.कविता-
ऐसे अपराध से हम बचते हैं
हम इंसानों ने मंदिर बनाने
में पैसा लगाया
हम इंसानों ने मस्जिद बनाने
में पैसा लगाया
हम इंसानों ने गिरजाघर बनाने
में पैसा लगाया
हम इंसानों ने गुरुद्वारा बनाने
में पैसा लगाया
हम धर्मनिरपेक्ष भारत के नागरिक हैं
हम बड़े ही धार्मिक लोग हैं
हमारे धार्मिकता
तब और भी
उमड़-उमड़
कर बाहर निकल आती है
जब हम नागाबाबाओ के सेमिनार
में पैसा लगा
सामिल होते हैं
अरे !यह तो कुछ नहीं
हम धार्मिक स्थलों में
सोने, चांदी, रुपयों के
बंडलों को बड़े प्रेम से चढ़ाते हैं
हम भारत के ही नागरिक है
स्वास्थ्य और शिक्षा की बात पर
अपने हाथों को पीछे खींच लेते हैं
और अशिक्षितो की दशा पर हंसते हैं
स्वास्थ्य कर्मियों और स्वास्थ्य विभाग के
अभाव में मरते इंसानो देखने तक नहीं जाते
हम भारत के नागरिक है
हमारे तन -मन के संविधान में
स्वास्थ्य और शिक्षा में
पैसा लगाना
अप्राकृतिक है
अपराध है
और भारत के नागरिक होने के नाते
ऐसे अपराध करने से हम बचते हैं
-कवि बिनोद कुमार रजक
, राज्य-पश्चिम बंगाल





