Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Aalekh, lekh

Insan ke prakar by Jay shree birmi

 इंसान के प्रकार हर इंसान की लक्षणिकता अलग अलग होती हैं।कुछ आदतों के हिसाब से देखा जाएं तो कुछ लोग …


 इंसान के प्रकार

Insan ke prakar by Jay shree birmi

हर इंसान की लक्षणिकता अलग अलग होती हैं।कुछ आदतों के हिसाब से देखा जाएं तो कुछ लोग परिश्रमी होते हैं,अपने लिए या अपनों के लिए कुछ न कुछ करने में व्यस्त रहते हैं। कुछेक लोग तो ऐसे होते हैं कि बेगनों के लिए भी अपनी व्यस्तता के बावजूद  मदद के लिए तत्पर रहते हैं।उन्हे परोपकारी कहा जाता हैं।जो आलसी हैं वो तो हाथ हिलाने तक को तैयार नहीं होते,दूसरों की आस पर जीते हैं,कोई कुछ दे,कुछ करदे यही सोच पर अपना जीवन बिताते हैं।ऐसे लोगो का एक उदाहरण हैं इस कहानी में।एक बहुत बड़े सेठ थे पीढ़ियों से धनवान कभी कुछ काम करने की जरूरत ही नहीं पड़ी,घर नौकर चाकरों से भरा पड़ा था, बस सुबह उठ अपने दैनिक कार्यों मुक्त हो बस गद्दी पर बैठ नौकर चाकर पर रौब चलाना और बात बात पर सेठानी को बातें सुनना यहीं काम था दिन भर का।खाना जब खाना हैं तो सेठानीजी मुंह में कौर डालेगी और नौकर पंखा चलाएगा तब खाना पूरा होता था।एक दिन सेठ का मित्र खाने पर आमंत्रित था। दोनों खाना खाने बैठे तो जैसे रोज सेठानी खाना खिलाती वैसे खिला रही थी ,नौकर पंखा चला रहा था और सेठ खाना चबा के खा रहें थे और शरीर से पसीना था कि बहने से रुकने का नाम नहीं ले रहा था।सेठ के दोस्त ने पूछा,” यार खाना भाभी खिला रही हैं,नौकर पंखा चला रहा हैं तो इतना पसीना कैसे?”सेठ ने मूंह में भरे कौर के साथ  ही जवाब दिया ,”चबाता तो मैं ही हु न!”

 देखें कितना बड़ा एहसान कर रहे थे सेठजी खाना चबाके।ऐसे लोग को परोपजीवी बोल सकते हैं।जो जिंदा ही दूसरों के सहारे रहते हैं लेकिन उनको हानि नहीं पहुंचाते।मनुष्य ही नहीं वनस्पति भी परोपजीवी होती हैं जैसे कि बेलें।

 कुछ लोग एक कदम ओर आगे लोग होते हैं जो परजीवी हैं,  जिस पर उनका  अपना जीवन आधारित हैं उन्ही को धीरे धीरे  खत्म कर देते हैं।जिस पेड़ से सहारा ले बेल उपर चड़ती हैं उसका रस कस चूस पेड़ को खतम कर देती हैं ,जो उसके पोषण का स्त्रोत्र हैं उसी को खतम कर बाद में खुद भी खतम हो जाती हैं।यही कभी कभी मनुष्यों में भी देखने मिलता हैं।

 एक और प्रकार के भी मनुष्य होते हैं। एक रास्ते के बीचों बीच  एक पत्थर पड़ा था, वहां से एक आदमी रोज गुजरता था और रोज ही ठोकर खा गिरते गिरते बचता था किंतु न तो उसने पत्थर हटाया और न ही बच के चल रहा था,ऐसे मनुष्य को कनिष्टता का ही दर्जा मिलेगा। जिसने खुद ठोकर खा के भी नहीं बदलता अपने आप को।दूसरे आदमी ने एकबार  ठोकर खाई किंतु दूसरी बार  बच के चला गया।ये दूसरे किस्म का आदमी हुआ जो एकबार ठोकर खाई किंतु दूसरी बार बच के निकल जाता हैं। माध्यम कक्षा में आते हैं ऐसे लोग।खुद को मुसीबत से बचाते हैं।

और तीसरे किस्म का आदमी दूसरे को ठोकर खाते देख ही संभल कर चलता हैं,खुद को ठोकर खाने की बारी ही नहीं आती।वह किसी भी प्रकार की ठोकर से बचने के लिए तैयार रहता हैं ,उसे किसी के सहारे की जरूरत ही नहीं होती।ये उत्तम कक्षा का आदमी होता हैं।ऐसे इतने प्रकार के इंसान आम ही देखने को मिलते हैं।

जयश्री बिरमी

अहमदाबाद


Related Posts

सेक्स में रूचि कम हो रही है तो सावधान हो जाएं

सेक्स में रूचि कम हो रही है तो सावधान हो जाएं

December 30, 2023

सेक्स में रूचि कम हो रही है तो सावधान हो जाएं ऐसी तमाम महिलाएं हैं, जिनकी समय के साथ सेक्स

तापमान भले शून्य हो पर सहनशक्ति शून्य नहीं होनी चाहिए

December 30, 2023

तापमान भले शून्य हो पर सहनशक्ति शून्य नहीं होनी चाहिए  समाज में जो भी दंपति, परिवार, नौकरी और धंधा टिका

नया साल, नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य।

December 30, 2023

नया साल, नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य। नए साल पर अपनी आशाएँ रखना हमारे लिए बहुत अच्छी बात है,

नागपुर की वीना आडवाणी “तन्वी” को 26 वे अन्तर्राष्ट्रीय जुनूँ अवार्ड से किया जायेगा सम्मानित

December 30, 2023

नागपुर की वीना आडवाणी “तन्वी” को 26 वे अन्तर्राष्ट्रीय जुनूँ अवार्ड से किया जायेगा सम्मानित महाराष्ट्र, नागपुर । विगत वर्षों

सर्दियों में बच्चे की छाती में जम गया है कफ?

सर्दियों में बच्चे की छाती में जम गया है कफ?

December 30, 2023

सर्दियों में बच्चे की छाती में जम गया है कफ? अपनाएं यह तरीका तुरंत मिलेगा आराम। सर्दियों की ठंड अक्सर

पर्यावरण एवं स्वास्थ्य को निगलते रासायनिक उर्वरक

December 30, 2023

पर्यावरण एवं स्वास्थ्य को निगलते रासायनिक उर्वरक रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभावों को हल करने में लगेंगे कई साल, वैकल्पिक और

Leave a Comment