हर जगह वायरल होती निजता, कैसे जियेंगे हम?
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की एक छात्रा द्वारा अपनी हॉस्टल की साठ से अधिक छात्राओं के नहाते वक्त के न्यूड वीडियो रिकॉर्ड कर अपने पुरुष मित्र को भेजना और फिर उनका दुनिया में वायरल होना किसी भी समाज को जानवर से बदतर बताता है, पांवो से जमीन खिसक जाती है ऐसी घटनाएं सुनकर, आखिर कौन है दोषी इन कुकृत्यों का? अब गंभीर सवाल ये है कि महिलाओं के नितांत प्राइवेट वीडियो, अतरंगी तस्वीरें या एमएमएस क्यों लीक हो रहे हैं? इसका जवाब ढूंढने से पहले कुछ बुनियादी बातों के बारे में समझने की कोशिश करते हैं। आज के दिन सेक्सटॉर्शन के लिए भारत क्या, अमेरिका, ब्रिटेन वगैरह में भी अलग से कानून नहीं है। सेक्सटॉर्शन का मतलब – किसी के कंप्यूटर, मोबाइल वगैरह में सेंध लगाकर इंटीमेट तस्वीर, वीडियो वगैरह चुराना या वेबकैम वगैरह से वीडियो बना लेना और फिर विक्टिम को ब्लैकमेल करना। इसके लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल होता है। वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 में जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार के साथ जोड़ते हुए इसे विस्तार दे दिया यानी निजता भी मौलिक अधिकार का हिस्सा बन गई है और इस स्थिति में कोई भी नागरिक अपनी निजता के हनन की स्थिति में याचिका दायर कर न्याय की मांग कर सकता है।
-प्रियंका सौरभ
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की एक छात्रा द्वारा अपनी हॉस्टल की साठ से अधिक छात्राओं के नहाते वक्त के न्यूड वीडियो रिकॉर्ड कर अपने पुरुष मित्र को भेजना और फिर उनका दुनिया में वायरल होना किसी भी समाज को जानवर से बदतर बताता है, पांवो से जमीन खिसक जाती है ऐसी घटनाएं सुनकर, आखिर कौन है दोषी इन कुकृत्यों का? आधुनिक समय में स्मार्टफोन में जहां हमारे जीवन को कई मामलों में आसान बना दिया है, वहीं बहुत से मामलों में हमारे लिए ये सबसे बड़े दुख का कारण बना है।
हम आये रोज कहीं ना कहीं एमएमएस कांड की घटना सुनते हैं। चाहे वह स्कूल स्तर पर हो, कॉलेज स्तर पर हो या यूनिवर्सिटी। हम प्रतिदिन एमएमएस कांड के दम पर ब्लैकमेलिंग की घटनाओं को अखबारों की सुर्खियां बनते देख रहे हैं। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? कहां जा रहा है हमारा समाज? कहां से आ रहे हैं ऐसे संस्कार? हमें यह सोचना होगा स्मार्टफोन का आसानी से कहीं भी इस्तेमाल कर निजता का हनन न हो। हमें इसका कोई न कोई तोड़ना होगा तभी लोगों का जीवन सुरक्षित रह सकता है।
निजता का अर्थ है किसी व्यक्ति का यह तय करने का उचित अधिकार कि किस हद तक वह दूसरों के साथ अपने-आपको बांटेगा। किसी को हक है कि वह स्वयं को सबसे अलग कर ले तथा किसी को उसकी निजी जिदंगी में ताकने-झांकने का अधिकार नहीं हो। इसलिए वाकई किसी की निजता का उल्लंघन है या इसका सार्वजनिक हित वाला पहलू ज्यादा महत्वपूर्ण है। सोशल साइट्स पर फर्जी फोटो, वीडियो और आपत्तिजनक पोस्ट आज आम हो गए है। अपुष्ट व भ्रामक सूचनाएं और सांप्रदायिक पोस्ट और आये दिन वायरल होते किसी न किसी के न्यूड वीडियो, भ्रामक, विवादित संदेश, वीडियो, फोटो से सावधान रहने की चेतावनी भर से क्या होगा? आखिर इनके आने पर रोक कैसे और कब लगेगी?
इस तरह के मामले नए नहीं हैं। इससे पहले भी नेताओं के, हीरो-हीरोइन्स के, हाई प्रोफाइल लोगों के आपत्तिजनक वीडियो एमएमस यानी मल्टीमीडिया मैसेजेस के रूप में लीक होते रहे हैं। अब गंभीर सवाल ये है कि महिलाओं के नितांत प्राइवेट वीडियो, अतरंगी तस्वीरें या एमएमएस क्यों लीक हो रहे हैं? इसका जवाब ढूंढने से पहले कुछ बुनियादी बातों के बारे में समझने की कोशिश करते हैं. तो क्या प्राइवेट वीडियो लीक होना भी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड कैटगरी में शामिल है? आज के दिन सेक्सटॉर्शन के लिए भारत क्या, अमेरिका, ब्रिटेन वगैरह में भी अलग से कानून नहीं है। सेक्सटॉर्शन का मतलब हुआ- किसी के कंप्यूटर, मोबाइल वगैरह में सेंध लगाकर इंटीमेट तस्वीर, वीडियो वगैरह चुराना या वेबकैम वगैरह से वीडियो बना लेना और फिर विक्टिम को ब्लैकमेल करना। इसके लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल होता है। वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 में जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार के साथ जोड़ते हुए इसे विस्तार दे दिया यानी निजता भी मौलिक अधिकार का हिस्सा बन गई है और इस स्थिति में कोई भी नागरिक अपनी निजता के हनन की स्थिति में याचिका दायर कर न्याय की मांग कर सकता है।
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–प्रियंका सौरभ
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार
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