Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

poem

kavya shahar chod chale by sudhir srivastav

 शहर छोड़ चले तुम्हारे प्यार का सुरूर ऐसा था कि हम तुम्हारे शहर आ गये, तुमसे मिलने की  ख्वाहिश तो …


 शहर छोड़ चले

kavya shahar chod chale by sudhir srivastav

तुम्हारे प्यार का
सुरूर ऐसा था कि हम
तुम्हारे शहर आ गये,
तुमसे मिलने की 
ख्वाहिश तो बहुत थी मगर
दूर दूर ही रहे।
तुम्हें देखने भर की ख्वाहिशें लिए
यहां वहां, जहां तहां
पागलपन में भटकते रहे।
वर्षों बाद भी 
कभी तुम्हारा दीदार न हुआ,
या फिर शायद तुम्हारा ही
मेरे सामने आना का
कभी दिल ही नहीं हुआ
या फिर तुम्हें 
कभी न ये ख्याल आया
कि कुछ कदम ही सही
हम साथ साथ चलें,
आखिरकार थकहार कर
हम तुम्हारा शहर ही छोड़ चले।
■ सुधीर श्रीवास्तव
      गोण्डा, उ.प्र.
    8115285921
©मौलिक, स्वरचित,अप्रकाशित

Related Posts

Mere Dil Ne Uff Tak Na Ki

November 15, 2020

Mere Dil Ne Uff Tak Na Ki|मेरे दिल ने उफ्फ तक ना की  खाई थी गहरी चोट घाव भी था

poem- phul sa jis ko mai samjha

November 15, 2020

 poem- phul sa jis ko mai samjha    तुमको चाहा तुमको पायातुमको मैंने खो दियाजब भी तेरी याद आईसीपी शायर

Aye dil aao tumhe marham lga du

July 16, 2020

दोस्तों आज हम आपके लिए लाए है एक खूबसूरत रचना Aye dil aao tumhe marham lga du. तो पढिए और आनंद

Previous

Leave a Comment