Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Aalekh, lekh

358 दिन के आंदोलन से हुई लोकतंत्र की जीत

 किसान एकता के आगे झुकी सरकार, हुई कृषि कानून की वापसी 358 दिन के आंदोलन से हुई लोकतंत्र की जीत …


 किसान एकता के आगे झुकी सरकार, हुई कृषि कानून की वापसी

358 दिन के आंदोलन से हुई लोकतंत्र की जीत

358 दिन के आंदोलन से हुई लोकतंत्र की जीत

तीन कृषि कानून वापिस हुए। किसानों की जीत हुई। केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों के विरोध में 358 दिन चला आंदोलन आखिरकार अपना रंग लाया और केंद्र सरकार को झुकना पड़ा। देश के किसानों से माफी मांगते हुए हमारे प्रधानमंत्री ने अंततः कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 को निरस्त करने की घोषणा की। 

किसान आंदोलन बारे सरकार को इस प्रकार की उम्मीद नहीं थी कि आंदोलन इतना लंबा चल जाएगा और वह भी शांतिपूर्ण तरीके से। किसानों ने इस बीच अनेकों बाधाओ को पार किया। याद करें तो पिछली कड़ाके की ठंड में भी किसान बॉर्डर, टोल व अन्य स्थानों पर डटे रहे। पुलिस व किसानों के बीच झड़प भी हुई। 700 से अधिक किसानों ने अपनी शहादत भी दी। सरकार को शुरू में ही समझ लेना चाहिए था कि जन आंदोलन के आगे कभी भी सरकार की नहीं चली है, चाहे फिर वह राजीव गांधी के समय की बात हो, अन्ना आंदोलन की या फिर मनमोहन सरकार के समय अध्यादेश वापिस लेने की।

कृषि कानून वापस तो हो गए, लेकिन  कानून वापस लेने से कृषि क्षेत्र की समस्याएं हल हो गई, ऐसा कहना भी उचित नहीं होगा। भविष्य की चुनोतियाँ देखते हुए सरकार और किसान संगठनों को मिलकर काम करना होगा, तभी हम अपने अन्नदाता को एक बेहतर भविष्य प्रदान कर सकेंगे। 

दूसरी तरफ कानून वापस लेने के बाद राजनीति फिर शुरू हो गई है। जहां भारतीय जनता पार्टी के नेता इसे ऐतिहासिक फैसला बता रहे हैं, वहीं कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टी इसे आगामी चुनावों में हार के डर में लिया गया फैसला बता रही है। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तो कृषि कानूनों को वापस लेने के सरकार के फैसले पर सरकार को किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध बताया और पूरे देश में भाईचारे का माहौल बनने की बात कही। खैर देखना ये होगा कि उपचुनावों में करारी हार के बाद ये भाईचारे का मौहाल भाजपा को आगामी पंजाब, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों में जीत दिला पाती है या नहीं।

किसान आंदोलन में जिस प्रकार की एकता देशवासियों के बीच में देखी गई, आवश्यकता है कि देश के उत्थान में सभी इसी प्रकार एकता का परिचय देते हुए आगे बढ़ें और देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाएं। जय हिंद।

– विकास बिश्नोई
हिसार (हरियाणा)


Related Posts

बेडरूम का कलर आप की सेक्सलाइफ का सीक्रेट बताता है

December 30, 2023

बेडरूम का कलर आप की सेक्सलाइफ का सीक्रेट बताता है जिस तरह कपड़े का रंग आप की पर्सनालिटी और मूड

मानवजाति के साथ एलियंस की लुकाछुपी कब बंद होगी

December 30, 2023

मानवजाति के साथ एलियंस की लुकाछुपी कब बंद होगी नवंबर महीने के तीसरे सप्ताह में मणिपुर के आकाश में यूएफओ

सांप के जहर का अरबों का व्यापार

December 30, 2023

सांप के जहर का अरबों का व्यापार देश की राजधानी दिल्ली में तरह-तरह के उल्टे-सीधे धंधे होते हैं। अपराध का

बातूनी महिलाएं भी अब सोशल ओक्वर्डनेस की समस्या का अनुभव करने लगी हैं

December 30, 2023

बातूनी महिलाएं भी अब सोशल ओक्वर्डनेस की समस्या का अनुभव करने लगी हैं अभी-अभी अंग्रेजी में एक वाक्य पढ़ने को

समय की रेत पर निबंधों में प्रियंका सौरभ की गहरी आलोचनात्मक अंतर्दृष्टि

December 30, 2023

‘समय की रेत पर’ निबंधों में प्रियंका सौरभ की गहरी आलोचनात्मक अंतर्दृष्टि विभिन्न विधाओं की पांच किताबें लिख चुकी युवा

विपासना: बोधि का ध्यान | 10 days of vipasna review

November 26, 2023

विपासना: बोधि का ध्यान | 10 days of vipasna review  कुछ दिनों पूर्व विपासना के अंतरराष्ट्रीय केंद्र धम्मगिरी, इगतपुरी में

PreviousNext

Leave a Comment