गीत
गीत गाए जा..
गुनगुनाए जा…
हो सके तो…हो सके तो…
मजलूम का दिल बहलाए जा …!
गीत गाए जा …
राहों में कांटे भी आएंगे
उनसे न घबराना …
हो सके तो … हो सके तो …
काँटों को भी सहलाए जा …!
गीत गाए जा….
पर सेवा भी उपकार है
जीवन का इसमें सार है
हो सके तो…हो सके तो …
नर सेवा में जीवन लगाए जा …!
गीत गाए जा …
काम-क्रोध-लोभ को तज दे
सुख से जीवन जीना है तो
हो सके तो … हो सके तो …
हंसी-खुशी से जीवन जीए जा … !
गीत गाए जा …
ऐ ” नाचीज” तू भी अब सोच ले…
इस दुनियां से इक़ दिन जाना है…
हो सके तो … हो सके तो …
मन-वचन-कर्म से अच्छा कुछ किए जा … !!!
गीत गाए जा…गुनगुनाए जा
हो सके तो …हो सके तो ……!
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मईनुदीन कोहरी “नाचीज़ बीकानेरी”






