पति को भी इंसान मानो
उसके कंधे है इतने मजबूत
वह सारी दुनिया को उठा लेगा
तुम एक सुख दे कर देखो
वो खुशियों की झड़ी लगा देगा।
पति नहीं कोई जादूगर या कोई भगवान
उसकी भी भावनाएं होती है
वह भी हाड मास का इंसान
प्रेम की चाहत बस उसकी
करो तुम पति का सम्मान।
भूख पसीना सब सहकर
मेहनत कर जब वह घर लौटे
मुस्कान भरे चेहरे से उसके
तप का तुम करो सम्मान।
अपने पति की ताकत बन कर
परिवार बगिया सा महकाना
होता है पति भी इंसान उसके
दुख का कारण कभी मत बनना।
शादी संस्कार दो लोगों का
यह कोई व्यापार नहीं
नफा नुकसान फायदे का
साझेदारी का बाजार नहीं।
तुम औरत हो शक्ति हो
शिव संग सृष्टि रच डालो
संग चलो संगिनी बन कर
इसमें छोटे बड़े की बात नहीं।
वो दुख तकलीफ नही बतलाता
होसलो को पर्वत कर लेता
परिवार पर कभी आंच ना आए
हिम्मत पत्नी को बतलाता।
प्रेम और सम्मान की चाहत
दिल उसका पत्थर ना मानो
पत्नी धर्म पूरा करने को
पति को भी इंसान मानो।







