Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel
बीबीपुर: एक गांव की कहानी

lekh

“बीबीपुर: एक गांव की कहानी, जो अब किताबों में पढ़ाई जाएगी”

“बीबीपुर: एक गांव की कहानी, जो अब किताबों में पढ़ाई जाएगी” हरियाणा का बीबीपुर गांव अब देशभर के छात्रों के …


“बीबीपुर: एक गांव की कहानी, जो अब किताबों में पढ़ाई जाएगी”

हरियाणा का बीबीपुर गांव अब देशभर के छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। ICSE बोर्ड ने इसकी सामाजिक क्रांति की कहानी कक्षा आठवीं के पाठ्यक्रम में शामिल की है। ‘बेटी के नाम नेमप्लेट’, ‘लाडो सरोवर’, खुले में शौच से मुक्ति और महिला सशक्तिकरण जैसे प्रयासों ने इसे एक मॉडल गांव बनाया। पूर्व सरपंच प्रह्लाद डांगरा के नेतृत्व में यह गांव सोच और समाज दोनों बदलने में सफल रहा। बीबिपुर अब सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत के लिए एक आशा की किरण और बदलाव का प्रतीक बन चुका है।

✍🏻 डॉ. प्रियंका सौरभ


कभी एक सामान्य सा गांव और आज देशभर के बच्चों के लिए प्रेरणा — हरियाणा का बीबीपुर गांव अब सिर्फ नक्शे पर मौजूद एक बिंदु नहीं रहा, बल्कि सामाजिक बदलाव और विकास का जीवंत प्रतीक बन चुका है। इतना ही नहीं, अब बीबिपुर गांव की यह अनूठी कहानी कक्षा आठवीं के छात्रों को भी पढ़ाई जाएगी। ICSE बोर्ड ने इसे अपने सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया है। यह न केवल एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, बल्कि पूरे ग्रामीण भारत के लिए एक संदेश भी है — परिवर्तन संभव है, अगर सोच बदले।

बदलाव की शुरुआत: एक बीज से विशाल वटवृक्ष

बीबीपुर गांव, हरियाणा के जींद जिले में स्थित है। यह वही राज्य है, जहां लिंगानुपात के असंतुलन, बाल विवाह और सामाजिक भेदभाव जैसे मुद्दे दशकों तक चर्चा का विषय रहे हैं। लेकिन इसी हरियाणा की मिट्टी से उभरा बीबिपुर, जिसने इन सभी धारणाओं को तोड़कर नई मिसाल कायम की।

वर्ष 2010 में गांव के पूर्व सरपंच प्रह्लाद डांगरा ने एक ऐसी पहल की शुरुआत की, जो आगे चलकर सामाजिक क्रांति में बदल गई। उनका सपना था — एक ऐसा गांव, जहां बेटी को सम्मान मिले, जल-संरक्षण हो, महिलाएं सशक्त हों, और समाज खुले में शौच से मुक्त हो।

नेमप्लेट पर ‘लाडो’ का नाम

बीबीपुर गांव की सबसे चर्चित और क्रांतिकारी पहल रही — “बेटी के नाम नेमप्लेट”। यह विचार बेहद सरल, मगर सामाजिक रूप से बेहद प्रभावशाली था। आज तक अधिकांश घरों की पहचान पुरुष सदस्य के नाम से होती थी, लेकिन बीबीपुर में घरों की पहचान बेटियों के नाम से शुरू हुई।

इस पहल ने सिर्फ एक संकेत बदला नहीं, बल्कि सोच बदल दी। बेटियों को घर का गौरव मानने की दिशा में यह पहला साहसी कदम था। गांव के सैकड़ों घरों में बेटियों के नाम की तख्तियां लगीं और एक नई सामाजिक चेतना जागी।

लाडो सरोवर: बेटियों के नाम जल-स्त्रोत

गांव में ‘लाडो सरोवर’ की स्थापना सिर्फ जल संचयन का प्रयास नहीं था, बल्कि यह उस सोच का सम्मान था जो बेटियों को प्रकृति के साथ जोड़ती है। यह एक प्रतीक बन गया — जीवन देने वाले जल और जीवन की जननी ‘बेटी’ के बीच के अटूट संबंध का।

लाडो सरोवर ने गांव को पर्यावरणीय जागरूकता की राह पर भी अग्रसर किया और जल संरक्षण की प्रेरणा दी।

खुले में शौच से मुक्ति और स्वच्छता की अलख

बीबिपुर की सबसे बड़ी जीत उस समय मानी गई जब उसने खुले में शौच से पूरी तरह मुक्ति पा ली। शौचालय निर्माण को प्राथमिकता दी गई और इसके पीछे शर्म नहीं, स्वास्थ्य और गरिमा की भावना को रखा गया। महिलाओं को सुरक्षा और सम्मान मिला, बच्चों को बीमारियों से राहत, और गांव को नई पहचान।

‘सोच बदली तो गांव बदला’

प्रह्लाद डांगरा और उनकी टीम ने एक नारा दिया — “सोच बदली तो गांव बदला”। यह नारा महज शब्दों की जुगलबंदी नहीं थी, यह हर बीबिपुरवासी के दिल की आवाज थी। पुरुषों की मानसिकता में बदलाव आया, महिलाओं को निर्णय लेने का अधिकार मिला, बेटियों को शिक्षा और सम्मान मिला, और गांव की तस्वीर बदलने लगी।

महिला पंचायतें और जागरूकता कार्यक्रम

गांव में महिला ग्राम सभाओं का आयोजन हुआ, जहां महिलाएं खुलकर अपनी समस्याएं और सुझाव रखती थीं। यह लोकतंत्र का सच्चा रूप था, जिसमें आधी आबादी भी पूरी भागीदारी निभा रही थी। शराबबंदी, दहेज, बाल विवाह और घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों पर खुलकर बहसें हुईं और समाधान निकाले गए।

