शीर्षक: पवित्र रिश्ता
प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए
About author
प्रेम ठक्कर
सूरत ,गुजरात
शीर्षक: पवित्र रिश्ता सुनो दिकु… दुख अब अकेले नहीं सहा जा रहा तुम आज होती तो लिपटकर रो लेता मेरी …
शीर्षक: पवित्र रिश्ता
प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए
प्रेम ठक्कर
सूरत ,गुजरात
June 3, 2021
मेरी किस्मत में क्या पता क्या मेरी किस्मत में क्या पता क्या फिर भी उनके इरादे भाप लिया चाहत के

June 3, 2021
यह मेरा गाँव कविता गांव के जीवन को बहुत अच्छी से दिखाती है । तथा गांव में बिताए गए पलों को याद दिलाती है । आज हम शहरो की तरफ भाग आए है लेकिन हमारा बचपन अभी भी उन गांवो में ही कैद है ।
June 3, 2021
कविता -दो कन्धे तो मिल जाते हैं यहां मुझे दो कन्धे तो मिल जाते हैं यहां मुझे, रोने के बादमानता
June 2, 2021
कविता – पहले जैसा नहीं रहा गांव आज मेरा । पहले जैसा नहीं रहा गांव आज मेरा । देख कर
June 2, 2021
कविता अगर चाहत है कभी किसी के दिल में बस जाने की, कभी गलती मत करना उसको आजमाने की। अगर
June 2, 2021
ग़ज़ल आजकल शहर में एक फ़साना सरे आम हो गया, जब से यार मेरा सियासी लोगो का गुलाम हो गया