Hawaaon ki Tarah Tujhko Chanla Hoga
हवाओं की तरह तुझको चलना होगा
मुसीबत के तले तुझको पलना होगा
हमारा घर सबा अँधेरे में हैं फिर
चराग़ों की तरह तुझको जलना होगा
हुकूमत ने दिया था जो, मरहम न था
हमारा ज़ख़्म अब तुझको भरना होगा
ख़िलाफ़त अब कहीं जाने न देनी है
सख़ावत के लिए तुझको लड़ना होगा
जलाने पर लगा है जो, उससे कह दो
हमारी आग से तुझको बचना होगा
आवारा जानवर गर हाकिम है तेरा
फ़सादी शख़्स से तुझको डरना होगा
About author
नाम – मुहम्मद आसिफ अली
From – Kashipur, Uttarakhand, India
DOB – 13 March 2001
Website – https://