राष्ट्रीय स्तर पर पहचान

बीबिपुर की इस सामाजिक जागरूकता की लहर ने जल्द ही मीडिया, प्रशासन और विभिन्न सामाजिक संगठनों का ध्यान खींचा। इस गांव को कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कार मिले। कई एनजीओ ने यहां मॉडल के रूप में अध्ययन शुरू किया। गांव के बदलाव को डॉक्यूमेंट्रीज़ और शोध-पत्रों में दर्ज किया गया।

अब किताबों में: प्रेरणा का स्थायी स्थान

आज जब ICSE बोर्ड ने बीबिपुर गांव की इस कहानी को कक्षा आठवीं की किताब में शामिल किया है, तो यह किसी पुरस्कार से कम नहीं। यह कहानी अब देशभर के लाखों छात्र-छात्राओं को पढ़ाई जाएगी। वे जानेंगे कि बदलाव के लिए बड़े-बड़े भाषण या योजनाएं जरूरी नहीं होतीं — बस एक व्यक्ति की दृढ़ इच्छा शक्ति और सामाजिक भागीदारी ही काफी होती है।

यह न केवल छात्रों को सामाजिक विज्ञान का पाठ पढ़ाएगी, बल्कि “समाज विज्ञान” का असली अर्थ भी समझाएगी।

शिक्षा से बदलाव की वापसी

बीबिपुर की कहानी बच्चों को यह सिखाएगी कि गांव का विकास केवल सड़क या इमारतों से नहीं होता, बल्कि विचारों से होता है। यह पाठ छात्रों में सामाजिक नेतृत्व, नागरिक जिम्मेदारी और सकारात्मक सोच का बीज बोएगा। और यही तो शिक्षा का अंतिम उद्देश्य होता है — सोच में परिवर्तन।

क्या बाकी गांव सीखेंगे?

बीबिपुर एक मॉडल है, परंतु यह अकेला नहीं होना चाहिए। आज देश के हजारों गांव सामाजिक कुरीतियों से जूझ रहे हैं। कहीं बेटियों की भ्रूण हत्या हो रही है, कहीं खुले में शौच आज भी आम है, कहीं शिक्षा का स्तर बेहद कमजोर है। ऐसे में बीबिपुर की कहानी एक आदर्श प्रस्तुत करती है — अगर वे कर सकते हैं, तो हम क्यों नहीं?

सरकारों को चाहिए कि ऐसे उदाहरणों को पाठ्यक्रम से आगे ले जाकर नीति-निर्माण का आधार बनाए। पंचायतों को प्रशिक्षित किया जाए, महिला नेतृत्व को बढ़ावा मिले, और गांवों में मूलभूत बदलाव लाने के लिए ऐसे मॉडल को स्थानीय भाषाओं में प्रचारित किया जाए।

बीबीपुर अब सिर्फ एक गांव नहीं, एक विचार है

बीबिपुर की सफलता की असली कुंजी सहभागिता, जागरूकता और नेतृत्व है। यह गांव बताता है कि असल क्रांति हथियारों से नहीं, सोच की धार से आती है। यह कहानी यह भी बताती है कि कोई गांव छोटा नहीं होता, अगर उसकी सोच बड़ी हो।

आज जब बीबिपुर की कहानी स्कूलों में पढ़ाई जाएगी, तो वह सिर्फ एक पाठ नहीं होगी, बल्कि सपनों के बीज बोने वाली प्रेरणा होगी। हो सकता है, किसी बच्चे के मन में यह कहानी एक चिंगारी जला दे, जो कल किसी और गांव को रोशन कर दे।

बीबिपुर अब सिर्फ एक स्थान नहीं, एक आंदोलन, एक प्रेरणा और एक जीवित पाठशाला है — जहां से देश को नई दिशा मिलेगी।

-प्रियंका सौरभ
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,
उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)-127045


Related Posts

Saari the great by Jay shree birmi

September 25, 2021

 साड़ी द ग्रेट  कुछ दिनों से सोशल मीडिया में एक वीडियो खूब वायरल हो रहा हैं।दिल्ली के एक रेस्टोरेंट में

Dard a twacha by Jayshree birmi

September 24, 2021

 दर्द–ए–त्वचा जैसे सभी के कद अलग अलग होते हैं,कोई लंबा तो कोई छोटा,कोई पतला तो कोई मोटा वैसे भी त्वचा

Sagarbha stree ke aahar Bihar by Jay shree birmi

September 23, 2021

 सगर्भा स्त्री के आहार विहार दुनियां के सभी देशों में गर्भवती महिलाओं का विशेष ख्याल रखा जाता हैं। जाहेर वाहनों

Mahilaon ke liye surakshit va anukul mahole

September 22, 2021

 महिलाओं के लिए सुरक्षित व अनुकूल माहौल तैयार करना ज़रूरी –  भारतीय संस्कृति हमेशा ही महिलाओं को देवी के प्रतीक

Bhav rishto ke by Jay shree birmi

September 22, 2021

 बहाव रिश्तों का रिश्ते नाजुक बड़े ही होते हैं किंतु कोमल नहीं होते।कभी कभी रिश्ते दर्द बन के रह जाते

Insan ke prakar by Jay shree birmi

September 22, 2021

 इंसान के प्रकार हर इंसान की लक्षणिकता अलग अलग होती हैं।कुछ आदतों के हिसाब से देखा जाएं तो कुछ लोग

Leave a Comment