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kavita vaqt by anita sharma jhasi

वक्त जुबां से आह निकली थी,लबों पे उदासी थी।क्या सोचा था,क्या पाया है,मन में उदासी थी। कभी ईश्वर से नाराजगी …


वक्त

kavita vaqt by anita sharma jhasi


जुबां से आह निकली थी,
लबों पे उदासी थी।
क्या सोचा था,क्या पाया है,
मन में उदासी थी।

कभी ईश्वर से नाराजगी थी,
कभी किस्मत से शिकायत थी।
न खुशी जीवन में थी,
न जीवन ही सुखों का था।

पर समझाया खुदी को था,
ये पल भी न ठहरेगा।
हमारा भी वक्त आयेगा,
जब सुखी संसार साथ होगा।

बहुत अरसे बाद वो पल आया है,
लबों पे मुस्कुराहट है।
सुखी जीवन के सुनहरे पलों में ,
जुबां से गीत गुनगुनाये है।

हिम्मत साथ रखी थी,
और मन में विश्वास पूरा था।
आज वक्त हमारा है,
जीवन में खुशियों का तराना है।

रखो गर खुद पर भरोसा तो,
भाग्य भी साथ देता है।

-अनिता शर्मा झाँसी


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