Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

laghukatha

dosh kiska laghukatha by Sudhir Srivastava

 लघुकथादोष किसका?(सत्य घटना पर आधारित)       आज रमा को अपनी भूल का बहुत पछतावा हो रहा था।आज रह …


 लघुकथा
दोष किसका?
(सत्य घटना पर आधारित)

dosh kiska laghukatha  by Sudhir Srivastava

      आज रमा को अपनी भूल का बहुत पछतावा हो रहा था।आज रह रह कर कर उसे वह दिन याद आ रहा था ,जब उसने मां-बाप की चिंता में और पति के आर्थिक हालत के विपरीत परिस्थितियों के बीच मां बाप के हितों को महत्व देते हुए ससुराल से मायके आने का फैसला किया था।उसे खुद के पति के परिवार से अधिक अपने मायके और माँ बाप भाइयों की चिंता और उन पर विश्वास बहुत था।उस समय उसके मन में बस एक सवाल था कि बुजुर्ग मां कैसे खाना बनाकर बाप भाई को खिला पाएगी को खिला पाएगी। कैसे घर के काम निपटा पायेगी।

    उस समय स्वार्थ बस मां-बाप भाइयों ने भी उसके इस निर्णय को सही ठहराया था। तब किसी ने भी उसके निर्णय का विरोध नहीं किया था,क्योंकि उन्हें अपनी सुख सुविधा बेटी बहन के भविष्य के आगे अधिक महत्वपूर्ण लग रही थी।

     लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे भाइयों की शादियां होती गई,रमा की बुराइयों का दौर शुरू हो गया ।अब वही मां बाप ,जो कल तक तारीफों के पुल बांधा करते थे ,उसे उपेक्षित करने,ताना मारने और ससुराल से मायके आकर रहने का भी अहसास कराने लगे। 

    संयोग भी कुछ ऐसा बना कि एक तरफ उसके पति की आर्थिक हालत मैं बहुत सुधार नहीं हुआ बल्कि वे अस्वस्थ भी रहने लगे ।आज की उसकी परिस्थिति के हिसाब से अब वह ससुराल से भी उपेक्षित हो चुकी थी ।हालत ये थी की जन्म देने वाली मां भी न केवल उपेक्षित कर रही थी बल्कि उसके उस समय के निर्णय को गलत ठहराने लगी। जबकि मां ने अपना कर्तव्य समझकर उस समय उसे सही गलत का एहसास कराया होता तो शायद रमा के हालात हालात कुछ और होते और किन्ही भी स्थितियों स्थितियों में वह अपने पति के साथ ससुराल में होती है ।कम से कम इस हालत में तो वह ना घर का,ना घाट का जैसी परिस्थिति में तो न होती।

   लेकिन कहते हैं ना कि अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई थी खेत।रमा को भी अभी अहसास हो गया था कि धन वालों का ही आज सम्मान है है ।रिश्ता कोई भी हो धन की महत्ता के आगे सारे रिश्ते नाते फीके हो गए।

आज रमा घुट घुट कर अपना समय काट रही कि शायद आने वाले कल ने उसके हालात बदल जाए।लेकिन वह ये विश्वास नहीं कर पा रही थी कि उसकी ही मां ने उसकी परिस्थितियों का कैसा लाभ उठाया,जिसमें उसकी अपनी बेटी सिसकने को मजबूर हो रही थी।

वो समझ नहीं पा रही कि अपने इस हालत के लिए वो किसे दोष दे?मां को,खुद को या समय को ।

★ सुधीर श्रीवास्तव
        गोण्डा(उ.प्र.)
     8115285921
©मौलिक,स्वरचित


Related Posts

Laghukatha-Pizza| लघुकथा-पिज्जा

March 5, 2023

 लघुकथा-पिज्जा हाईवे पर बने विशाल फूड जोन में केवला को नौकरी मिल गई थी। बस, कोने में खड़े रहना था

Story -बुरे काम का बुरा नतीजा ‘झाउलाल’

March 5, 2023

 ‘झाउलाल’ झाउलाल बड़े मनमौजी थे। कामचोरी विद्या में निपुण थे। तरह – तरह की तरकीब उनके पास था,काम से बचने

लघुकथा–ऊपरवाला सब देख रहा है

February 8, 2023

लघुकथा–ऊपरवाला सब देख रहा है रंजीत के पास धंधे के तमाम विकल्प थे, पर उसे सीसी टीवी का धंधा कुछ

लघुकथा-उपकार | Laghukatha- upkar

February 6, 2023

लघुकथा-उपकार रमाशंकर की कार जैसे हो सोसायटी के गेट में घुसी, गार्ड ने उन्हें रोक कर कहा, “साहब, यह महाशय

लघुकथा–बसंत पंचमी, सरस्वती पूजा आस्था और विश्वास की जीत

January 27, 2023

लघुकथा–बसंत पंचमी, सरस्वती पूजा आस्था और विश्वास की जीत मोहन और सोहन गहरे दोस्त थे। मोहन कानून में पीएचडी था

लघुकथा-जीवंत गजल | jeevant gazal

January 13, 2023

लघुकथा-जीवंत गजल हाथ में लिए गजल संध्या का आमंत्रण कार्ड पढ़ कर बगल में रखते हुए अनुज ने पत्नी से

Leave a Comment