जोशी ने हमे रिबन से छोटी बांधने के बदले काले धागों का उपयोग कर ने की सलाह दी थी।ऐसा कर हम २८ पैसे बचाते थे जिन्हे हम सैनिक को के लिए फंड में डालना था।छोटी सी बात बहुत बड़ी समझ देती हैं। कहां हैं ऐसे गुरु आजकल? देशभक्ति को अभ्यासक्रम में नैतिकशास्त्र में पढ़कर विद्यार्थियों को जगाना चाहिए।

देश की अखंडता के लिए ऐसे लोगो को सज़ा मिलनी ही चाहिए ताकि दूसरा कोई ऐसा करने से बाज आए।ये सब एक क्रम में हो रहा हैं,पहले पाकिस्तान की क्रिकेट में जीत के बाद पटाखों का चलना और बाद में ये विवादित आमंत्रणपत्रिका ,कुछ तो कहती ही हैं।जैसे एबीवीपी के छात्र संगठन की मांग हैं ,इन की तफ्तीश हो ।एक कमिटी बनाकर तथ्यो तक पहुंचा जाए और तब तक जो इस कांड में सम्मिलित और जिम्मेवार हैं उन्हे निलंबित किया जाए।

जयश्री बिरमी (Jayshree birmi)
अहमदाबाद


Related Posts

साहित्य, टेक्नोलाॅजी और हम

साहित्य, टेक्नोलाॅजी और हम

June 10, 2025

साहित्य की रचना में टेक्नोलाॅजी की बात अब जरा भी नई नहीं है। भविष्य में अनेक मोर्चे पर टेक्नोलाॅजी और

सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी

सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी

May 26, 2024

सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी अगर आप विजेता बनना चाहते हैं, तो विजेताओं के साथ रहें। अगर आप

विचारों की भी होती है मौत

विचारों की भी होती है मौत

May 26, 2024

प्रत्येक दिन दिमाग में 6,000 विचार आते हैं, इनमें 80% नकारात्मक होते हैं। इन नकारात्मक विचारों से दूर रहने के

स्पष्ट लक्ष्य, सफलता की राह

स्पष्ट लक्ष्य, सफलता की राह

May 26, 2024

स्पष्ट लक्ष्य, सफलता की राह तीरंदाज एक बार में एक ही लक्ष्य पर निशाना साधता है। गोली चलाने वाला एक

जो लोग लक्ष्य नहीं बनाते हैं, | jo log lakshya nhi banate

जो लोग लक्ष्य नहीं बनाते हैं, | jo log lakshya nhi banate

May 26, 2024

 जो लोग लक्ष्य नहीं बनाते हैं, वे लक्ष्य बनाने वाले लोगों के लिए काम करते हैं। यदि आप अपनी योजना

हर दिन डायरी में कलम से लिखें अपना लक्ष्य

हर दिन डायरी में कलम से लिखें अपना लक्ष्य

May 26, 2024

हर दिन डायरी में कलम से लिखें अपना लक्ष्य सबसे पहले अपने जिंदगी के लक्ष्य को निर्धारित करें। अपने प्रत्येक

Leave a Comment