Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Aalekh, lekh

Khud ko hi sarvshreshth na samjhe by Sudhir Srivastava

 खुद को ही सर्वश्रेष्ठ न समझें                         ✍ सुधीर …


 खुद को ही सर्वश्रेष्ठ न समझें

Khud ko hi sarvshreshth na samjhe by Sudhir Srivastava

                        ✍ सुधीर श्रीवास्तव

     श्रेष्ठ या सर्वश्रेष्ठ होना हमारे आपके जबरन खुद को घोषित करने की जिद कर लेने भर से नहीं हो जाता। परंतु खुद को श्रेष्ठ अथवा सर्वश्रेष्ठ समझना मानव की एक बड़ी कमजोरी है। हम इसे अहम या वहम भी कह सकते हैं। परंतु श्रेष्ठ होना ही जब बड़ा मुश्किल है तब सर्वश्रेष्ठ होने की मुश्किल को आसानी से समझा जा सकता है।

    हम वास्तव में क्या हैं? ये हमसे बेहतर भला कौन जान सकता है। बावजूद इसके हम बिना किसी दुविधा अपने मुँह मियां मिट्ठू बनते हुए अपने को सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए जाने कितने गढ़े हुए तर्क जबरदस्ती दे देकर अपनी ही भद पिटवाने में तनिक भी शर्म नहीं करते। जबकि श्रेष्ठ या सर्वश्रेष्ठ जन खुद को मूर्ख और अज्ञानी होना ही प्रदर्शित करते हैं। खुद को छोटा और सीखने की प्रक्रिया में ही दिखाते हैं। 

      वास्तव में हमारे गुणधर्म, ज्ञान, विवेक और काफी हद तक व्यक्तित्व और कृतित्व का समावेशी आचरण हमें श्रेष्ठ अथवा सर्वश्रेष्ठ बनाता है। जिसका गुणगान करने की आवश्यकता नहीं होती है। बल्कि वे ज्ञानी एवं अनुभवी जन, समाज के पुरोधाओं के द्वारा  स्वतः ही प्रकाशित किये जाने लगते हैं। लोग उनका अनुसरण करते हैं, सीखते हैं, उनकी तरह बनना चाहते हैं, उन्हें अपना आदर्श मानते हैं, सम्मान करते हैं और तब वे स्वत: ही श्रेष्ठ अथवा सर्वश्रेष्ठ की कतार में पहुँच जाते हैं।

     उच्च कुल, वंश या धनाढ्य परिवार का होना सर्वश्रेष्ठ होने की बाध्यता या गारंटी नहीं है। ज्ञान किसी की बपौती नहीं है, ज्ञान हर उस व्यक्ति का उतना ही मुरीद होता है,जो उसको पाने के लिए जितना ही अधिक खुद को झोंकता है। जरूरी नहीं कि शैक्षणिक ज्ञान ही सब कुछ हो, बुद्धि, विवेक, चिंतन, व्यवहारिक अनुभव भी इसकी दिशा और दशा तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। अन्यथा आज रहीम, सूर, कबीर ,रविदास को भला कौन जानता। लेकिन इन सबने खुद को कभी सर्वश्रेष्ठ तो क्या श्रेष्ठ भी नहीं कहा। फिर भी उन्हें आज महत्व मिलता है और देने वाले भी हम,आप और समाज के लोग ही हैं।

        यदि हम श्रेष्ठ या सर्वश्रेष्ठ हैं तो भी इसका आँकलन आप खुद भला कैसे कर सकते हैं। हमारे आपके पास भला कौन सा पैमाना, सूत्र या अलादीन का चिराग है, जो यह साबित करता हो कि हम या आप सर्वश्रेष्ठ हैं। अच्छा है इस होड़ में फँसकर वास्तविकता को चुनौती देकर अपनी अहमियत एवं महत्व कम न कीजिये।

       अच्छा है खुद को ही श्रेष्ठ, सर्वश्रेष्ठ या सर्वोपरि न समझें, इसे समय, समाज पर छोड़ दीजिये, अहम पालकर अपने को नीचा मत दिखाइये। माना कि हम या  आप ही श्रेष्ठ हैं ये भाव अच्छा है, मगर हम ही सर्वश्रेष्ठ हैं ,यह आपका अहम,वहम है और यह बताता है कि आप या हम सर्वश्रेष्ठ या श्रेष्ठ तो क्या उत्तम भी नही हैं। जिस पर हमें या आपको खुद ही विश्वास नहीं है। इसलिए सबसे अच्छा है कि हम या आप खुद को सर्वश्रेष्ठ दिखाने के बजाय सिर्फ़ अपने उद्देश्यों, लक्ष्यों, कर्तव्यों, जिम्मेदारियों के प्रति निष्ठावान रहें और अपना मान सम्मान, स्वाभिमान बरकरार रखें। ‘मैं ही सर्वश्रेष्ठ हूँ’ के मकड़जाल में न फँसे ,यही बेहतर ही नहीं उचित और सर्वश्रेष्ठ भी है।

👉 सुधीर श्रीवास्तव
          गोण्डा, उ.प्र.
       8115285921
©मौलिक, स्वरचित


Related Posts

Hindi divas par do shabd by vijay lakshmi Pandey

September 14, 2021

 हिन्दी दिवस पर दो शब्द…!!   14/09/2021           भाषा  विशेष  के  अर्थ में –हिंदुस्तान की भाषा 

Hindi divas 14 september lekh by Mamta Kushwaha

September 13, 2021

हिन्दी दिवस-१४ सितम्बर   जैसा की हम सभी जानते है हिन्दी दिवस प्रति वर्ष १४ सितम्बर को मनाया जाता हैं

maa ko chhod dhaye kyo lekh by jayshree birmi

September 13, 2021

 मां को छोड़ धाय क्यों? मातृ भाषा में व्यक्ति अभिव्यक्ति खुल के कर सकता हैं।जिस भाषा सुन बोलना सीखा वही

Hindi maathe ki bindi lekh by Satya Prakash

September 13, 2021

हिंदी माथे की बिंदी कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, साक्षर से लेकर निरीक्षर तक भारत का प्रत्येक व्यक्ति हिंदी को

Jeevan aur samay chalte rahenge aalekh by Sudhir Srivastava

September 12, 2021

 आलेख        जीवन और समय चलते रहेंगें              कहते हैं समय और जीवन

Badalta parivesh, paryavaran aur uska mahatav

September 9, 2021

बदलता परिवेश पर्यावरण एवं उसका महत्व हमारा परिवेश बढ़ती जनसंख्या और हो रहे विकास के कारण हमारे आसपास के परिवेश

Leave a Comment