Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

poem

kavita tahreer me pita by mahesh kumar .

 कविता.. तहरीर में पिता.. ये कैसे लोग हैं ..??  जो एक दूधमुंही नवजात बच्ची के मौत को नाटक कह रहें हैं…!!  …


 कविता.. 
तहरीर में पिता..

kavita tahreer me pita by mahesh kumar

ये कैसे लोग हैं ..?? 
जो एक दूधमुंही नवजात
बच्ची के मौत को नाटक
कह रहें हैं…!! 
वो, तहरीर में ये लिखने
को कह रहे हैं कि 
मौत की तफसील 
बयानी क्या थी…??!! 
पिता, तहरीर में क्या
लिखतें… ??
अपनी अबोध बच्ची
की , किलकारियों
की आवाजें… !!
 
या… नवजात बच्ची…
ने जब पहली बार… 
अपने पिता को देखा 
होगा मुस्कुराकर… !! 
या,  जन्म के बाद 
जब, अस्पताल से 
बेटी को लाकर
उन्होंने बहुत संभालकर
रखा होगा… पालने.. में… 
और झूलाते… हुए… 
पालना… उन्होंने बुन रखा
होगा… उस नवजात को
लेकर कोई…. सपना..!! 
वो तहरीर में उन खिलौनों
के बाबत क्या लिखते..?? 
जिसे उन्होंने.. बड़े ही 
शौक से खरीदकर लाया था..!! 
वो तहरीर में क्या लिखतें…. ?? 
कि जब, उस नवजात ने
दम तोड़ दिया था 
बावजूद… इसके वो  
अपनी नवजात बेटी में भरते
रहे थें , सांसें…!! 
मैं, सोचकर भी कांप जाता हूँ
कि कैसे, अपने को भ्रम में
रखकर एक बाप लगातार
मुंह से भरता रहा होगा
अपनी बेटी  में सांसें…!! 
किसी नवजात बेटी का मरना
अगर नाटक है… !!! 
तो, फिर, आखिर एक बाप 
अपनी तहरीर में बेटी की मौत 
के बाद क्या लिखता…??
सर्वाधिकार सुरक्षित
महेश कुमार केशरी
C/O -मेघदूत मार्केट फुसरो



Related Posts

kavita chhijta vimarsh by ajay kumar jha

June 1, 2021

 छीजता विमर्श. दुखद- शर्मनाक जीवन पथ पर निरपेक्षता नामित शस्त्र से वर्तमान के अतार्किक भय में रिस रहा लहू इतिहास

kavita tahreer me pita by mahesh kumar .

June 1, 2021

 कविता.. तहरीर में पिता.. ये कैसे लोग हैं ..??  जो एक दूधमुंही नवजात बच्ची के मौत को नाटक कह रहें हैं…!! 

कविता-हार और जीत जितेन्द्र कबीर

June 1, 2021

हार और जीत ‘हार’ भले ही कर ले इंसान कोकुछ समय के लिए ‘निराश’लेकिन वो मुहैया करवाती है उसकोअपने अंतर्मन

kavita barkha shweta tiwari Mp.

June 1, 2021

बरखा बरखा रानी आओ ना  बूंद बूंद बरसाओ ना तपती धरती का व्याकुल अंतर्मन  क्षुब्ध दुखी सबका जीवन  शीतल स्पर्श

kavita vaqt by anita sharma jhasi

June 1, 2021

वक्त जुबां से आह निकली थी,लबों पे उदासी थी।क्या सोचा था,क्या पाया है,मन में उदासी थी। कभी ईश्वर से नाराजगी

kavita Bebasi by Namita Joshi

May 31, 2021

  बेबसी हर सूं पसरा है सन्नाटा, हर निगाह परेशान क्यूँ है। गुलजा़र था जो मैदान कभी कहकहों से, आज

Leave a Comment