Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

story

Antardwand laghukatha by Sudhir Srivastava

 लघुकथा अंर्तद्वंद     लंबी प्रतीक्षा के बाद आखिर वो दिन आ ही गया और उसने सुंदर सी गोल मटोल …


 लघुकथा अंर्तद्वंद

Antardwand laghukatha by Sudhir Srivastava

    लंबी प्रतीक्षा के बाद आखिर वो दिन आ ही गया और उसने सुंदर सी गोल मटोल बेटी को जन्मदिन दिया। सब बहुत खुश थे।यहाँ तक की उसकी सास तो जैसे खुशी से उड़ रही थी।बड़े गर्व से वह अपनी बहू का बखान करते नहीं थक रही थीं, कल तक उनकी शारीरिक परेशानियों के चलते बोझ लगती जिंदगी में जैसे पोती ने आकर उम्मीदों की नयी किरण बिखेर दी है।

    मगर वो उतनी खुश नहीं थी,क्योंकि इतनी लंबी प्रतीक्षा के बाद उसे बेटे की लालसा थी।

     ये बातें उसकी सास तक भी पहुंच रही थीं,थोड़े दिन तक तो वो शांत रही और खुद को पोती में उलझाए रखकर बात को टालती रहीं।

     मगर कब तक बचती या बचातीं, आखिर उनकी पोती का सवाल था,तब उन आखिरकार एक दिन अपने बेटे बहू को पास बैठाया और बड़े प्यार से बहू से बोली-बेटी की माँ क्या माँ नहीं होती?

   वो इसके लिए तैयार न थी, इसलिए हड़बड़ा गयी-नहीं माँ,ऐसा मैंने कब कहा?

 उसकी सास ने बिना किसी भूमिका के कहा-देखो बहू, मैं माँ हूँ, बेटे की भी और बेटी की भी। पहली बार देख रही हूँ कि कोई औरत माँ बनकर सिर्फ इसलिए खुश नहीं है कि वो बेटी की माँ बनी है। जबकि मैं तुम्हारी सास हूँ फिर भी खुश हूँ ,जानती हो क्यों? वो इसलिए कि तुम दोनों भी माँ बाप बन गये और मैं दादी। बेटा और बेटी ईश्वर की देन है।

    एक बार सोचकर देखो यदि तुम्हारी माँ ने तुम्हें जन्म ही न दिया होता तो? ये भी सोचो कि यदि तुम्हें संतान ही न होता तो तुम्हें कैसा लगता? हर सुख सुविधा के बाद भी तुम कभी खुश रहती,शायद नहीं यकीनन कभी नहीं।

     रही बेटी की बात तो भूल जाओ,कि उसे तुमनें जन्म दिया, बल्कि ये सोचो कि उसके जन्म के साथ ही तुम पूर्ण औरत बनी हो,उसके जन्म से ही तुम माँ होने का गौरव पा सकी हो।

         अब रही उस नन्हीं जान की बात तो वो मेरी पोती भी है, मैं उसकी परवरिश कर सकती हूँ, पढ़ा लिखा कर उसके हाथ पीले करने से पहले मैं दुनियां नहीं छोड़ूँगी, मगर आज के बाद तुम मेरी बहू होने के अधिकार जरूर खो दोगी।

    वो दोनों किंकर्तव्यविमूढ़ सब चुपचाप सुन रहे थे, उसका पति मन ही मन खुश हो रहा था कि माँ ने कितनी साफगोई से सब कुछ समझा दिया और चुपचाप कमरे से बाहर चला गया।वो आँसू बहाते हुए अपनी सासूँ माँ से लिपट गयी।

    उसके मन का अंतर्द्वंद मिट चुका था। उसकी सास उसके सिर पर हाथ फेरकर उसे माँ की ममता का आभास  सौंप रही थी।

● सुधीर श्रीवास्तव

     गोण्डा, उ.प्र.

   811585921

©मौलिक, स्वरचित


Related Posts

कहानी-पिंजरा | Story – Pinjra | cage

December 29, 2022

कहानी-पिंजरा “पापा मिट्ठू के लिए क्या लाए हैं?” यह पूछने के साथ ही ताजे लाए अमरूद में से एक अमरुद

लघुकथा–मुलाकात | laghukatha Mulakaat

December 23, 2022

 लघुकथा–मुलाकात | laghukatha Mulakaat  कालेज में पढ़ने वाली ॠजुता अभी तीन महीने पहले ही फेसबुक से मयंक के परिचय में

लघुकथा –पढ़ाई| lagukhatha-padhai

December 20, 2022

लघुकथा–पढ़ाई मार्कशीट और सर्टिफिकेट को फैलाए उसके ढेर के बीच बैठी कुमुद पुरानी बातों को याद करते हुए विचारों में

कहानी-अधूरी जिंदगानी (भाग-5)|story Adhuri-kahani

November 19, 2022

कहानी-अधूरी जिंदगानी (भाग-5) आज रीना के घर के पास से गुज़र रही थी , जरूरी काम से जो जाना था

Story-बदसूरती/badsurati

November 5, 2022

Story-बदसूरती गांव भले छोटा था किंतु आप में मेल मिलाप बहुत था।सुख दुःख के समय सब एकदूरें के काम आते

Story-संसार के सुख दुःख / sansaar ke dukh

November 5, 2022

 संसार के सुख दुःख  यूं तो शिखा इनकी बहन हैं लेकिन कॉलेज में मेरे साथ पढ़ती थी तो हम भी

PreviousNext

Leave a Comment