ग़ज़ल ️
लिक्खा या बिन लिक्खा पढ़ना
जो भी पढ़ना अच्छा पढ़ना
ग़र मंज़िल तक जाना है तो
सबसे पहले रस्ता पढ़ना
ग़र लिखना है कुछ अच्छा तो
लिखने से तुम ज्यादा पढ़ना
हम शायर करते रहते हैं
पढ़ना लिखना लिखना पढ़ना
ख़ाक बड़ा होने देगा ये
तेरा सबको छोटा पढ़ना
नाम लिखा होगा शायर का
आप ग़ज़ल का मक़ता पढ़ना
अदब नहीं तुझमें ग़र ‘कामिल’
बेमानी है लिखना पढ़ना
बेमानी- बेकार, अर्थहीन
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– कृष्ण कान्त ‘कामिल’
-ग्राम- पूरा मुनई, तह- कोरांव, जनपद- प्रयागराज-
पिन कोड -212306






