शीर्षक: पवित्र रिश्ता
प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए
About author
प्रेम ठक्कर
सूरत ,गुजरात
शीर्षक: पवित्र रिश्ता सुनो दिकु… दुख अब अकेले नहीं सहा जा रहा तुम आज होती तो लिपटकर रो लेता मेरी …
शीर्षक: पवित्र रिश्ता
प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए
प्रेम ठक्कर
सूरत ,गुजरात
June 1, 2021
छीजता विमर्श. दुखद- शर्मनाक जीवन पथ पर निरपेक्षता नामित शस्त्र से वर्तमान के अतार्किक भय में रिस रहा लहू इतिहास
June 1, 2021
कविता.. तहरीर में पिता.. ये कैसे लोग हैं ..?? जो एक दूधमुंही नवजात बच्ची के मौत को नाटक कह रहें हैं…!!
June 1, 2021
हार और जीत ‘हार’ भले ही कर ले इंसान कोकुछ समय के लिए ‘निराश’लेकिन वो मुहैया करवाती है उसकोअपने अंतर्मन
June 1, 2021
बरखा बरखा रानी आओ ना बूंद बूंद बरसाओ ना तपती धरती का व्याकुल अंतर्मन क्षुब्ध दुखी सबका जीवन शीतल स्पर्श
June 1, 2021
वक्त जुबां से आह निकली थी,लबों पे उदासी थी।क्या सोचा था,क्या पाया है,मन में उदासी थी। कभी ईश्वर से नाराजगी
May 31, 2021
बेबसी हर सूं पसरा है सन्नाटा, हर निगाह परेशान क्यूँ है। गुलजा़र था जो मैदान कभी कहकहों से, आज