Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Aalekh, lekh

Bhav rishto ke by Jay shree birmi

 बहाव रिश्तों का रिश्ते नाजुक बड़े ही होते हैं किंतु कोमल नहीं होते।कभी कभी रिश्ते दर्द बन के रह जाते …


 बहाव रिश्तों का

Bhav rishto ke by Jay shree birmi

रिश्ते नाजुक बड़े ही होते हैं किंतु कोमल नहीं होते।कभी कभी रिश्ते दर्द बन के रह जाते हैं तो तकलीफदेह बन जाते हैं।रिश्ते जब अपने हिसाब से ही चलते हैं तो काफी सरल लगते हैं,सड़क की तरह,पूरपाट दौड़ने लगते हैं।लेकिन जब जरा सा भी बदलाव आया तो पगदंडी बन के रह जाते हैं जहां चलना पड़ता हैं संभल संभल के।मिलते जुलते रह ने से रिश्ते निभ तो जाते हैं लेकिन कब कैसे और क्यों उसकी गति में दोहराव आ जाता हैं वो समझ से बाहर की बात हैं।तभी साधु संत जो ईश्वर को पाना चाहते हैं वो रिश्तों से परे रहते हैं,ये रिश्ते जी के जंजाल कब बन जाते हैं वह तब समझ आता हैं जब बात काफी दूर तक पहुंच जाती हैं।क्या कारण होता हैं रिश्तों की कड़वाहट का,एक तो कोई तीसरा व्यक्ति आके उसमें अपनी महत्ता बढ़ाने के लिए सरल रिश्ता में ग्रंथियां पैदा करते हैं,गांठे डाल ने की कोशिश करने से रिश्तों की उम्र कम हो जाती हैं। रिश्तों में मुटाव से एक ही व्यक्ति को नुकसान नहीं होता,सामूहिक परिणाम होते हैं।फिर चाहे मन मानने के लिए बोल सकते हैं ’ मुझे क्या’,लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं होता,जो बोलता हैं मुझे क्या वही सब से ज्यादा प्रभावित होता हैं,मुझे क्या की अभिव्यक्ति सिर्फ मन मनाने की बात होती हैं।कोई बोलता हैं रिश्तों को बढ़ाओं मत पर ये एक व्यक्ति पर आधारित नहीं होता हैं,रिश्ते सामूहिक प्रक्रिया हैं तो उसमे जिम्मेवारियां भी सामूहिक और परिणाम भी पूरे समूह के लिए होता हैं।

 एक लय होती हैं हरेक रिश्तें में और उसी लय में निभाना जरूरी होता हैं, समभाव और संयम से ही एक आविर्भाव पैदा होता हैं और उसी आविर्भाव से घनिष्ठता बढ़ती हैं।एकाकार सा छा जाता हैं जो रिश्तों को अमर सा बना देता हैं।ये अमरत्व भौतिक नहीं भावनात्मक होता हैं।इसी लिए रिश्ते और उसकी पहचान बहुत जरूरी हैं।

 किसी एक के क्षणिक लाभ या उद्वेग की वजह ही बन जाती हैं रिश्तों की गांठ।और फिर आती हैं हमदर्दी बटोर ने की घड़ी,अपनी त्रुटि को छुपाने के लिए कई हथकंडे अपनाए जाते हैं,जो कलह या मनदुःख का कारण बन एक ऐश्वरीय बंधन जो दोस्ती हो या रिश्ता उसे ग्रस जाता हैं।

 अगर रिश्तें नसीब से बनते हैं तो बिगड़ ने को बदनसीब ही कहा जायेगा। जिस किसीने भी रिश्ते निभाए हैं वह दिल के अच्छे और दिमाग से जागृत होते हैं,कदर जो जाने रिश्तों की वही मान और सम्मान पाते हैं।सामने चाहें कोई हजार तारीफें करले किंतु नजर में सम्मान का होना मुश्किल हो जाता हैं।जो रिश्ते में सम्मान नहीं होता वह सतही बन कर रह जाता हैं,गहराई को हर  लेता हैं।एक सहजता भी चली जाती हैं जो रिश्तों का अति आवश्यक घटक हैं।

 रिश्तों का बहाव सिर्फ समतल धरा पर ही नहीं होता ,उतार चढ़ाव भी आते हैं और यही उतार चढ़ाव परीक्षा की घड़ी हैं।आप उसे कैसे समझते हैं,उसका हल कैसे लाते हैं और उसका प्रतिघात क्या,और कैसा होगा ये सभी संभावनाएं के बारे में सोच के फिर ही किसी निर्णय पर आना चाहिए।जो एक बहाव हैं रिश्तों में उसी की लय में चलके ही रिश्ता निभाना ही एक सही रास्ता हैं, न ही खुद को ज्यादा काबिल समझो और न ही किसी को कम।

एक दूजे से जुड़ कर बनना  पड़ता हैं हम।

जयश्री बिरमी

अहमदाबाद


Related Posts

Bharat me laghu udyog ki labdhiyan by satya Prakash Singh

September 4, 2021

 भारत में लघु उद्योग की लब्धियाँ भारत में प्रत्येक वर्ष 30 अगस्त को राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस मनाने का प्रमुख

Jeevan banaye: sekhe shakhayen by sudhir Srivastava

September 4, 2021

 लेखजीवन बनाएं : सीखें सिखाएंं      ये हमारा सौभाग्य और ईश्वर की अनुकंपा ही है कि हमें मानव जीवन

Bharteey paramparagat lokvidhaon ko viluptta se bachana jaruri

August 25, 2021

भारतीय परंपरागत लोकविधाओंं, लोककथाओंं को विलुप्तता से बचाना जरूरी – यह हमारी संस्कृति की वाहक – हमारी भाषा की सूक्ष्मता,

Dukh aur parishram ka mahatv

August 25, 2021

दुख और परिश्रम का मानव जीवन में महत्व – दुख बिना हृदय निर्मल नहीं, परिश्रम बिना विकास नहीं कठोर परिश्रम

Samasya ke samadhan ke bare me sochne se raste milte hai

August 25, 2021

समस्या के बारे में सोचने से परेशानी मिलती है – समाधान के बारे में सोचने से रास्ते मिलते हैं किसी

Scrap policy Lekh by jayshree birmi

August 25, 2021

स्क्रैप पॉलिसी      देश में प्रदूषण कम करने के लिए सरकार कई दिशाओं में काम कर रही हैं,जिसमे से प्रमुख

Leave a Comment